Medical Miracle: कर्नाटक में तीन साल के बच्चे ने निगली गणेश की मूर्ति, गले में फंसी… फिर डॉक्टरों ने ऐसे बचाई जान

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Medical Miracle: कर्नाटक में तीन साल के बच्चे ने निगली गणेश की मूर्ति, गले में फंसी… फिर डॉक्टरों ने ऐसे बचाई जान

Medical Miracle: कर्नाटक में तीन साल के बच्चे ने निगली गणेश की मूर्ति, गले में फंसी… फिर डॉक्टरों ने ऐसे बचाई जान

हाइलाइट्स

  • कर्नाटक में तीन साल का बच्चा गणेश की मूर्ति के साथ खेल रहा था
  • माता-पिता देखते रहे और उसने निगल ली मूर्ति
  • 4 इंच की मूर्ति बच्चे के गले में फंसी और अटकी जान

बेंगलुरु
कर्नाटक में एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। यहां तीन साल के बच्चे ने 4 सेंटीमीटर लंबी गणेश मूर्ति निगल ली। बच्चे को आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने बिना देरी किए बच्चे का प्रॉसिजर किया और गले में फंसी मूर्ति बाहर निकाली। बच्चे को शाम चार बजे अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई। अब उसकी हालत ठीक है।

बच्चे को ओल्ड एयरपोर्ट रोड के मणिपाल अस्पताल सुबह करीब 8.39 बजे लाया गया। उसे लार निगलने में दिक्कत हो रही थी। बच्चे के माता-पिता ने बताया कि वह गणेश की मूर्ति के साथ खेल रहा था, तभी गलती से मूर्ति निगल गया। जब डॉक्टरों ने लड़के की और जांच की, तो उन्होंने पाया कि मूर्ति खाने की नली के ऊपरी हिस्से में फंसी हुई है।

3 घंटे निगरानी में रखा गया बच्चा
बालक के गले में तेज दर्द हो रहा था। एंडोस्कोपिक प्रक्रिया से मूर्ति को उसके भोजन नली से लगभग 9.30 बजे हटा दिया गया था। प्रोसिजर के बाद बच्चे को तीन घंटे तक निगरानी में रखा गया और शाम को छुट्टी दे दी गई।

लार निगलने में हो रही थी कठिनाई
मणिपाल अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. श्रीकांत केपी ने कहा कि बच्चे की ऊपरी छाती में दर्द हो रहा था। उसे निगलने में कठिनाई हो रही थी। उसकी छाती और गर्दन का एक्स-रे किया गया। बच्चे को एंडोस्कोपी सूट में ले जाया गया और एक घंटे के भीतर मूर्ति के बाहर निकाल लिया गया।

हो सकता था बच्चे की जान को खतरा
डॉक्टर ने बताया कि मूर्ति जहां फंसी थी, वहां से सीधे हटाने से भोजन नली में चोट लग जाती। ऐसे मामलों में, हम भोजन नली में नुकीली वस्तुओं से बचने की कोशिश करते हैं। गला एक बहुत ही जटिल संरचना है जिसमें एक भोजन नली, श्वासनली और रक्त वाहिकाएं होती हैं। इसलिए, हमने मूर्ति को पेट के नीचे धकेला, उसकी स्थिति को उलट दिया और एंडोस्कोपी के माध्यम से उसे बाहर निकाला।

4 घंटे बाद पिलाया गया दूध

इसके बाद, लड़के को निगरानी में रखा गया और चार घंटे के बाद उसे दूध पिलाया गया। डॉक्टरों ने बताया कि यदि लड़के को तत्काल चिकित्सा सहायता नहीं मिली होती, तो इससे अन्नप्रणाली में चोट लग जाती। इससे छाती में संक्रमण हो जाता और खाने की नली में छेद हो जाता।

बच्चे के गले से निकाली गई मूर्ति, एक्सरे

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