Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की राजनीति का नया ट्रेंड, शिंदे सरकार ने फटाफट पलट डाले उद्धव सरकार के 6 फैसले h3>
मुंबई: महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे नेतृत्व वाली सरकार ने सीबीआई को राज्य के मामलों की जांच करने और एफआईआर दर्ज करने की आम मंजूरी दी। इसी के साथ शिंदे सरकार ने पूर्ववर्ती महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार के कम से कम आधे दर्जन निर्णयों पर रोक लगा दी है या उन्हें पलट दिया है। महाराष्ट्र की राजनीति में एक ट्रेंड देखने को मिल रहा है कि सत्ता में आते ही नई सरकार पिछली सरकार के फैसले बदल देती है।
सीबीआई के बारे में राज्य सरकार का फैसला अहम है क्योंकि एमवीए सरकार ने इस जांच एजेंसी को आम मंजूरी यह कहते हुए वापस ले ली थी कि ‘राजनीतिक नफा-नुकसान के लिए इसका दुरुपयोग किया जा रहा है।’ सत्ता में आने के बाद शिंदे-फडणवीस सरकार पिछली सरकार के 6 फैसले पलट चुकी है।
कौन-कौन से फैसले पलटे
उदाहरण के लिए इन फैसलों में कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) बाजारों में किसानों के मताधिकार की बहाली, इमर्जेंसी के दौरान जेल में डाल दिए गए लोगों के लिए पेंशन दोबारा शुरू करना, लोगों के बीच से ग्राम प्रमुख और निगम परिषद अध्यक्षों का निर्वाचन और आरे में मेट्रो 3 कार शेड बनाना शामिल हैं।
ये फैसले 2014-19 में बीजेपी-शिवसेना की तत्कालीन सरकार ने लिए थे जिस एमवीए सरकार ने पलट दिया था। इसलिए जब डेप्युटी सीएम देवेंद्र फडणवीस से पिछली सरकार के फैसले बदलने के बार में पूछा गया तो उन्होंने कहा, एमवीए ने सत्ता में आने पर हमारे सारे फैसले पलट दिए थे हालांकि हम अनुचित नहीं करेंगे और अगर वे (एमवीए) कोई आपत्ति जताएंगे तो हम देखेंगे।
एनसीपी ने किया था विरोध
फडणवीस का यह बयान वार्षिक जिला योजनाओं (डीपीडीसी-जिला योजना और विकास समितियों) के नए प्रस्तावों पर रोक लगाने पर एनसीपी के आपत्ति जताने के बाद आया। योजना में जिलों में खर्च करने के लिए 13,000 करोड़ रुपये का प्रस्ताव था। इस पर काफी बवाल हुआ था और आरोप लगाया गया था कि अधिकांश एनसीपी नियंत्रित क्षेत्रों में ही फायदा पहुंचाया जा रहा है जो कि पार्टी को लाभ देने के लिए है।
वर्तमान सरकार ने इस महीने के शुरू में सत्ता में 100 दिन पूरे कर लिए हैं। शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के विरूद्ध एकनाथ शिंदे के बगावत करने तथा पार्टी के 55 में 44 विधायकों के साथ एक अलग धड़ा बना लेने के बाद एमवीए सरकार गिर गई थी और वर्तमान सरकार अस्तित्व में आयी थी। शिंदे ने इस साल जून में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने थे।
नवंबर, 2019 में सत्ता में आने के बाद शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की एमवीए सरकार ने पिछली बीजेपी -शिवसेना सरकार के कुछ खास नीतिगत निर्णय पलट दिए थे। बीजेपी-शिवसेना सरकार के अगुवा देवेंद्र फडणवीस थे। शिंदे सरकार ने उन चार नीतिगत निर्णयों को वापस लाने का फैसला किया जो 2014-2019 के दौरान फडणवीस सरकार की ओर से लिए गए थे लेकिन बाद में एमवीए सरकार ने इन्हें रद्द कर दिया था।
एमवीए ने पलट दिए थे बीजेपी-शिवसेना सरकार के फैसले
महाराष्ट्र कृषि उपज एवं विपणन (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1963 में केवल ग्राम पंचायत, कृषि साख सोसाइटी एवं बहुद्देश्यीय सोसाइटियों के सदस्यों को ही समिति के सदस्यों के चुनाव की अनुमति थी लेकिन अगस्त, 2017 में बीजेपी -शिवसेना सरकार ने उस कानून में संशोधन कर किसानों को भी मताधिकार दिया था। उसे जनवरी, 2020 में एवीए सरकार ने रद्द कर दिया था।
