Maharashtra Politics: सबसे कमजोर उद्धव ठाकरे खेमे को क्यों 21 सीटें? अघाड़ी का मिशन-2024 फॉर्म्यूला जानिए

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Maharashtra Politics: सबसे कमजोर उद्धव ठाकरे खेमे को क्यों 21 सीटें? अघाड़ी का मिशन-2024 फॉर्म्यूला जानिए

Maharashtra Politics: सबसे कमजोर उद्धव ठाकरे खेमे को क्यों 21 सीटें? अघाड़ी का मिशन-2024 फॉर्म्यूला जानिए


मुंबई: साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी ने शिंदे- बीजेपी गठबंधन को चारों खाने चित करने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। इतना ही नहीं एमवीए के तीनों घटक दलों (उद्धव गुट, कांग्रेस और एनसीपी) ने मिलकर राज्य की 48 लोकसभा सीटों के लिए सीट शेयरिंग का फॉर्मूला भी तय कर लिया है। बीते कसबा उपचुनाव की तरह आगामी लोकसभा चुनाव भी एकसाथ लड़ने की बात तय हुई है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सीट शेयरिंग में उद्धव गुट की शिवसेना को सबसे ज्यादा 21 सीटें दी गयीं हैं। वहीं एनसीपी को 19 सीटें मिली हैं जबकि कांग्रेस को 8 सीटें दी गई हैं। हालांकि, यह फॉर्मूला अभी तक औपचारिक रूप से घोषित नहीं हुआ है। कहा जा रहा है कि यह फॉर्मूला एमवीए की हालिया बैठक में तय हुआ है। तीनों दलों के एकसाथ चुनाव लड़ने की वजह से शिंदे- बीजेपी गठबंधन को कड़ी चुनौती मिल रही है। उपचुनाव में मिली सफलता के बाद महाविकास अघाड़ी के हौसले बुलंद हैं।

मुंबई और उपनगर में लोकसभा की 6 सीटें हैं जिसमें से चार सीटें उद्धव गुट की शिवसेना को देने की बात सामने आई है। बची हुई दो सीटों में से एक कांग्रेस और एक एनसीपी को देने पर चर्चा हुई है। बैठक में कांग्रेस को उत्तर मुंबई और एनसीपी को ईशान्य मुंबई से चुनाव लड़ने की बात कही गई है। हालांकि, सवाल यह भी है कि उद्धव ठाकरे के खेमा बगावत के बाद पहले जितना मजबूत नहीं रहा है। ऐसे में उन्हें चुनाव में इतनी सीटें क्यों दी जा रही हैं।

शिवसेना को सबसे ज्यादा सीटें क्यों?
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में एमवीए के घटक दलों में अविभाजित शिवसेना ने 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं एनसीपी के 4 और कांग्रेस को केवल एक सीट पर जीत मिली थी। कहा जा रहा है कि इसी वजह से उद्धव गुट को 21 सीटें देने की चर्चा हुई है। महाराष्ट्र में शिवसेना और बीजेपी वाला हिंदू समाज दोनों पार्टियों को अपने हिसाब से वोट देता है। ऐसे में हिंदुत्व के मुद्दे को ध्यान में रखते हुए भी शिवसेना को इतनी सीटें देने की बात सामने आई है। एमवीए को लगता है कि इस चुनाव में शिवसेना को और भी ताकत देकर बीजेपी के रथ को रोका जा सकता है। अगर शिवसेना ने किसी अन्य दल के साथ गठबंधन किया तो उन्हें अपने कोटे में से ही उन्हें सीटें देनी होंगी।

हालांकि, इस पूरे फॉर्मूले पर किसी भी दल के नेता ने हामी नहीं भरी है। माना जा रहा है कि आने वाले समय में होने वाली एमवीए की बैठक में यह इसपर औपचारिक मोहर लग जाएगी। यह कहा जा रहा है कि जिस सीट पर जिस पार्टी का प्रभुत्व है उसे वहां से लड़ने दिया जाएगा। फिलहाल पांच से छह सीटों पर अभी भी एकमत न होने की भी बात है जो जल्द सुलझा ली जाएगी।

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