Nandan Nilekani news: वॉलमार्ट और ऐमजॉन से भारतीय दुकानदारों को बचाएंगे नंदन निलेकणी, जानिए क्या है प्लान h3>
नई दिल्ली: आईटी कंपनी इन्फोसिस (Infosys) के कोफाउंडर और आधार (Aadhaar) योजना के सूत्रधार नंदन निलेकणि (Nandan Nilekani) अब एक और महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। वह सरकार को एक ओपन टेक्नोलॉजी नेटवर्क बनाने में मदद कर रहे हैं जो देश के एक ट्रिलियन डॉलर के रिटेल मार्केट में छोटे दुकानदारों को वॉलमार्ट (Walmart) और ऐमजॉन (Amazon) जैसी कंपनियों के साथ टक्कर लेने में मदद करेगा। इस नेटवर्क का मकसद एक ऐसा ऑनलाइन सिस्टम बनाना है जहां दुकानदार और ग्राहक साबुन से लेकर एयर टिकट तक सबकुछ बेच सकें। लेकिन इसके पीछे सोच ऐमजॉन और फ्लिपकार्ट के दबदबे को कम करना है। फ्लिपकार्ट का मालिकाना हक वॉलमार्ट के पास है।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में ऐमजॉन और वॉलमार्ट ने भारत में 24 अरब डॉलर निवेश किया है। भारी छूट और ऑफर्स से इन कंपनियों ने देश के 80 फीसदी ऑनलाइन रिटेल मार्केट पर कब्जा कर रखा है। हालांकि देश की कुल रिटेल मार्केट में ऑनलाइन कॉमर्स की हिस्सेदारी महज छह फीसदी है। लेकिन छोटे दुकानदारों को आशंका है कि आगे चलकर उनकी रोजीरोटी खतरे में पड़ सकती है। सरकार भी इसे लेकर चिंतित है। यही वजह है कि सरकार इसे लेकर एक व्यवस्था बनाना चाहती है। इसे ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) नाम दिया गया है।
खास सेलर्स को तरजीह
यह दुनिया में अपनी तरह की पहली पहल है जिससे छोटे दुकानदारों और रिटेलर्स को बराबरी का मौका देना है। यानी सरकार सभी लोगों के लिए अपना ई-कॉमर्स ईकोसिस्टम बनाएगी। दुकानदारों की शिकायत है कि ऐमजॉन और वॉलमार्ट जैसी कंपनियां अपने प्लेटफॉर्म पर कुछ खास सेलर्स को तरजीह देती हैं। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक 66 साल के निलेकणि ने हाल में बेंगलूरु में अपने प्राइवेट ऑफिस में कहा कि यह एक ऐसा आइडिया है जिसका समय आ चुका है। हम लाखों छोटे दुकानदारों को डिजिटल कॉमर्स के नए हाई-ग्रोथ एरिया में हिस्सा लेने का आसान तरीका बताना चाहते हैं।
इस सरकारी नेटवर्क को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर अगले महीने पांच चुनिंदा शहरों में कुछ चुनिंदा यूजर्स के लिए शुरू किया जा सकता है। ऐमजॉन के एक प्रवक्ता ने कहा कि वह फिलहाल इस मॉडल को बेहतर ढंग से समझने का प्रयास कर रही है ताकि पता चल सके कि इसमें उसकी भी कोई भूमिका हो सकती है या नहीं। इस बारे में फ्लिपकार्ट ने कोई टिप्पणी नहीं की। भारत के रिटेल मार्केट में दबदबे के लिए दुनिया की कई बड़ी कंपनियों के बीच होड़ मची हुई है। देश में करीब 80 करोड़ स्मार्टफोन यूजर्स हैं।
वॉलमार्ट-फ्लिपकार्ट को टक्कर
