भारत विश्वभर में अपने खूबसूरत और रहस्य से पूर्ण मंदिरों के लिए काफी प्रचलित है। ऐसा ही एक मंदिर है माँ बम्लेश्वरी का है जो छत्तीसगढ़ में पहाड़ों से घिरा हुआ है डोंगरगढ़ में स्थित है। आप जानकर हैरान रह जाएंगे की यह प्रख्यात मंदिर हजारों फीट की ऊंचाई पर है। यह मंदिर 2000 वर्ष से भी ज्यादा प्राचीन है। माँ बम्लेश्वरी के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु को लगभग 2 हज़ार सीढ़िया चढ़कर आना पड़ता होता है। प्राचीन समय में डोंगरगढ़ वैभवशाली कामाख्या नगरी के रूप में भी काफी मशहूर था। इस धार्मिक पर्यटन स्थल में हर साल हज़ारो की तादाद में भीड़ उमड़ती है। लेकिन लगभग दो हजार साल पहले माधवानल और कामकंदला की प्रेम कहानी से महकने वाली इस कामाख्या नगरी में नवरात्रि के दौरान काफी ज्यादा की तादाद में लोग माँ बम्लेश्वरी के दर्शन के लिए आते है।
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आपको बताना चाहेंगे की इस मंदिर का पट सुबह 4 बजे से ही खुल जाता है। दोपहर में 1 से 2 के बीच माता के द्वार का पट बंद किया जाता है, 2 बजे के बाद इसे रात के 10 बजे तक दर्शन के लिए खुला रखा जाता है। नवरात्री में ये मंदिर 24 घंटे खुला रहता है। मंदिर में प्रवेश करते ही भक्तों को सिंदूरी रंग में सजी मां बमलेश्वरी का भव्य रूप के दर्शन होते है। इतना ही नहीं मां बगलामुखी के दरबार में हवन करने की विधि भी काफी अनूठी है क्योंकि यहां हवन सामग्री में लाल मिर्च का उपयोग होता है। ऐसा माना जाता है की लाल मिर्च को शत्रु नाशक होता है, जिसका पूजा में इस्तेमाल करने से शत्रुओं का नाश हो जाता है।
मां बम्लेश्वरी के मंदिर में दो पहर होने वाली आरती का विशेष महत्व है। घंटी-घडियालों के बीच आरती की लौ के साथ श्रद्धालुओं की भीड़, माता के गीतों को गाते-गुनगुनाते हैं और माँ की भक्ति में सभी भक्तजन लीन हो जाते है , मानो माँ को सभी भक्तजन ने खुद को समर्पित कर दिया हो और माँ ने अपने सभी भक्तों के दुःख हर लिए हो। अगर आप कभी डोंगरगढ़ आये तो माँ बम्लेश्वरी के दर्शन जरूर करें। यहाँ जो भी सच्चे मन से माता के दर्शन करते है माँ उसकी मनोकमना जरूर पूर्ण करती है।