Mukesh Ambani news: मुकेश अंबानी की रिटेल किंग बनने की योजना को लग सकता है झटका, जानिए क्या है वजह

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Mukesh Ambani news: मुकेश अंबानी की रिटेल किंग बनने की योजना को लग सकता है झटका, जानिए क्या है वजह

Mukesh Ambani news: मुकेश अंबानी की रिटेल किंग बनने की योजना को लग सकता है झटका, जानिए क्या है वजह

नई दिल्ली: भारत और एशिया के सबसे बड़े रईस मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) अपने रिटेल बिजनस (retail business) को जोरशोर से आगे बढ़ा रहे हैं। लेकिन देश में रिटेल किंग बनने की उनकी योजना को झटका लग सकता है। इसकी वजह यह है कि बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India) की अगुवाई में बैंकों ने अपना बकाया वसूलने के लिए फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (FRL) को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में घसीटने का फैसला किया है। इससे कंपनी के रिटेल एसेट्स की रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries Ltd) को बिक्री प्रभावित हो सकती है।

सूत्रों के मुताबिक एफआरएल को कर्ज देने वाले बैंकों ने पिछले हफ्ते यह फैसला किया। उन्होंने इस बारे में इनसॉल्वेंसी प्रोफेशनल्स (IPs) से 29 मार्च तक फाइनेंशियल और टेक्निकल बिड्स मांगी हैं। सूत्रों के मुताबिक शॉर्टलिस्ट किए गए आईपी अपनी योजना पेश करेंगे। एक सूत्र ने कहा कि इसके लिए Grant Thornton, PwC, Alvarez & Marsal, KPMG, BDO India, EY और Deloitte के बोली लगाने की संभावना है।

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क्यों आई ऐसी नौबत
इससे पहले अरबपति प्रेम वत्स के फेयरफैक्स ग्रुप (Fairfax Group) के मालिकाना हक वाले सीएसबी बैंक (CSB Bank) ने एफआरएल और फ्यूचर एंटरप्राइजेज से अपने 2.5 करोड़ रुपये के अनसिक्योर्ड डेट की वसूली के लिए डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल (DRT) का दरवाजा खटखटाया था। एक सूत्र ने कहा कि बैंक साथ ही सरफेसी कानून के तहत वसूली को आगे बढ़ाएंगे। इसके तहत बैंकर गिरवी रखी गई संपत्ति की नीलामी कर सकते हैं। इस बारे में एफआरएल ने कोई टिप्पणी नहीं की।

इस समय ईवी (EY) फ्यूचर ग्रुप का फाइनेंशियल एडवाइजर है और पिछले साल अप्रैल में ग्रुप की सभी कंपनियों के लिए वन टाइम रिस्ट्रक्चरिंग (OTR) में उसने अहम भूमिका निभाई थी। कोरोना महामारी (Covid-19 pandemic) के कारण फ्यूचर ग्रुप की सभी कंपनियों की स्थिति प्रभावित हुई थी। ओटीआर को लागू करते समय बैंकों ने फ्यूचर ग्रुप की सभी कंपनियों में कैश फ्लो पर नजर रखने के लिए डेलॉइट (Deloitte) को एजेंसी नियुक्त किया था।

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कंपनी पर कितना है कर्ज
एक सूत्र ने कहा कि अगर फ्यूचर रिटेल को इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग के लिए एनसीएलटी में घसीटा जाता है तो रिलायंस के साथ उसकी डील पर असर पड़ सकता है। इसकी वजह यह है कि दूसरे खरीदार भी इसके लिए बोली लगा सकते हैं। कंपनी ने जनवरी में 3,595 करोड़ रुपये के भुगतान में डिफॉल्ट
किया था। यही वजह है कि बैंकों को इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग पर विचार करना पड़ा। सूत्र के मुताबिक बैंक अपनी रिकवरी को लेकर निश्चित नहीं है। एक महीने पहले रिलायंस की कंपनियों ने फ्यूचर से 900 से अधिक रिटेल स्टोर्स का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया था।

किशोर बियाणी के फ्यूचर ग्रुप और रिलायंस इंडस्ट्रीज के बीच अगस्त 2020 में 24,713 करोड़ रुपये की डील हुई थी। लेकिन यह डील अभी कानूनी पचड़ों में फंसी है। दुनिया के दूसरे सबसे बड़े रईस जेफ बेजोस (Jeff Bezos) की कंपनी ऐमजॉन (Amazon) ने इसे चुनौती दी है। उसका कहना है कि यह डील ऐमजॉन और फ्यूचर कूपंस प्राइवेट लिमिटेड (FCPL) के बीच हुए शेयरहोल्डर कॉन्ट्रैक्ट का उल्लंघन है। फ्यूचर पर 17,500 करोड़ रुपये का कर्ज है। इसमें 27 बैंकों के 13,800 करोड़ रुपये शामिल हैं। साथ ही विदेशी बॉन्ड्स के रूप में भी कंपनी पर 3,700 करोड़ रुपये का कर्ज है।

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