Lok Sabha Election : पहली बार चुनाव लड़ रहे बीजेपी प्रत्याशी को कांग्रेस के स्टाइलिश उम्मीदवार की चुनौती | Lok Sabha Election : Hoshangabad Narsinghpur Lok Sabha Seat | News 4 Social h3>
संजय शर्मा कांग्रेस, बीजेपी से बने विधायक
कांग्रेस के प्रत्याशी संजय शर्मा तेंदूखेड़ा विधानसभा से दो बार बीजेपी से विधायक रह चुके हैं। बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए थे। 2023 के विधानसभा चुनाव में वे तेंदूखेड़ा से फिर खड़े हुए पर बीजेपी के विश्वनाथ सिंह पटेल से 15 हजार वोटों से हार गए। तेंदूखेड़ा सीट होशंगाबाद नरसिंहपुर संसदीय क्षेत्र में ही आती है, इसलिए कांग्रेस ने उनपर अपना दांव लगाया है।
दर्शन चौधरी ने किसानों के लिए छोड़ दी शिक्षक की नौकरी
संजय शर्मा का मुकाबला बीजेपी प्रत्याशी दर्शन सिंह चौधरी से होगा। वे सालों से आरएसएस से जुड़े हैं और किसानों के लिए कार्य करते रहे हैं। दर्शन चौधरी सरकारी टीचर थे लेकिन बाद में उन्होंने नौकरी छोड़ दी। शिक्षकों और किसानों के लिए आंदोलन किए जिसमें कई बार जेल भी जाना पड़ा।
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होशंगाबाद नरसिंहपुर लोकसभा सीट पहले आम चुनाव से ही अस्तित्व में है।1951 के पहले आम चुनाव में यहां से कांग्रेस के सैयद अहमद जीते। 1952 में उपचुनाव हुआ जिसमें प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के हरिविष्णु कामथ ने जीत दर्ज की। 1957 में कांग्रेस की वापसी हुई लेकिन 1962 में फिर हरिविष्णु कामथ जीत गए। 1967 और 1971 के चुनाव में कांग्रेस के नीतिराज सिंह चौधरी जीते। 1977 में जनता पार्टी ने जीत दर्ज की तो 1980 और 1984 में कांग्रेस के रामेश्वर नीखरा जीतकर संसद पहुंचे।
1989 में बीजेपी के सरताज सिंह जीते और 1999 तक वे ही जीतकर लोकसभा जाते रहे। उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता अर्जुनसिंह को भी हरा दिया था। बीजेपी के दिग्गज पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा भी यहां से जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। 2009 में कांग्रेस के उदय प्रताप सिंह जीते लेकिन बाद में वे कांग्रेस में चले गए। 2014 और 2019 में उन्होंने यहां से बीजेपी प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की।
तीन जिलों की आठ विधानसभा शामिल, सभी पर बीजेपी काबिज
इस प्रकार 1951 से 2019 तक इस सीट के लिए 16 आम चुनाव हुए हैं। इनमें 6 बार कांग्रेस जीती जबकि बीजेपी ने 8 बार जीत दर्ज की। होशंगाबाद नरसिंहपुर लोकसभा सीट तीन जिलों की 8 विधानसभा सीटों से मिलकर बनी है।
इसमें नर्मदापुरम जिले की होशंगाबाद इटारसी विधानसभा, सोहागपुर, सिवनी-मालवा और पिपरिया विधानसभा सीट शामिल है जबकि नरसिंहपुर जिले की नरसिंहपुर, तेंदूखेड़ा और गाडरवारा विधानसभा तथा रायसेन जिले की उदयपुरा विधानसभा शामिल है। 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सभी 8 सीटों पर कब्जा किया।
2019 में बीजेपी की एकतरफा जीत
लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी प्रत्याशी उदयप्रताप सिंह की यहां से एकतरफा जीत हुई थी। बीजेपी प्रत्याशी उदयप्रताप सिंह को 8 लाख 77 हजार वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी दीवान शैलेंद्रसिंह को महज 3 लाख 24 हजार वोट ही मिल सके थे। इस प्रकार उदय प्रताप ने दीवान शैलेंद्र सिंह को 5 लाख 53 हजार वोटों के बड़े अंतर से हराया था।
विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सांसद उदय प्रताप सिंह को गाडरवारा सीट से उतार दिया। जीत के बाद उन्हें कैबिनेट मंत्री भी बनाया है। इस प्रकार होशंगाबाद नरसिंहपुर सीट पर इस बार लोकसभा चुनाव में दोनों दलों के नए प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। बीजेपी प्रत्याशी दर्शन सिंह चौधरी जहां आज तक पार्षद तक का चुनाव नहीं लड़े वहीं कांग्रेस प्रत्याशी संजय शर्मा को चुनावी राजनीति का लंबा अनुभव है।
दोनों के अलग अलग व्यक्तित्व
कांग्रेस और बीजेपी प्रत्याशियों के व्यक्तित्वों में जबर्दस्त अंतर है। संजय शर्मा बड़े कारोबारी भी हैं और स्टाइलिश जिंदगी जीते हैं। इधर दर्शन सिंह चौधरी लो प्रोफाइल रहकर समाज सेवा में सक्रिय रहे और अविवाहित हैं।
