LOC पर दिखा चुके हैं ‘पराक्रम’…मनोज पांडे के रूप में पहली बार किसी इंजीनियर के हाथों में सेना की कमान

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LOC पर दिखा चुके हैं ‘पराक्रम’…मनोज पांडे के रूप में पहली बार किसी इंजीनियर के हाथों में सेना की कमान

LOC पर दिखा चुके हैं ‘पराक्रम’…मनोज पांडे के रूप में पहली बार किसी इंजीनियर के हाथों में सेना की कमान

नई दिल्ली: लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे (Lieutenant General Manoj Pandey) देश के नए आर्मी चीफ (Next Army Chief Of India) होंगे। 29 वें सेना प्रमुख के पद पर पहुंचने वाले वो पहले इंजीनियर (First Engineer) हैं। अब तक इन्फैंट्री, आर्टिलरी और आर्मर्ड अधिकारी ही सेना प्रमुख बनते रहे हैं। लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे जनरल एम. एम. नरवणे का स्थान लेंगे। लेफ्टिनेंट जनरल पांडे अभी थल सेना के उप-प्रमुख हैं। थल सेना का उप-प्रमुख बनने से पहले वह पूर्वी सैन्य कमांडर के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान नियंत्रण रेखा (LOC) पर इंजीनियर रेजिमेंट की कमान संभाली।

ऑपरेशन पराक्रम में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

दिसंबर 2001 में संसद पर हुए आतंकवादी हमले के बाद ऑपरेशन पराक्रम के तहत पश्चिमी सीमा पर हथियारों और सैनिकों की बड़े पैमाने पर तैनाती कर दी गई थी। इस घटना के वक्त भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध के हालात बन गए थे। लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे ने जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान नियंत्रण रेखा के पास इंजीनियर रेजिमेंट की कमान संभाली। इसके साथ ही वो पश्चिमी सेक्टर में एक इंजीनियर ब्रिगेड, एलओसी के साथ एक पैदल सेना ब्रिगेड और पश्चिमी लद्दाख के ऊंचाई वाले इलाके में एक पहाड़ी डिवीजन और पूर्वोत्तर में एक कोर की कमान संभाल चुके हैं।


शानदार सेवा के लिए हो चुके हैं सम्मानित

लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे का परिवार नागपुर से है। शुरुआती स्कूल की पढ़ाई के बाद उन्होंने नेशनल डिफेंस एकेडमी जॉइन किया। NDA के बाद उन्होंने इंडियन मिलिट्री एकेडमी जॉइन की। 3 मई 1987 को डेंटल कॉलेज की गोल्ड मेडलिस्ट अर्चना सल्पेकर से शादी की। उनकी शानदार सेवा के लिए उन्हें परम विशिष्ट सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, विशिष्ट सेवा पदक, थल सेना प्रमुख से प्रशस्ति पत्र आदि से सम्मानित किया जा चुका है।

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आतंकवाद के खिलाफ कई ऑपरेशन में रहे हैं शामिल

लेफ्टिनेंट जनरल पांडे को दिसंबर 1982 में बॉम्बे सैपर्स में कमीशन मिला था। अपने विशिष्ट करियर में, उन्होंने सभी प्रकार के इलाकों में पारंपरिक और साथ ही आतंकवाद विरोधी अभियानों में कई प्रतिष्ठित कमांड और स्टाफ संबंधी दायित्वों का निर्वहन किया है। वह संयुक्त राष्ट्र के कई मिशनों में भी योगदान दे चुके हैं। वह जून 2020 से मई 2021 तक अंडमान एवं निकोबार कमान के कमांडर इन चीफ भी रहे।



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