मिशन 2023: भाजपा की व्यूह रचना में हारी सीटों की बूथ मैपिंग, ताे कांग्रेस में निर्णय फीडबैक के आधार पर | Winning strategy of BJP and Congress for MP vidhansabha 2023 election | Patrika News h3>
भाजपा: हारी सीटों पर जीत की रणनीति, बाहर होंगे नॉन-परफॉर्मर– प्रदेश भाजपा ने मिशन 2023 के लिए चुनावी बिसात पर व्यूहरचना शुरू कर दी है। इसके तहत हारी सीटों के लिए अलग से रणनीति बनाई जा रही है। भाजपा जिन सीटों पर चुनाव हार गई थी, वहां अलग से बूथ मैपिंग से लेकर प्रभारियों के परफॉर्मेंस आंकलन तक होने लगा है।
तुलनात्मक अध्ययन कर होंगे बदलाव
चुनाव के हिसाब से इन सीटों के लिए आगामी रणनीति पर विचार-विमर्श और संगठनात्मक कसावट शुरू कर दी गई है। इसके तहत जिन सीटों पर हारे वहां सबसे ज्यादा फिसड्डी रहने वाले बूथों की टीम भी बदली जाएगी। इतना ही नहीं इन चुनाव परिणामों को नगरीय निकाय चुनाव परिणामों से भी तुलनात्मक अध्ययन करके बदलाव तय होंगे।
संगठनात्मक बदलाव की ओर
निकाय चुनाव परिणामों की रिपोर्ट आने के बाद संगठन की कसावट प्राथमिकता पर है। जो विधानसभा सीटें 2018 में हारी थी, वहां विशेष तौर पर अभी के परिणाम देखे जा रहे हैं। इन जगहों पर प्रभारी भी तैनात किए जाएंगे। जिन प्रभारियों ने अभी परफॉर्म नहीं किया है, उन्हें पद से हटाया जाएगा।
कसौटी पर इतने
1070- मंडल प्रभारी
3.5 लाख पन्ना प्रमुख
इनके अलावा जो 103 विधानसभा सीटें हारे थे, उनके प्रभारियों का आकलन किया जा रहा है।
उपचुनाव के परिणाम भी अहम
2018 में विधानसभा चुनाव में हारी सीटों के अलावा उपचुनाव में हारी सीटों को भी भाजपा ने प्राथमिकता पर रखा है। सत्ता परिवर्तन के बाद 28 सीटों के उपचुनाव में 9 भाजपा हार गई थी। इन पर असंतोष है, क्योंकि भाजपा के मूल कॉडर के नेता इन पर दावा कर रहे हैं। कांग्रेस से भाजपा में आने वाले विधायक इन सीटों पर हारे थे। अब दावेदारी में हैं। इन सीटों के बूथ की मैपिंग हो रही है।
कांग्रेस: संगठन की कसावट में जुटे नाथ, एनपी से ली जिम्मेदारी– मिशन 2023 पर काम कर रहे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ अब संगठन में कसावट लाने में जुटे हैं। संगठन में कसावट के बाद अगला कदम उठाया जाएगा। इसी को देखते हुए सख्त फैसले भी लिए जा रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक एनपी प्रजापति से मंडम्, सेक्टर का प्रभार वापस ले लिया है। अब यह जिम्मेदारी ग्वालियर के कद्दावर नेता अशोक सिंह को दी गई है। दिग्विजय सिंह के करीबी अशोक सिंह पार्टी में कोषाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
संगठन में जान फूंकने शुरू हुआ था काम
नाथ का प्रयास रहा है कि मंडलम्, सेक्टर और बूथ स्तर तक नए सिरे से संगठन खड़ा किया जाए। सक्रिय नेताओं को वरीयता दी गई। इसी को ध्यान में रख काम शुरू हुआ था।
निष्क्रियों को दी थी जिम्मेदारी
पार्टी ने मंडलम्, सेक्टर और बूथ स्तर तक पदाधिकारी बनाए थे, लेकिन निकाय चुनाव में नजर नहीं आए। प्रत्याशियों ने शिकायत भी की थी। आरोप लगा कि कई जगह निष्क्रिय लोगों को पदाधिकारी बना दिया गया। आखिरकार नाथ ने एनपी से मंडलम्, सेक्टर के प्रभार की जिम्मेदारी वापस ले ली।
सक्रिय को मौका
1956- सेक्टर प्रभारी
978 मंडलम् प्रभारी
विस क्षेत्रों से फीडबैक के आधार पर निष्क्रिय पदाधिकारियों को हटाकर सक्रिय को मौका दिया जाएगा।
किचन कैबिनेट में रहे प्रजापति
दिग्विजय सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे नर्मदा प्रसाद प्रजापति कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में विधानसभा अध्यक्ष भी रहे। कांग्रेस सरकार जाने के बाद भी एनपी कमलनाथ की किचन कैबिनेट में शामिल रहे, इसलिए उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाती रही। सूत्रों का कहना है कि उम्मीदों पर खरे नहीं उतरने के कारण एनपी से कहा गया है कि वे अब अपना विधानसभा क्षेत्र संभालें। वहां सक्रियता से काम करें।
