Maharashtra Politics: महागठबंधन की राह पर महाअघाड़ी? जब ऐसे ही लालू के पांव तले से खींच ली थी नीतीश ने सत्ता h3>
पटना: महागठबंधन को मराठी में महाअघाड़ी कहते हैं… मतलब नाम बदल गया है मगर मायने वही हैं। यूं समझिए कि महाअघाड़ी का भविष्य मंगलवार की सुबह से ही अचानक संकट में दिखने लगा जब नाराज एकनाथ शिंदे कुल 11 शिवसेना विधायकों को लेकर गुजरात पहुंच गए। सूरत के एक होटल में एकनाथ शिंदे के साथ इतने विधायकों के पहुंचते ही करीब 280 किमी दूर मुंबई में खलबली मच गई। हाल ये हो गया कि शिवसेना सरकार बचाने के लिए शरद पवार खुद मैदान में उतर गए। लेकिन इसी बीच बिहार में जो कुछ भी 26 जुलाई को हुआ था लोगों को उसकी याद आने लगी। फर्क बस इतना है कि वो महागठबंधन था, ये महाअघाड़ी है।
महागठबंधन की राह पर महाअघाड़ी?
ये बताने से पहले हम एक बात साफ कह दें कि ये कोई भविष्यवाणी नहीं है और न ही हम किसी सरकार के टूटने का दावा कर रहे हैं। हम तो बस संयोग के हिसाब से जो कुछ चल रहा है, वही बता रहे हैं। खैर… मुद्दे पर लौटते हैं। वो तारीख थी 26 जुलाई 2017… दिन बुधवार। सुबह में लालू यादव ने दो टूक कह दिया था कि भ्रष्टाचार के मसले पर तेजस्वी यादव महागठबंधन सरकार से इस्तीफा नहीं देंगे। आगे कैसे-कैसे क्या हुआ ये एकदम टाइम के हिसाब से समझिए…
ऐसे घूम गया था सरकार का पहिया
दोपहर ढाई बजे, 26 जुलाई 2017- आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने मीडिया पर ही महागठबंधन को तुड़वाने की कोशिश करने का आरोप लगा दिया। उन्होंने यहां तक कह दिया कि ये तो मीडिया के दिमाग की उपज है, क्योंकि उनके और नीतीश के बीच सबकुछ ठीक है।
थोड़ी देर बाद ही लालू ने कहा कि तेजस्वी उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देंगे।
शाम के करीब 6:46 बजे, 26 जुलाई 2017- अचानक से नीतीश अपने आवास से निकले और राजभवन की तरफ बढ़ गए। वो राज्यपाल से मिले और अपना इस्तीफा सौंप दिया। हालांकि इससे पहले ये तय हो गया था कि कुछ बड़ा होने वाला है, क्योंकि अचानक से पटना प्रशासन ने सीएम आवास के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी थी और खुद तत्कालीन एसएसपी मनु महाराज वहां मौजूद थे।
शाम 7:09 बजे, 26 जुलाई 2017- नीतीश कुमार ने इस्तीफा दे दिया था यानि 2 साल से भी कम पुरानी महागठबंधन सरकार खत्म हो चुकी थी। इसी बीच ठीक 7 बजकर 9 मिनट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट किया। पहले नीचे वो ट्वीट पढ़िए… ( पाठकों के लिए लिंक और स्क्रीनशॉट दोनों हैं)
इस ट्वीट में लिखा था कि ‘देश के, विशेष रूप से बिहार के उज्जवल भविष्य के लिए राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर भ्रष्टाचार के खिलाफ एक होकर लड़ना,आज देश और समय की मांग है।’ इसके बाद ये तय हो गया कि बिहार में फिर से JDU और बीजेपी मिलकर NDA सरकार की वापसी करा रहे हैं। वो माहे जुलाई था, ये माहे जून है… वो महागठबंधन था और ये महाअघाड़ी है। ये कोई भविष्यवाणी नहीं, मगर एक जबर संयोग तो है ही।
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महागठबंधन की राह पर महाअघाड़ी?
ये बताने से पहले हम एक बात साफ कह दें कि ये कोई भविष्यवाणी नहीं है और न ही हम किसी सरकार के टूटने का दावा कर रहे हैं। हम तो बस संयोग के हिसाब से जो कुछ चल रहा है, वही बता रहे हैं। खैर… मुद्दे पर लौटते हैं। वो तारीख थी 26 जुलाई 2017… दिन बुधवार। सुबह में लालू यादव ने दो टूक कह दिया था कि भ्रष्टाचार के मसले पर तेजस्वी यादव महागठबंधन सरकार से इस्तीफा नहीं देंगे। आगे कैसे-कैसे क्या हुआ ये एकदम टाइम के हिसाब से समझिए…
ऐसे घूम गया था सरकार का पहिया
दोपहर ढाई बजे, 26 जुलाई 2017- आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने मीडिया पर ही महागठबंधन को तुड़वाने की कोशिश करने का आरोप लगा दिया। उन्होंने यहां तक कह दिया कि ये तो मीडिया के दिमाग की उपज है, क्योंकि उनके और नीतीश के बीच सबकुछ ठीक है।
थोड़ी देर बाद ही लालू ने कहा कि तेजस्वी उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देंगे।
शाम के करीब 6:46 बजे, 26 जुलाई 2017- अचानक से नीतीश अपने आवास से निकले और राजभवन की तरफ बढ़ गए। वो राज्यपाल से मिले और अपना इस्तीफा सौंप दिया। हालांकि इससे पहले ये तय हो गया था कि कुछ बड़ा होने वाला है, क्योंकि अचानक से पटना प्रशासन ने सीएम आवास के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी थी और खुद तत्कालीन एसएसपी मनु महाराज वहां मौजूद थे।
शाम 7:09 बजे, 26 जुलाई 2017- नीतीश कुमार ने इस्तीफा दे दिया था यानि 2 साल से भी कम पुरानी महागठबंधन सरकार खत्म हो चुकी थी। इसी बीच ठीक 7 बजकर 9 मिनट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट किया। पहले नीचे वो ट्वीट पढ़िए… ( पाठकों के लिए लिंक और स्क्रीनशॉट दोनों हैं)
इस ट्वीट में लिखा था कि ‘देश के, विशेष रूप से बिहार के उज्जवल भविष्य के लिए राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर भ्रष्टाचार के खिलाफ एक होकर लड़ना,आज देश और समय की मांग है।’ इसके बाद ये तय हो गया कि बिहार में फिर से JDU और बीजेपी मिलकर NDA सरकार की वापसी करा रहे हैं। वो माहे जुलाई था, ये माहे जून है… वो महागठबंधन था और ये महाअघाड़ी है। ये कोई भविष्यवाणी नहीं, मगर एक जबर संयोग तो है ही।