MP Chunav 2023: कहानी मध्य प्रदेश की राजनीति के ‘सफेद शेर’ की, जिनके इलाके में एक कमरे में रहते थे 300 वोटर!

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MP Chunav 2023: कहानी मध्य प्रदेश की राजनीति के ‘सफेद शेर’ की, जिनके इलाके में एक कमरे में रहते थे 300 वोटर!

MP Chunav 2023: कहानी मध्य प्रदेश की राजनीति के ‘सफेद शेर’ की, जिनके इलाके में एक कमरे में रहते थे 300 वोटर!

भोपाल: मध्य प्रदेश की आबोहवा में इन दिनों हर तरफ चुनावी बयार है। चौक चौराहों से लेकर घर के डाइनिंग टेबल तक पर लोग चुनाव को लेकर बातें करते दिख रहे हैं। नौजवान जहां सोशल मीडिया पर चुनाव को लेकर हो रही चर्चाओं और मुद्दों पर बात करते दिखे रहे हैं तो घर के बड़े बुजुर्ग मध्य प्रदेश के चुनावी इतिहास के किस्से कहानियां बताते दिख रहे हैं। इन्हीं किस्से कहानियों में मध्य प्रदेश की राजनीति में सफेद शेर के नाम से मशहूर श्रीनिवास तिवारी से जुड़ा एक वाक्या बेहद दिलचस्प है।

अपनी दमदार आवाज और प्रभावशाली तरीके से अपनी बात रखने के लिए श्रीनिवास संसदीय मामलों के जानकार रहे। जब तक वह मध्य प्रदेश विधानसभा में स्पीकर रहे तो सरकार और विपक्ष दोनों तरफ के नेता उनका सम्मान करते। विधानसभा स्पीकर पद पर रहते हुए श्रीनिवास हमेशा मर्यादा का पालन करते देखे गए। जब वह सदन में विधायक के रूप में रहे तब वह हमेशा विंध्य प्रदेश को लेकर आवाज बुलंद करते दिखे। जब विंध्य का विलय मध्य प्रदेश में किया गया था, श्रीनिवास ने लगातार 5 घंटे तक अपनी मजबूत दलीलों से विंध्य को अलग रखने की बातें करते रहे। उस दौर को याद करते हुए पुराने राजनेता बताते हैं कि जब श्रीनिवास ने सदन में बोलना शुरू किया तो सभी सदस्य चुपचाप होकर केवल उन्हें ही सुनते दिखे थे।
MP Chunav 2023: चुनाव से पहले बैकफुट पर क्यों आई BJP? 2018 में जहां जीती थी 24 सीटें वहां लग सकता है बड़ा झटकायूं तो मध्य प्रदेश की राजनीति के सफेद शेर के नाम से मशहूर श्रीनिवास से जुड़े अनगिनत किस्से हैं, लेकिन यहां हम एक ऐसा नकारात्मक वाक्या बता रहे हैं, जिसके सामने आने के बाद इस महान राजनेता ने चुनावी राजनीति से संन्यास ही ले लिया।

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्गविजय सिंह के बेहद करीबी माने जाने वाले श्रीनिवास के बारे में आरोप लगते रहे कि वह चुनाव में कुछ गलत कदम भी उठाते रहे। बीजेपी लगातार श्रीनिवास पर आरोप लगाती रही कि श्रीनिवास गलत तरीके अपनाकर चुनाव जीतते हैं। एक बार बीजेपी ने आरोप लगाया कि श्रीनिवास अपने इलाके में फर्जी वोटर तैयार कर रखे हैं। यह आरोप हाई कोर्ट पहुंच गया। हाई कोर्ट के आदेश पर श्रीनिवास के विधानसभा सीट से करीब 22 हजार फर्जी मतदाताओं के नाम काटे गए।
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उस दौर में एस के मिश्रा रीवा के कलेक्टर थे। उन्हीं की निगरानी में मतदाता सूची में पुनर्रिक्षण का कार्य कराया गया था। इसके लिए रीवा के बाहर के कर्मचारियों को ड्यूटी पर लगाया गया था। जांच में पता चला कि 300 वर्ग फीट के कमरे के अड्रेस पर 300 से ज्यादा वोटरों का पता दर्ज था। श्रीनिवास की चुनावी गड़बड़ी की संभावनाओं को रोकने के लिए मालवा और भोपाल से कर्मचारियों के विशेष दल भेजे गए। बीजेपी की शिकायत पर अक्टूबर में 500 से ज्यादा थानेदार और सब इंस्पेक्टर के ट्रांसफर चुनाव आयोग की तरफ से किए गए। फर्जी वोटर तैयार करने का खेला उजागर होने के बाद श्रीनिवास ने चुनावी राजनीति से खुद को अलग कर लिया और उन्होंने कभी भी दोबारा चुनाव नहीं लड़ा। फर्जी वोटर तैयार करने का श्रीनिवास पर एक ऐसा राजनीतिक धब्बा रहा जिसे वह शायद ही याद करना चाहेंगे।

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