निलेकणि ने सरकार को आधार योजना में मदद की थी। इसके अलावा युनाइटेड पेमेंट इंटरफेस यानी UPI बनाने में भी मदद की थी। पिछले साल गर्मियों में उन्हें ONDC के एडवाइजर के रूप में हायर किया गया था। वह चाहते हैं कि यह नेटवर्क ई-कॉमर्स के क्षेत्र में वही कमाल करे जो यूपीआई ने डिजिटल पेमेंट्स में किया था। लेकिन उनकी सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि यह नेटवर्क अपने मकसद में कामयाब हो। ऐमजॉन और फ्लिपकार्ट ने अपनी जांची परखी टेक्नोलॉजी से दुकानदारों और ग्राहकों को अपनी ओर खींचा है। अब अगर सरकार को उनसे लोहा लेना है तो उनसे बेहतर सिस्टम बनाना होगा।
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ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में ऐमजॉन और वॉलमार्ट ने भारत में 24 अरब डॉलर निवेश किया है। भारी छूट और ऑफर्स से इन कंपनियों ने देश के 80 फीसदी ऑनलाइन रिटेल मार्केट पर कब्जा कर रखा है। हालांकि देश की कुल रिटेल मार्केट में ऑनलाइन कॉमर्स की हिस्सेदारी महज छह फीसदी है। लेकिन छोटे दुकानदारों को आशंका है कि आगे चलकर उनकी रोजीरोटी खतरे में पड़ सकती है। सरकार भी इसे लेकर चिंतित है। यही वजह है कि सरकार इसे लेकर एक व्यवस्था बनाना चाहती है। इसे ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) नाम दिया गया है।
खास सेलर्स को तरजीह
यह दुनिया में अपनी तरह की पहली पहल है जिससे छोटे दुकानदारों और रिटेलर्स को बराबरी का मौका देना है। यानी सरकार सभी लोगों के लिए अपना ई-कॉमर्स ईकोसिस्टम बनाएगी। दुकानदारों की शिकायत है कि ऐमजॉन और वॉलमार्ट जैसी कंपनियां अपने प्लेटफॉर्म पर कुछ खास सेलर्स को तरजीह देती हैं। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक 66 साल के निलेकणि ने हाल में बेंगलूरु में अपने प्राइवेट ऑफिस में कहा कि यह एक ऐसा आइडिया है जिसका समय आ चुका है। हम लाखों छोटे दुकानदारों को डिजिटल कॉमर्स के नए हाई-ग्रोथ एरिया में हिस्सा लेने का आसान तरीका बताना चाहते हैं।
इस सरकारी नेटवर्क को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर अगले महीने पांच चुनिंदा शहरों में कुछ चुनिंदा यूजर्स के लिए शुरू किया जा सकता है। ऐमजॉन के एक प्रवक्ता ने कहा कि वह फिलहाल इस मॉडल को बेहतर ढंग से समझने का प्रयास कर रही है ताकि पता चल सके कि इसमें उसकी भी कोई भूमिका हो सकती है या नहीं। इस बारे में फ्लिपकार्ट ने कोई टिप्पणी नहीं की। भारत के रिटेल मार्केट में दबदबे के लिए दुनिया की कई बड़ी कंपनियों के बीच होड़ मची हुई है। देश में करीब 80 करोड़ स्मार्टफोन यूजर्स हैं।
वॉलमार्ट-फ्लिपकार्ट को टक्कर
निलेकणि ने सरकार को आधार योजना में मदद की थी। इसके अलावा युनाइटेड पेमेंट इंटरफेस यानी UPI बनाने में भी मदद की थी। पिछले साल गर्मियों में उन्हें ONDC के एडवाइजर के रूप में हायर किया गया था। वह चाहते हैं कि यह नेटवर्क ई-कॉमर्स के क्षेत्र में वही कमाल करे जो यूपीआई ने डिजिटल पेमेंट्स में किया था। लेकिन उनकी सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि यह नेटवर्क अपने मकसद में कामयाब हो। ऐमजॉन और फ्लिपकार्ट ने अपनी जांची परखी टेक्नोलॉजी से दुकानदारों और ग्राहकों को अपनी ओर खींचा है। अब अगर सरकार को उनसे लोहा लेना है तो उनसे बेहतर सिस्टम बनाना होगा।
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