P-305 rescue operation: ‘शाम 6 बजे समंदर में कूदे, अगली सुबह नेवी ने हमें बचाया’, P-305 सवार सदस्यों ने बताया मौत से जंग के बीच कैसे बीते वो पल
हाइलाइट्स:
- ताउते तूफान में डूबे बजरा (बार्ज) पी-305 से अब तक 186 लोगों बचा लिया गया, 26 लोगों की मौत
- दहिसर निवासी सुनील कुमार ने बार्ज डूबने से पहले अपने 11 साथियों के साथ पानी में छलांग लगा दी थी
- सुनील 8 घंटे तक पानी में तैरते रहे और अगली सुबह नेवी ने उन्हें बचा लिया, सुनील का सारा सामान डूब गया
मुंबई
मुंबई के दहिसर निवासी सुनील कुमार मधेसिया 17 मई सोमवार का दिन कभी नहीं भूल सकते। ताउते तूफान से जब उनका बार्ज P-305 डूबने लगा था, तो जान बचाने को उन्होंने अपने 11 साथियों के साथ समुद्र में छलांग लगा दी थी। उस पल को याद करते हुए मधेसिया कहते हैं, ‘मेरे पास मेरा पासपोर्ट, बैग, आधार कार्ड, मोबाइल फोन था लेकिन अब सबकुछ खो गया है। मैं बता नहीं सकता कि हम पर क्या बीती है। दो लोग जो हमारे साथ पानी में कूदे थे, वे अब तक मिले नहीं हैं।’
मधेसिया के साथ 185 दूसरे लोगों को सैन्य बलों ने रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया है। तूफान में बचाकर लाए गए अधिकतर लोगों का कहना है, ‘दुआ, उम्मीद, पानी में संघर्ष और हमारे प्रियजनों की यादें हमें वापस ले आईं।’ नौसेना ने अपने गोताखोरों, लाइफ गार्ड, रडार, सर्चलाइट, माइक्रोफोन और दूसरे साधनों का रेस्क्यू ऑपरेशन में इस्तेमाल किया।
‘ऊंची लहरें उठ रही थीं, हमें लगा कि हम मर जाएंगे’
मधेसिया (22) यूपी के कुशीनगर से ताल्लुक रखते हैं और इसी महीने के आखिर में घर लौट रहे थे। वह कहते हैं, ‘हमें लगा कि हम इस तूफान में मर जाएंगे। 8-10 मीटर ऊंची लहरें थीं और मौसम भी खराब था। मैं तैरने लगा और फिर उम्मीद की किरण दिखी जब नेवी ने हमें रेस्क्यू करना शुरू किया। मैंने सोमवार शाम 6 बजे के करीब समुद्र में छलांग लगाई, उस वक्त मैं लाइफ जैकेट पहने हुए था, मैं अगली सुबह बच पाया। हमारी जान बचाने के लिए मैं नेवी का धन्यवाद देना चाहता हूं।’
‘हमारे कई साथियों की जान चली गई, इसका जिम्मेदार कौन?’
एक सर्वाइवर ने कहा, ‘मैं अब घर लौटना चाहता हूं।’ दूसरों ने कहा कि अब समुद्र में काम करने का उनका मन नहीं है। लगभग सभी बचाए गए ओएनजीसी कर्मियों ने पी-305 के प्रबंधन पर समय से पहले निकासी का निर्णय नहीं लेने का आरोप लगाया। एक क्रू मेंबर ने कहा, ‘हमें सूचित किया गया कि चक्रवात तूफान में बदल चुका है। हमारा बार्ज डूबने से दो घंटे पहले हम क्या कर सकते थे? यह कैप्टन और बार्ज प्रतिनिधि की ड्यूटी थी कि योजना बनाई जाए। हमारे कई साथियों की जान चली गई और दर्जन भर अभी भी लापता हैं। इसका जिम्मेदार कौन है?’
‘शाम को पानी में कूदे, अगले दिन हुआ रेस्क्यू’
सीनियर इंजीनियर इंद्रजीत शर्मा (33) ने बताया कि वह सोमवार शाम को पानी में कूद गए और 8 घंटे तक तैरते रहे, जब तक कि उन्हें रेस्क्यू नहीं किया गया। शर्मा ने बताया कि बार्ज के 8 एंकर थे। प्रत्येक एंकर 7 से 10 टन का था। सभी एंकर कथित रूप से टूट गए।
‘हम इतना थक चुके थे कि रस्सी पकड़ने की ताकत नहीं बची थी’
दूसरे सर्वाइवर शैलेंद्र मिश्रा (27) ने बताया, ‘मैं बार्ज के पहले तल पर था और पानी में कूद गया था। कई लोगों की डर के चलते मौत हो गई।’ मैथ्यु थॉमस (50) ने बताया कि वह 22 सालों से ऑयल रिग पर काम कर रहे हैं लेकिन इस तरह की भयावह घटना कभी नहीं देखी। थॉमस करीब 14 घंटे तक पानी में रहे। राम सुरेमन ने बताया, ‘आईएनएस कोच्चि से एक रस्सी फेंकी गई लेकिन हम इतना थके चुके थे कि रस्सी पकड़ने की ताकत नहीं थी। फिर भी जान बचाने के लिए हम कुछ भी कर सकते हैं।’
बार्ज को शिफ्ट क्यों नहीं किया गया, जांच शुरू
पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय के आदेश के बाद डीजी शिपिंग अमिताभ कुमार ने उस घटना की जांच शुरू कर दी है जिसके चलते बार्ज पी 305 सवार क्रू सदस्य पानी में डूब गए। कोस्ट गार्ड ने भी सवाल उठाए कि डूबने से पहले बार्ज को सुरक्षित स्थान पर क्यों नहीं लाया गया जबकि 11 मई को ही चक्रवात के बारे में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया था। डीजी शिपिंग के नेतृत्व वाली कमिटी को एक महीने के अंदर रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। कोस्ट गार्ड इंस्पेक्टर जनरल आनंद बडोला ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘ओएनजीसी और बार्ज कंपनी को जवाब देना होगा कि अलर्ट वानिंग को गंभीरता से क्यों नहीं लिया गया।’
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