भारत के इतिहास में शासक के तौर पर जल्लालुदीन मोहम्मद अकबर का नाम विशेष महत्व रखता है. उसने भारत के बहुत बड़े क्षेत्र पर शासन किया. इसके साथ ही उसने एक नए धर्म दीन-ए-इलाही की स्थापना की. अकबर ने धर्म से ऊपर उठकर कई फैसले लिए जिनके लिए एक उदार शासक के तौर पर तो उसकी चर्चा की ही जाती है. इसके साथ ही उसके राज्य की सबसे बड़ी विशेषता यह मानी जाती है कि उसके दरबार में 9 रत्न थे, जिनकी काबलियत के कारण अकबर की 9 रत्नों में जान बसती थी. जब भी अकबर के शासन की चर्चा होती है, तो यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि 9 रत्नों तक चर्चा अपने आप ही पहुंच जाती है.
अकबर के दरबार के 9 रत्नों के नाम और उनकी विशेषताएं-
राजा बीरबल – 9 रत्नों में सबसे प्रसिद्ध नाम बीरबल का ही था. इनके बचपन का नाम महेशदास था. इसे अकबर के सबसे करीब माना जाता था. यह बहुत बुद्धिमान था. अकबर ने इसे कविराज की उपाधि दी थी.
तानसेन – तानसेन का भी अकबर के दरबार में विशेष महत्व था. वह बहुत ही बड़ा संगीतकार था. अकबर ने इसे ‘कण्ठाभरणवाणीविलास’ की उपाधि से सम्मानित किया.
अबुल फजल – यह एक इतिहासकार था. इसने अकबरनामा और आइना-ए-अकबरी नामक पुस्तकों की रचना की.
फैजी – यह अकबर के दरबार में फारसी कवि थे. इसके साथ ही अकबर ने अपने लड़के के लिए गणित के शिक्षक के पद पर इसे नियुक्त किया.
राजा टोडरमल – अकबर के शासन में इनका महत्वपूर्ण स्थान था. इसने अकबर के काल में वित्त मंत्री का पद संभाला.
राजा मान सिंह – अकबर के 9 रत्नों में इनका भी स्थान था. अकबर के दरबार में यह प्रधान सेनापति था.
अब्दुल रहीम खान-ऐ-खाना – यह बैरम खां का पुत्र था. यह उच्च कोटी का कवि और विद्वान था.
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फकीर अजियोद्दीन – अकबर के निजी चिकित्सक थे.
मुल्ला दो पिअजा – यह अकबर के रसोई का प्रधान था. अकबर के 9 रत्नों में इनका भी स्थान था. भोजन में उसको दो प्याज बहुत पसंद थे. इसलिए अकबर ने उनको दो प्याज की उपाधि दी.