MVA Rift: किसानों का स्वाभिमानी शेतकरी संगठन अघाड़ी से होगा अलग! कितनी बदल जाएगी महाराष्ट्र की सियासत? h3>
मुंबई: महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने मिलकर महाविकास अघाड़ी सरकार बनाई है। जो फिलहाल मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अगुवाई में सत्ता पर काबिज है। एमवीए को कुछ छोटे दलों का भी समर्थन हासिल है। महाविकास अघाड़ी सरकार के दावे के मुताबिक मौजूदा समय में उनके पास 170 से ज्यादा विधायकों का समर्थन प्राप्त है। हालांकि ठाकरे सरकार को समर्थन देने वाला स्वाभिमानी शेतकरी संगठन अब उनके अलग होने की राह पर चल रहा है। पूर्व सांसद और किसान नेता राजू शेट्टी की अगुवाई में आगामी पांच अप्रैल को इस विषय पर पार्टी वर्किंग कमेटी की मीटिंग बुलाई गई है। जिसमें यह तय किया जायेगा कि महाविकास अघाड़ी के साथ रहना है या नहीं। इस बात की भी अटकलें चल रही हैं कि पार्टी अपने एकमात्र विधायक देवेंद्र भूयार पर भी कार्रवाई कर सकती है।
सरकार से नाराज राजू शेट्टी
नवभारत टाइम्स ऑनलाइन से बातचीत करते हुए राजू शेट्टी ने कहा कि जब महाविकास अघाड़ी सरकार का गठन हुआ था। तब यह बात कही गई थी कि किसानों का अहित नहीं होने दिया जाएगा हालांकि, महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार अब किसानों के हित में कोई कदम उठाती हुई नजर नहीं आ रही है। सरकार की स्थापना हुए दो साल से ज्यादा का समय बीत गया है लेकिन किसानों के जख्मों पर नमक मरहम लगाने की जगह नमक छिड़का जा रहा है। शेट्टी ने बताया कि कुछ मुद्दों को लेकर हमारा ठाकरे सरकार के साथ मतभेद है। अगर इन मुद्दों पर सरकार हमारी बात नहीं मानती है तो हम सरकार से अलग होने का भी फैसला कर सकते हैं। इस संबंध में अप्रैल महीने की शुरुआत में होने वाली वर्किंग कमेटी की बैठक में फैसला लिया जा सकता है।
अपने ही विधायक से नाराज शेट्टी
राजू शेट्टी फिलहाल पार्टी के एकमात्र विधायक देवेंद्र भूयार के काम से भी नाखुश हैं। उनका कहना है कि हमारी पार्टी किसानों की पार्टी है। हमारे सभी काम किसानों के हित को ध्यान में रखकर होने चाहिए। हालांकि हमारे विधायक इस बात पर ध्यान नहीं दे रहे हैं और वे पार्टी लाइन के अनुकूल काम नहीं कर रहे हैं। ऐसे में जो कोई पार्टी के नियमों के विरुद्ध काम करेगा उस पर कार्रवाई की जा सकती है। यह नियम मुझपर भी लागू होता है। उन्होंने कहा कि इस बात का फैसला आगामी वर्किंग कमेटी की बैठक में होना है।
सरकार पर कितना असर
महाविकास अघाड़ी सरकार से यदि किसान नेता राजू शेट्टी की पार्टी स्वाभिमानी शेतकरी संगठन ने अपना समर्थन वापस लिया तो भी सरकार की सेहत पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। फिलहाल ठाकरे सरकार के पास 170 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है। ऐसे में महाराष्ट्र सरकार पर मौजूदा समय में कोई संकट नजर नहीं आ रहा। हालांकि इसी प्रकार घटक दलों के नाराजगी बढ़ती रही और उन्होंने सरकार से किनारा करना शुरू किया तो भविष्य में मुश्किलें जरूर बढ़ सकती हैं।
विवाद के मुद्दे
1)राजू शेट्टी ने कहा कि सरकार के साथ हमारे तीन अहम मुद्दों पर मतभेद हैं। जिनमें पहला है भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक। उन्होंने कहा कि एनडीए का घटक दल होने के बावजूद मैंने उसका विरोध किया था। खुद महाविकास अघाड़ी के शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस भी मोदी सरकार द्वारा लाए इस बिल का विरोध करते हैं। लेकिन वे महाराष्ट्र में इस तरह का बिल लाने के पक्ष में हैं। आखिर यह दोगली नीति क्यों?