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संजय शर्मा कांग्रेस, बीजेपी से बने विधायक
कांग्रेस के प्रत्याशी संजय शर्मा तेंदूखेड़ा विधानसभा से दो बार बीजेपी से विधायक रह चुके हैं। बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए थे। 2023 के विधानसभा चुनाव में वे तेंदूखेड़ा से फिर खड़े हुए पर बीजेपी के विश्वनाथ सिंह पटेल से 15 हजार वोटों से हार गए। तेंदूखेड़ा सीट होशंगाबाद नरसिंहपुर संसदीय क्षेत्र में ही आती है, इसलिए कांग्रेस ने उनपर अपना दांव लगाया है।
दर्शन चौधरी ने किसानों के लिए छोड़ दी शिक्षक की नौकरी
संजय शर्मा का मुकाबला बीजेपी प्रत्याशी दर्शन सिंह चौधरी से होगा। वे सालों से आरएसएस से जुड़े हैं और किसानों के लिए कार्य करते रहे हैं। दर्शन चौधरी सरकारी टीचर थे लेकिन बाद में उन्होंने नौकरी छोड़ दी। शिक्षकों और किसानों के लिए आंदोलन किए जिसमें कई बार जेल भी जाना पड़ा।
होशंगाबाद नरसिंहपुर लोकसभा सीट पहले आम चुनाव से ही अस्तित्व में है।1951 के पहले आम चुनाव में यहां से कांग्रेस के सैयद अहमद जीते। 1952 में उपचुनाव हुआ जिसमें प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के हरिविष्णु कामथ ने जीत दर्ज की। 1957 में कांग्रेस की वापसी हुई लेकिन 1962 में फिर हरिविष्णु कामथ जीत गए। 1967 और 1971 के चुनाव में कांग्रेस के नीतिराज सिंह चौधरी जीते। 1977 में जनता पार्टी ने जीत दर्ज की तो 1980 और 1984 में कांग्रेस के रामेश्वर नीखरा जीतकर संसद पहुंचे।
1989 में बीजेपी के सरताज सिंह जीते और 1999 तक वे ही जीतकर लोकसभा जाते रहे। उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता अर्जुनसिंह को भी हरा दिया था। बीजेपी के दिग्गज पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा भी यहां से जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। 2009 में कांग्रेस के उदय प्रताप सिंह जीते लेकिन बाद में वे कांग्रेस में चले गए। 2014 और 2019 में उन्होंने यहां से बीजेपी प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की।
तीन जिलों की आठ विधानसभा शामिल, सभी पर बीजेपी काबिज
इस प्रकार 1951 से 2019 तक इस सीट के लिए 16 आम चुनाव हुए हैं। इनमें 6 बार कांग्रेस जीती जबकि बीजेपी ने 8 बार जीत दर्ज की। होशंगाबाद नरसिंहपुर लोकसभा सीट तीन जिलों की 8 विधानसभा सीटों से मिलकर बनी है।
इसमें नर्मदापुरम जिले की होशंगाबाद इटारसी विधानसभा, सोहागपुर, सिवनी-मालवा और पिपरिया विधानसभा सीट शामिल है जबकि नरसिंहपुर जिले की नरसिंहपुर, तेंदूखेड़ा और गाडरवारा विधानसभा तथा रायसेन जिले की उदयपुरा विधानसभा शामिल है। 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सभी 8 सीटों पर कब्जा किया।
2019 में बीजेपी की एकतरफा जीत
लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी प्रत्याशी उदयप्रताप सिंह की यहां से एकतरफा जीत हुई थी। बीजेपी प्रत्याशी उदयप्रताप सिंह को 8 लाख 77 हजार वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी दीवान शैलेंद्रसिंह को महज 3 लाख 24 हजार वोट ही मिल सके थे। इस प्रकार उदय प्रताप ने दीवान शैलेंद्र सिंह को 5 लाख 53 हजार वोटों के बड़े अंतर से हराया था।
विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सांसद उदय प्रताप सिंह को गाडरवारा सीट से उतार दिया। जीत के बाद उन्हें कैबिनेट मंत्री भी बनाया है। इस प्रकार होशंगाबाद नरसिंहपुर सीट पर इस बार लोकसभा चुनाव में दोनों दलों के नए प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। बीजेपी प्रत्याशी दर्शन सिंह चौधरी जहां आज तक पार्षद तक का चुनाव नहीं लड़े वहीं कांग्रेस प्रत्याशी संजय शर्मा को चुनावी राजनीति का लंबा अनुभव है।
दोनों के अलग अलग व्यक्तित्व
कांग्रेस और बीजेपी प्रत्याशियों के व्यक्तित्वों में जबर्दस्त अंतर है। संजय शर्मा बड़े कारोबारी भी हैं और स्टाइलिश जिंदगी जीते हैं। इधर दर्शन सिंह चौधरी लो प्रोफाइल रहकर समाज सेवा में सक्रिय रहे और अविवाहित हैं।