Moose Wala: क्लास 2 से साइकल चलाकर जाते थे स्कूल…पहली बार बिना मां से टीका लगवाए घर से निकले और…मूसेवाला के पिता की बातें सुनकर रो देंगे आप h3>
चंडीगढ़ : पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला के अंतिम अरदास में बुधवार को भारी भीड़ जुटी। पंजाब के मानसा जिले मे अंतिम अरदास करने के लिए पंजाब भर से लोग पहुंचे। दावा किया जा रहा है कि लगभग एक लाख लोगों की भीड़ वहां पहुंची। अंतिम अरदास के दौरान सिद्धू मूसेवाला के पिता और मां भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि उनका बेटा आसपास ही है, वह कहीं नहीं गया है। उन्होंने सिद्धू मूसेवाला के बारे में बताया कि वह बचपन से कितनी कठिनाइयों में पला-बढ़ा है तो वहां मौजूद हर कोई रोने लगा। पिता ने यह भी बताया कि हमेशा मां के हाथ से टीका लगवाकर घर से निकलने वाले सिद्धू हत्या के दिन बिना टीका लगवाए निकले थे।
अंतिम अरदास के बाद सिद्धू के पिता ने कहा कि वह आवाज के जरिए सिद्धू को जिंदा रखेंगे। उन्होंने कहा कि उनका बेटा वह अपनी मर्जी से राजनीति में गया था। उसका नाम किसी विवाद में न घसीटा जाए।
‘नहीं टेकूंगा घुटने’
पिता सरदार बलकौर सिंह ने कहा, ‘जब तक इंसाफ नहीं मिलेगा तब तक घुटने नहीं टेकूंगा। मेरे बेटे का नाम विवाद में न घसीटें। मैं खुद लाइव होकर बताऊंगा कि आगे क्या करना है। मुझे कुछ संदेश देना होगा तो बेटे के यूट्यूब चैनल और फेसबुक पेज के जरिए लाइव आऊंगा। सिद्धू के नाम पर किसी भी फेसबुक पेज, इंस्टाग्राम वगैरह पर विश्वास न करें।’
‘गुरु का फैसला सिर-माथे’
बलकौर सिंह ने कहा, ’29 को ऐसा मनहूस दिन था कि वह चला गया लेकिन आप लोगों के प्यार ने मेरा दुख बहुत हद तक कम कर दिया। गुरु का फैसला सिर माथे पर है। सिद्धू एक बड़ा साधारण नौजवान था। आम पंजाबी लड़के की तरह ही था। जब नर्सरी में पढ़ता था तो कभी बस से तो कभी स्कूटर से मैं उसे स्कूल छोड़ने लेने जाता था। उसने क्लास 2 से साइकल से स्कूल जाना शुरू कर दिया था। 12 क्लास तक वह रोज 24 किलोमीटर स्कूल चलाकर जाता था और 24 किलोमीटर साइकल चलाकर आता था।’
‘कभी बच्चे को पॉकेट मनी तक नहीं दे पाया’
सिद्धू के बारे में बताते हुए बलकौर ने कहा, ‘कभी बच्चे को जेब खर्च तक नहीं दे पाया। उसने बहुत मेहनत की थी इस मुकाम तक पहुंचने की। हम बहुत साधारण परिवार के थे। वह अपने गाने लिखकर बेचता और कमाई करके आगे की पढ़ाई की। वह कभी जेब में पर्स तक नहीं रखता था।’
‘पहली बार टीका बिना लगाकर निकला’
बलकौर ने कहा, ‘हमेशा टीका लगाकर घर से निकलता था। जब तक मां टीका नहीं लगाती, बुलाता रहता था मां…मां… मां… 29 मई को पहली बार हुआ कि मां पास में कहीं गई थी। वह बिना टीका लगाकर घर से निकला और ऐसा हो गया। बचपन से लेकर आज तक कभी उसकी शिकायत नहीं आई। उसने कसम खाई थी कि मेरा कभी भी गलत काम में इन्वॉल्वमेंट नहीं था। मेरा बेटा बहुत अच्छा था।’
‘उल्टा सीधा न लिखें’
भावुक होते हुए सिद्धू के पिता ने कहा, ‘मेरा बच्चा संत था, उसने कभी किसी का नुकसान नहीं किया। मेरे बच्चे के बारे में उल्टा-सीधा न लिखें। सोशल मीडिया पर गलत न लिखें। सिद्धू को राजनीति में कोई लेकर नहीं आया, वह अपनी मर्जी से आया। मैंने भी उसे मना किया था कि तुम्हारी अलग पहचान है क्यों राजनीति में आना लेकिन उसका मन था और वह मर्जी से राजनीति में आया।’
