Maharashtra News: कैग का बहाना, उद्धव पर निशाना, BMC के कई अधिकारियों की नींद उड़ी, महाराष्ट्र में क्या चल रहा

0
Maharashtra News: कैग का बहाना, उद्धव पर निशाना, BMC के कई अधिकारियों की नींद उड़ी, महाराष्ट्र में क्या चल रहा

Maharashtra News: कैग का बहाना, उद्धव पर निशाना, BMC के कई अधिकारियों की नींद उड़ी, महाराष्ट्र में क्या चल रहा


मुंबई: बीएमसी प्रशासन पर अक्सर भ्रष्टाचार और ठेकेदारों से मिलीभगत के आरोप लगते हैं। अब नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की जांच रिपोर्ट के बाद इन आरोपों पर मुहर लग गई है। वहीं जांच के दायरे में बीएमसी के कई अधिकारी और नेता आ सकते हैं। उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सदन में कैग रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि इसकी प्रॉपर जांच कराई जाएगी। इसका असर बीएमसी के प्रस्तावित चुनाव पर भी पड़ सकता है। वहीं, राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कैग की रिपोर्ट तो सिर्फ बहाना है, बीजेपी और शिंदे गुट के निशाने पर उद्धव ठाकरे हैं। बीएमसी चुनाव से पहले अन्य एजेंसियों से भी आरोपों की जांच कराई जाएगी और इसके दायरे में बीएमसी के कई अधिकारी और उद्धव गुट के नेताओं के आने की आशंका है। कैग रिपोर्ट आने के बाद कई नेताओं और बीएमसी अधिकारियों की नींद उड़ गई है। बीजेपी और शिंदे गुट बीएमसी चुनाव में कैग की रिपोर्ट के आधार पर भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उद्धव गुट को घेरेगी। इस रिपोर्ट का जहां बीजेपी और शिंदे गुट को फायदा होगा, वहीं उद्धव गुट को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

आदित्य ठाकरे ने जताई नाराजगी
कैग रिपोर्ट सामने आने के बाद उद्धव ठाकरे गुट के विधायक आदित्य ठाकरे ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि हिम्मत है तो नासिक, नागपुर, ठाणे और नवी मुंबई मनपा के खर्च की कैग जांच करा कर दिखाएं। आदित्य ने कहा कि यह मुंबई को बदनाम करने और बीएमसी को खत्म करने की साजिश है। बता दें कि बीएमसी में लगभग 25 साल तक शिवसेना सत्ता में रही है। इस दौरान उसके साथ बीजेपी भी सत्ता की भागीदार रही है। लेकिन 2017 के बीएमसी चुनाव के बाद बीजेपी, शिवसेना के साथ बीएमसी की सत्ता में शामिल नहीं हुई। वर्ष 2019 में शिवसेना-बीजेपी के अलग होने के बाद से बीजेपी लगातार बीएमसी में भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही है।

बीजेपी का दावा है कि पिछले 25 साल में बीएमसी में करीब 3 लाख करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ है। बीजेपी नेता भ्रष्टाचार की शिकायत राज्यपाल, लोकायुक्त, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सहित बीएमसी कमिश्नर से करते रहे हैं। कोरोना संकट के बाद से वह करीब 5000 करोड़ रुपये का टेंडर रद्द करवा चुकी है। आखिरकार मुख्यमंत्री शिंदे ने पिछले वर्ष अक्टूबर में 28 नवंबर, 2019 से 31 अक्टूबर, 2022 के बीच बीएमसी के 9 विभागों में हुए खर्च की जांच का आदेश दिया गया था। जिसकी जांच रिपोर्ट शनिवार को सदन में पेश की गई। इस दौरान 7 मार्च, 2022 तक शिवसेना की सत्ता बीएमसी में थी।

रिपोर्ट में कई अनियमितताएं
कैग की जांच रिपोर्ट में बड़े पैमाने पर बीएमसी अधिकारियों की लापरवाही की बात सामने आई है। बिना टेंडर निकाले, बिना करार किए करीबियों को ठेके देने की बात उजागर हुई है। इसमें मीठी नदी की सफाई एवं कचरे से बिजली उत्पादन जैसे कार्यों में अनियमितता के आरोप शामिल हैं। वर्षों से सफाई की राह देख रही मीठी नदी में प्रदूषण नियंत्रण के लिए जुलाई 2019 में 4 कार्यों के लिए 4 ठेकेदारों को ठेका दिया गया। लेकिन सभी कार्य एक ही ठेकेदार को दिए गए। मालाड में पंपिंग स्टेशन के लिए अपात्र ठेकेदार को ठेका दे दिया गया, जिसे बीएमसी ने स्वयं ही 3 साल के लिए अपात्र घोषित किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह ठेका दुर्भावनापूर्ण इरादे से नहीं दिया गया है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। देवनार में वर्षों से कचरे से बिजली बनाने की योजना पर बीएमसी काम कर रही है, उस पर भी कैग ने उंगली उठाई है। केईएम हॉस्पिटल में हॉस्टल का काम बिना जिला कलेक्टर की अनुमति के शुरू कर दिया गया, जिसके लिए बीएमसी को 2.70 करोड़ रुपये का दंड भरना पड़ा है।

सड़कों के सीमेंटेड करने के काम में 51 कार्य बिना किसी सर्वे के शुरू किए गए हैं। 55 करोड़ रुपये का कार्य बिना नए टेंडर के पुराने कार्यों में जोड़े गए हैं। 2.40 करोड़ रुपये के माइक्रो सिलिका का इस्तेमाल नहीं किया गया। परेल टीटी फ्लाइओवर का 1.65 करोड़ का अतिरिक्त काम बिना टेंडर के किया गया। गोखले ब्रिज का 9.19 करोड़ का काम बिना टेंडर के किया गया। पुल गिराने के लिए करीब 2 करोड़ रुपये ज्यादा दिए गए। संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के नीचे बन रही दो टनल के लिए वन विभाग की मंजूरी न लेने के कारण लागत 4500 से 6322 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है।

राजनीति की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – राजनीति
News