भाजपा: हारी सीटों पर जीत की रणनीति, बाहर होंगे नॉन-परफॉर्मर– प्रदेश भाजपा ने मिशन 2023 के लिए चुनावी बिसात पर व्यूहरचना शुरू कर दी है। इसके तहत हारी सीटों के लिए अलग से रणनीति बनाई जा रही है। भाजपा जिन सीटों पर चुनाव हार गई थी, वहां अलग से बूथ मैपिंग से लेकर प्रभारियों के परफॉर्मेंस आंकलन तक होने लगा है।
तुलनात्मक अध्ययन कर होंगे बदलाव
चुनाव के हिसाब से इन सीटों के लिए आगामी रणनीति पर विचार-विमर्श और संगठनात्मक कसावट शुरू कर दी गई है। इसके तहत जिन सीटों पर हारे वहां सबसे ज्यादा फिसड्डी रहने वाले बूथों की टीम भी बदली जाएगी। इतना ही नहीं इन चुनाव परिणामों को नगरीय निकाय चुनाव परिणामों से भी तुलनात्मक अध्ययन करके बदलाव तय होंगे।
संगठनात्मक बदलाव की ओर
निकाय चुनाव परिणामों की रिपोर्ट आने के बाद संगठन की कसावट प्राथमिकता पर है। जो विधानसभा सीटें 2018 में हारी थी, वहां विशेष तौर पर अभी के परिणाम देखे जा रहे हैं। इन जगहों पर प्रभारी भी तैनात किए जाएंगे। जिन प्रभारियों ने अभी परफॉर्म नहीं किया है, उन्हें पद से हटाया जाएगा।
कसौटी पर इतने
1070- मंडल प्रभारी
3.5 लाख पन्ना प्रमुख
इनके अलावा जो 103 विधानसभा सीटें हारे थे, उनके प्रभारियों का आकलन किया जा रहा है।
उपचुनाव के परिणाम भी अहम
2018 में विधानसभा चुनाव में हारी सीटों के अलावा उपचुनाव में हारी सीटों को भी भाजपा ने प्राथमिकता पर रखा है। सत्ता परिवर्तन के बाद 28 सीटों के उपचुनाव में 9 भाजपा हार गई थी। इन पर असंतोष है, क्योंकि भाजपा के मूल कॉडर के नेता इन पर दावा कर रहे हैं। कांग्रेस से भाजपा में आने वाले विधायक इन सीटों पर हारे थे। अब दावेदारी में हैं। इन सीटों के बूथ की मैपिंग हो रही है।
कांग्रेस: संगठन की कसावट में जुटे नाथ, एनपी से ली जिम्मेदारी– मिशन 2023 पर काम कर रहे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ अब संगठन में कसावट लाने में जुटे हैं। संगठन में कसावट के बाद अगला कदम उठाया जाएगा। इसी को देखते हुए सख्त फैसले भी लिए जा रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक एनपी प्रजापति से मंडम्, सेक्टर का प्रभार वापस ले लिया है। अब यह जिम्मेदारी ग्वालियर के कद्दावर नेता अशोक सिंह को दी गई है। दिग्विजय सिंह के करीबी अशोक सिंह पार्टी में कोषाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
संगठन में जान फूंकने शुरू हुआ था काम
नाथ का प्रयास रहा है कि मंडलम्, सेक्टर और बूथ स्तर तक नए सिरे से संगठन खड़ा किया जाए। सक्रिय नेताओं को वरीयता दी गई। इसी को ध्यान में रख काम शुरू हुआ था।
निष्क्रियों को दी थी जिम्मेदारी
पार्टी ने मंडलम्, सेक्टर और बूथ स्तर तक पदाधिकारी बनाए थे, लेकिन निकाय चुनाव में नजर नहीं आए। प्रत्याशियों ने शिकायत भी की थी। आरोप लगा कि कई जगह निष्क्रिय लोगों को पदाधिकारी बना दिया गया। आखिरकार नाथ ने एनपी से मंडलम्, सेक्टर के प्रभार की जिम्मेदारी वापस ले ली।
सक्रिय को मौका
1956- सेक्टर प्रभारी
978 मंडलम् प्रभारी
विस क्षेत्रों से फीडबैक के आधार पर निष्क्रिय पदाधिकारियों को हटाकर सक्रिय को मौका दिया जाएगा।
किचन कैबिनेट में रहे प्रजापति
दिग्विजय सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे नर्मदा प्रसाद प्रजापति कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में विधानसभा अध्यक्ष भी रहे। कांग्रेस सरकार जाने के बाद भी एनपी कमलनाथ की किचन कैबिनेट में शामिल रहे, इसलिए उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाती रही। सूत्रों का कहना है कि उम्मीदों पर खरे नहीं उतरने के कारण एनपी से कहा गया है कि वे अब अपना विधानसभा क्षेत्र संभालें। वहां सक्रियता से काम करें।