‘मै कहता हूं कि अपनी अंतिम सांस तक सिद्धू को आपसे जोड़कर रखूंगा। कभी मेरे बेटे या मुझसे गलती हुई हो तो हमें माफ कर देना। मैं हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं।’ मां ने कहा, ‘मेरा बेटा कहीं नहीं गया, मुझे लगता है कि वह मेरे आसपास ही है। आज प्रदूषण बहुत बढ़ चुका है, मैं बस बच्चों और बुजुर्गों से अनुरोध करना चाहती हूं कि मेरे बेटे के नाम पर पेड़ लगाएं और उसे पाले पोसें।’
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अंतिम अरदास के बाद सिद्धू के पिता ने कहा कि वह आवाज के जरिए सिद्धू को जिंदा रखेंगे। उन्होंने कहा कि उनका बेटा वह अपनी मर्जी से राजनीति में गया था। उसका नाम किसी विवाद में न घसीटा जाए।
‘नहीं टेकूंगा घुटने’
पिता सरदार बलकौर सिंह ने कहा, ‘जब तक इंसाफ नहीं मिलेगा तब तक घुटने नहीं टेकूंगा। मेरे बेटे का नाम विवाद में न घसीटें। मैं खुद लाइव होकर बताऊंगा कि आगे क्या करना है। मुझे कुछ संदेश देना होगा तो बेटे के यूट्यूब चैनल और फेसबुक पेज के जरिए लाइव आऊंगा। सिद्धू के नाम पर किसी भी फेसबुक पेज, इंस्टाग्राम वगैरह पर विश्वास न करें।’
‘गुरु का फैसला सिर-माथे’
बलकौर सिंह ने कहा, ’29 को ऐसा मनहूस दिन था कि वह चला गया लेकिन आप लोगों के प्यार ने मेरा दुख बहुत हद तक कम कर दिया। गुरु का फैसला सिर माथे पर है। सिद्धू एक बड़ा साधारण नौजवान था। आम पंजाबी लड़के की तरह ही था। जब नर्सरी में पढ़ता था तो कभी बस से तो कभी स्कूटर से मैं उसे स्कूल छोड़ने लेने जाता था। उसने क्लास 2 से साइकल से स्कूल जाना शुरू कर दिया था। 12 क्लास तक वह रोज 24 किलोमीटर स्कूल चलाकर जाता था और 24 किलोमीटर साइकल चलाकर आता था।’
‘कभी बच्चे को पॉकेट मनी तक नहीं दे पाया’
सिद्धू के बारे में बताते हुए बलकौर ने कहा, ‘कभी बच्चे को जेब खर्च तक नहीं दे पाया। उसने बहुत मेहनत की थी इस मुकाम तक पहुंचने की। हम बहुत साधारण परिवार के थे। वह अपने गाने लिखकर बेचता और कमाई करके आगे की पढ़ाई की। वह कभी जेब में पर्स तक नहीं रखता था।’
‘पहली बार टीका बिना लगाकर निकला’
बलकौर ने कहा, ‘हमेशा टीका लगाकर घर से निकलता था। जब तक मां टीका नहीं लगाती, बुलाता रहता था मां…मां… मां… 29 मई को पहली बार हुआ कि मां पास में कहीं गई थी। वह बिना टीका लगाकर घर से निकला और ऐसा हो गया। बचपन से लेकर आज तक कभी उसकी शिकायत नहीं आई। उसने कसम खाई थी कि मेरा कभी भी गलत काम में इन्वॉल्वमेंट नहीं था। मेरा बेटा बहुत अच्छा था।’
‘उल्टा सीधा न लिखें’
भावुक होते हुए सिद्धू के पिता ने कहा, ‘मेरा बच्चा संत था, उसने कभी किसी का नुकसान नहीं किया। मेरे बच्चे के बारे में उल्टा-सीधा न लिखें। सोशल मीडिया पर गलत न लिखें। सिद्धू को राजनीति में कोई लेकर नहीं आया, वह अपनी मर्जी से आया। मैंने भी उसे मना किया था कि तुम्हारी अलग पहचान है क्यों राजनीति में आना लेकिन उसका मन था और वह मर्जी से राजनीति में आया।’
‘मै कहता हूं कि अपनी अंतिम सांस तक सिद्धू को आपसे जोड़कर रखूंगा। कभी मेरे बेटे या मुझसे गलती हुई हो तो हमें माफ कर देना। मैं हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं।’ मां ने कहा, ‘मेरा बेटा कहीं नहीं गया, मुझे लगता है कि वह मेरे आसपास ही है। आज प्रदूषण बहुत बढ़ चुका है, मैं बस बच्चों और बुजुर्गों से अनुरोध करना चाहती हूं कि मेरे बेटे के नाम पर पेड़ लगाएं और उसे पाले पोसें।’