Monday Motivation: जिन्हें लगता है इंडस्ट्री में टिकने के लिए गॉडफादर चाहिए, उन्हें विजय राज के बारे में जान लेना चाहिए

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Monday Motivation: जिन्हें लगता है इंडस्ट्री में टिकने के लिए गॉडफादर चाहिए, उन्हें विजय राज के बारे में जान लेना चाहिए


Monday Motivation: जिन्हें लगता है इंडस्ट्री में टिकने के लिए गॉडफादर चाहिए, उन्हें विजय राज के बारे में जान लेना चाहिए

जिन लोगों को लगता है कि फिल्म इंडस्ट्री में टिकने और कदम जमाने के लिए एक गॉडफादर की जरूरत है। बिना गॉडफादर के आप कुछ नहीं कर सकते, उन्हें विजय राज (actor Vijay Raaz) के बारे में जरूर जान लेना चाहिए। विजय राज, हिंदी सिनेमा का वह कीमती हीरा हैं, जिसकी चमक वक्त के साथ और भी बढ़ती जा रही है। दो दशक से भी लंबे करियर में विजय राज ने कई ऐसे किरदार निभाए जो लोगों के दिलों में हमेशा के लिए बस गए। लोग उन्हें आज भी फिल्म ‘रन’ में निभाए कोआ बिरयानी के किरदार से याद करते हैं। हाल ही वह संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ (Gangubai Kathiawadi) में एक ट्रांसजेंडर के रोल में दिखे और सभी को चौंका दिया।

कड़ी मेहनत और लगन कभी बेकार नहीं जाती और यह बात विजय राज ने साबित की। आज मंडे मोटिवेशन (Monday Motivation) में हम आपको विजय राज की कहानी बताने जा रहे हैं। जिन्हें लगता है कि इंडस्ट्री में सिर्फ नेपोटिजम का डंका बजता है, उनकी आंखें विजय राज की कहानी से जरूर खुल जाएंगी। विजय राज सिर्फ ऐक्टिंग ही नहीं बल्कि अपनी दमदार आवाज के दम पर एडवर्टाइजिंग की दुनिया में छाए हुए हैं। विजय राज की ऐक्टिंग में इतने रंग हैं कि देखने वाला देखता ही रह जाता है। विजय राज आज जिस मुकाम पर हैं, वहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने बहुत दुख भरे दिन बिताए, पर कभी हिम्मत नहीं हारी।


जब बिस्किट खाकर गुजारे दिन, खराब थी हालत
Film Companion के मुताबिक, नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अपनी बायॉग्रफी में उन दिनों के बारे में बताया था जब वह और विजय राज रूममेट थे और हालत इतनी खराब थी कि पार्ले-जी बिस्किट खाकर गुजारा करते थे। लेकिन विजय राज ने खुद कभी अपने स्ट्रगल या मुश्किल भरे दिनों के बारे में कभी किसी को कुछ नहीं बताया। नवाज ने बताया था कि उनके और विजय राज के दिन इतने खराब थे कि वह नाश्ते से लेकर लंच और डिनर भी सिर्फ पार्ले-जी बिस्किट और चाय ही लेते थे। क्योंकि इतने पैसे ही नहीं थे कि खाने का जुगाड़ कर सकें। फिर वह वक्त भी आया जब बिस्किट भी निपट गए।

फिल्म धमाल के एक सीन में विजय राज


स्कूली पढ़ाई के बाद थिएटर

विजय राज पढ़ाई में अच्छे थे। उन्होंने दिल्ली से स्कूली और कॉलेज की पढ़ाई पूरी की। चूंकि ऐक्टिंग का चस्का था। कलाकार आदमी बनना था, इसलिए विजय राज कॉलेज में ही थिएटर ग्रुप से जुड़ गए। वह छोटे-मोटे नाटकों में हिस्सा लेने लगे। कॉलेज खत्म होते-होते विजय राज के मन में ऐक्टर बनने का ख्वाब पूरा रूप ले चुका था। उन्होंने ठान लिया था कि वह कुछ भी करके ऐक्टर बनकर रहेंगे।


नसीरुद्दीन शाह की बदौलत पहला मौका, खुली किस्मत

ऐक्टर बनने का ख्वाब आंखों में लिए विजय राज मुंबई आ गए। मुंबई आने से पहले विजय राज ने एनएसडी-नैशनल स्कूल ऑफ ड्रामा की Repertory Company में काम किया था। इसी के दौरान नसीरुद्दीन शाह की पहली मुलाकात विजय राज से हुई। नसीरुद्दीन शाह ने ही विजय राज का नाम फिल्म ‘भोपाल एक्सप्रेस’ के लिए सुझाया। यह 1999 की बात है। नसीरुद्दीन शाह उस वक्त ‘भोपाल एक्सप्रेस’ में काम कर रहे थे। नसीरुद्दीन शाह की बदौलत विजय राज को इस फिल्म में काम मिल गया। इस तरहविजय राज ने 1999 में बॉलिवुड की दुनिया में कदम रखे।

यूं बदली जिंदगी, छा गए विजय राज

इसके बाद 2000 में आई राम गोपाल वर्मा की फिल्म ‘जंगल’ से करियर की कायापलट ही हो गई। उन्होंने ‘मॉनसून वेडिंग’, ‘कंपनी’, ‘पांच’, ‘रोड’, ‘युवा’, ‘डेल्ही बेली’ और ‘स्त्री’ समेत दर्जनों फिल्में कीं। हर फिल्म में विजय राज के निभाए किरदार ने दर्शकों के दिलों में अलग जगह बनाई।

Vijay Raaz story of his struggle and stardom

विजय राज





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