2) शेट्टी ने बताया कि बाढ़ की वजह से राज्य के किसानों को भारी नुकसान हुआ है। इस मुद्दे पर महाविकास अघाड़ी सरकार ने किसानों को यह भरोसा दिलाया था कि 2019 से ज्यादा मुआवजा इस बार दिया जाएगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं सरकार ने जो मुआवजा दिया गया वह काफी कम था।
3) शेट्टी ने बताया कि तीसरा विवाद का मुद्दा यह है की गन्ना उत्पादक किसानों को सरकार द्वारा जो भुगतान किया जाता है वह एकमुश्त होता है। जबकि ठाकरे सरकार ने इस मामले में संशोधन करते हुए इसे अब दो बार में देने का प्रावधान किया है। हालांकि राज्य सरकार को ऐसा करने का अधिकार नहीं है क्योंकि यह मुद्दा केंद्र सरकार का है। शेट्टी ने कहा कि किसानों को केंद्र सरकार द्वारा करने के भुगतान के लिए एमएसपी तय किया गया है। इसके अलावा प्रॉफिट शेयरिंग रेवेन्यू भी देने का प्रावधान है। इसके लिए एक समिति भी बनाई गई है लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने समिति में जिन लोगों को सदस्य बनाया है वह इस विषय में कुछ बोलते ही नहीं। इस वजह से गन्ना उत्पादक किसानों को काफी नुकसान हो रहा है।
राजनीति की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – राजनीति
News
सरकार से नाराज राजू शेट्टी
नवभारत टाइम्स ऑनलाइन से बातचीत करते हुए राजू शेट्टी ने कहा कि जब महाविकास अघाड़ी सरकार का गठन हुआ था। तब यह बात कही गई थी कि किसानों का अहित नहीं होने दिया जाएगा हालांकि, महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार अब किसानों के हित में कोई कदम उठाती हुई नजर नहीं आ रही है। सरकार की स्थापना हुए दो साल से ज्यादा का समय बीत गया है लेकिन किसानों के जख्मों पर नमक मरहम लगाने की जगह नमक छिड़का जा रहा है। शेट्टी ने बताया कि कुछ मुद्दों को लेकर हमारा ठाकरे सरकार के साथ मतभेद है। अगर इन मुद्दों पर सरकार हमारी बात नहीं मानती है तो हम सरकार से अलग होने का भी फैसला कर सकते हैं। इस संबंध में अप्रैल महीने की शुरुआत में होने वाली वर्किंग कमेटी की बैठक में फैसला लिया जा सकता है।
अपने ही विधायक से नाराज शेट्टी
राजू शेट्टी फिलहाल पार्टी के एकमात्र विधायक देवेंद्र भूयार के काम से भी नाखुश हैं। उनका कहना है कि हमारी पार्टी किसानों की पार्टी है। हमारे सभी काम किसानों के हित को ध्यान में रखकर होने चाहिए। हालांकि हमारे विधायक इस बात पर ध्यान नहीं दे रहे हैं और वे पार्टी लाइन के अनुकूल काम नहीं कर रहे हैं। ऐसे में जो कोई पार्टी के नियमों के विरुद्ध काम करेगा उस पर कार्रवाई की जा सकती है। यह नियम मुझपर भी लागू होता है। उन्होंने कहा कि इस बात का फैसला आगामी वर्किंग कमेटी की बैठक में होना है।
सरकार पर कितना असर
महाविकास अघाड़ी सरकार से यदि किसान नेता राजू शेट्टी की पार्टी स्वाभिमानी शेतकरी संगठन ने अपना समर्थन वापस लिया तो भी सरकार की सेहत पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। फिलहाल ठाकरे सरकार के पास 170 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है। ऐसे में महाराष्ट्र सरकार पर मौजूदा समय में कोई संकट नजर नहीं आ रहा। हालांकि इसी प्रकार घटक दलों के नाराजगी बढ़ती रही और उन्होंने सरकार से किनारा करना शुरू किया तो भविष्य में मुश्किलें जरूर बढ़ सकती हैं।
विवाद के मुद्दे
1)राजू शेट्टी ने कहा कि सरकार के साथ हमारे तीन अहम मुद्दों पर मतभेद हैं। जिनमें पहला है भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक। उन्होंने कहा कि एनडीए का घटक दल होने के बावजूद मैंने उसका विरोध किया था। खुद महाविकास अघाड़ी के शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस भी मोदी सरकार द्वारा लाए इस बिल का विरोध करते हैं। लेकिन वे महाराष्ट्र में इस तरह का बिल लाने के पक्ष में हैं। आखिर यह दोगली नीति क्यों?
2) शेट्टी ने बताया कि बाढ़ की वजह से राज्य के किसानों को भारी नुकसान हुआ है। इस मुद्दे पर महाविकास अघाड़ी सरकार ने किसानों को यह भरोसा दिलाया था कि 2019 से ज्यादा मुआवजा इस बार दिया जाएगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं सरकार ने जो मुआवजा दिया गया वह काफी कम था।
3) शेट्टी ने बताया कि तीसरा विवाद का मुद्दा यह है की गन्ना उत्पादक किसानों को सरकार द्वारा जो भुगतान किया जाता है वह एकमुश्त होता है। जबकि ठाकरे सरकार ने इस मामले में संशोधन करते हुए इसे अब दो बार में देने का प्रावधान किया है। हालांकि राज्य सरकार को ऐसा करने का अधिकार नहीं है क्योंकि यह मुद्दा केंद्र सरकार का है। शेट्टी ने कहा कि किसानों को केंद्र सरकार द्वारा करने के भुगतान के लिए एमएसपी तय किया गया है। इसके अलावा प्रॉफिट शेयरिंग रेवेन्यू भी देने का प्रावधान है। इसके लिए एक समिति भी बनाई गई है लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने समिति में जिन लोगों को सदस्य बनाया है वह इस विषय में कुछ बोलते ही नहीं। इस वजह से गन्ना उत्पादक किसानों को काफी नुकसान हो रहा है।
News