शिंदे सरकार ने उन राजनीतिक कार्यकर्ताओं की पेंशन भी बहाल की है जिन्हें आपातकाल में जेल में डाल दिया गया था। वर्ष 2017 में पहली बार फडणवीस सरकार ने यह फैसला किया था जिसे एमवीए सरकार ने 2020 में पलट दिया था और दावा किया था कि ज्यादातर लाभार्थी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता हैं।
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सीबीआई के बारे में राज्य सरकार का फैसला अहम है क्योंकि एमवीए सरकार ने इस जांच एजेंसी को आम मंजूरी यह कहते हुए वापस ले ली थी कि ‘राजनीतिक नफा-नुकसान के लिए इसका दुरुपयोग किया जा रहा है।’ सत्ता में आने के बाद शिंदे-फडणवीस सरकार पिछली सरकार के 6 फैसले पलट चुकी है।
कौन-कौन से फैसले पलटे
उदाहरण के लिए इन फैसलों में कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) बाजारों में किसानों के मताधिकार की बहाली, इमर्जेंसी के दौरान जेल में डाल दिए गए लोगों के लिए पेंशन दोबारा शुरू करना, लोगों के बीच से ग्राम प्रमुख और निगम परिषद अध्यक्षों का निर्वाचन और आरे में मेट्रो 3 कार शेड बनाना शामिल हैं।
ये फैसले 2014-19 में बीजेपी-शिवसेना की तत्कालीन सरकार ने लिए थे जिस एमवीए सरकार ने पलट दिया था। इसलिए जब डेप्युटी सीएम देवेंद्र फडणवीस से पिछली सरकार के फैसले बदलने के बार में पूछा गया तो उन्होंने कहा, एमवीए ने सत्ता में आने पर हमारे सारे फैसले पलट दिए थे हालांकि हम अनुचित नहीं करेंगे और अगर वे (एमवीए) कोई आपत्ति जताएंगे तो हम देखेंगे।
एनसीपी ने किया था विरोध
फडणवीस का यह बयान वार्षिक जिला योजनाओं (डीपीडीसी-जिला योजना और विकास समितियों) के नए प्रस्तावों पर रोक लगाने पर एनसीपी के आपत्ति जताने के बाद आया। योजना में जिलों में खर्च करने के लिए 13,000 करोड़ रुपये का प्रस्ताव था। इस पर काफी बवाल हुआ था और आरोप लगाया गया था कि अधिकांश एनसीपी नियंत्रित क्षेत्रों में ही फायदा पहुंचाया जा रहा है जो कि पार्टी को लाभ देने के लिए है।
वर्तमान सरकार ने इस महीने के शुरू में सत्ता में 100 दिन पूरे कर लिए हैं। शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के विरूद्ध एकनाथ शिंदे के बगावत करने तथा पार्टी के 55 में 44 विधायकों के साथ एक अलग धड़ा बना लेने के बाद एमवीए सरकार गिर गई थी और वर्तमान सरकार अस्तित्व में आयी थी। शिंदे ने इस साल जून में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने थे।
नवंबर, 2019 में सत्ता में आने के बाद शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की एमवीए सरकार ने पिछली बीजेपी -शिवसेना सरकार के कुछ खास नीतिगत निर्णय पलट दिए थे। बीजेपी-शिवसेना सरकार के अगुवा देवेंद्र फडणवीस थे। शिंदे सरकार ने उन चार नीतिगत निर्णयों को वापस लाने का फैसला किया जो 2014-2019 के दौरान फडणवीस सरकार की ओर से लिए गए थे लेकिन बाद में एमवीए सरकार ने इन्हें रद्द कर दिया था।
एमवीए ने पलट दिए थे बीजेपी-शिवसेना सरकार के फैसले
महाराष्ट्र कृषि उपज एवं विपणन (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1963 में केवल ग्राम पंचायत, कृषि साख सोसाइटी एवं बहुद्देश्यीय सोसाइटियों के सदस्यों को ही समिति के सदस्यों के चुनाव की अनुमति थी लेकिन अगस्त, 2017 में बीजेपी -शिवसेना सरकार ने उस कानून में संशोधन कर किसानों को भी मताधिकार दिया था। उसे जनवरी, 2020 में एवीए सरकार ने रद्द कर दिया था।
शिंदे सरकार ने उन राजनीतिक कार्यकर्ताओं की पेंशन भी बहाल की है जिन्हें आपातकाल में जेल में डाल दिया गया था। वर्ष 2017 में पहली बार फडणवीस सरकार ने यह फैसला किया था जिसे एमवीए सरकार ने 2020 में पलट दिया था और दावा किया था कि ज्यादातर लाभार्थी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता हैं।
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