मोदी सरकार की नयी तकनीक, नौकरियों में धोखाधड़ी की शिकायतों से दूर होंगे भारतीय

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देश में नौकरियों के मामले में धोखाधड़ी, फर्जीवाडा होने का खतरा हमेशा बना  रहता हैं. इस वजह से मोदी सरकार ने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में वहां की सरकार के साथ एक समझौता किया है. इस समझौते के तहत अगले कुछ महीनों में भारत के ई-माइग्रेट सिस्टम को यूएई के मानव संसाधन विकास मंत्रालय से जोड़ दिया जाएगा.

 

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मीडिया में लिए गए एक इंटरव्यू के मुताबिक (UAE) में  भारत के राजदूत नवदीप सिंह ने बताया, ‘हमने यूएई के राष्ट्रीय ई-माइग्रेट सिस्टम के साथ लिंक करने के लिए एक टेक्निकल ग्रुप बनाया है. मुझे उम्मीद है कि यह काम अगले तीन-चार महीने में हो जाएगा.’ उन्होंने बताया कि पीएम मोदी के यूएई यात्रा के दौरान ही अबू धाबी में इस बारे में समझौता हुआ है. सूरी ने बताया, ‘अक्सर भारतीयों के साथ ऐसा होता है. कोई व्यक्ति नौकरी के ऑफर में 2,000 दिरहम का कॅान्ट्रैक्ट हासिल करता है, लेकिन जब वह यूएई आता है तो उसे 1,500 दिरहम ही मिलते हैं. नई व्यवस्था से यह धोखाधड़ी खत्म हो जाएगी. हम ज्यादा से ज्यादा कामगारों को ई-माइग्रेट सिस्टम से जोड़ना चाहते हैं. तभी इसका पूरा फायदा मिल पाएगा.

जानकारी के मुताबिक भारतीय वर्कर्स को नौकरी देने वाले विदेशी एम्पलॉयर्स के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए साल 2015 में इंडियन ई-माइग्रेट सिस्टम लॉन्च किया गया था. इसके तहत ऐसे भारतीय नागरिक जिनके पासपोर्ट पर इमिग्रेशन चेक रिक्वायर्ड (ECN) का स्टाम्प लगा हुआ है, उन्हें अपना जॉब ऑफर ई-माइग्रेट सिस्टम से क्लियर कराना होता है. यह प्रक्रिया इसलिए शुरू की गई थी ताकि भारतीय कामगार दलालों के फर्जी ऑफर और धोखाधड़ी से बच सकें. अब तक इस सिस्टम में 40,000 विदेशी कंपनियों ने रजिस्ट्रेशन कराया है.

नए समझौते से फायदे

संबंधित विभागों के ई  -लिंक होने से भारत के इ -माइग्रेट सिस्टम में दर्ज होने वाली नौकरी UAE के सिस्टम में भी दिख जाएगी. जिसके तहत जॉब कॉन्ट्रैक्ट में किसी भी प्रकार की गलती उपभोक्ता के लिए भारी समस्या का बुलावा हो सकती है. इतना ही नहीं बल्कि पीड़ित पक्ष को क़ानूनी सरंक्षण के दायरे में आ जाएगा. दोनों देशों के डाटा बेस एक-दूसरे की मदद करेंगे. इससे मानव तस्करी पर भी अंकुश लगेगा और कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स के बीच शिक्षा और जागरूकता जैसे कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जा सकेगा