शराब सेहत के लिए हानिकारक है, फिर भी सरकारें क्यों इसे बेचने पर हैं मजबूर ?

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शराब सेहत के लिए हानिकारक है ? फिर भी सरकारें क्यों इसे बेचने पर हैं मजबूर ?

देशभर में कोरोना वायरस का प्रकोप कायम है , इसी कारण देश में लॉक डाउन जारी है , लोगो को सरकार द्वारा लॉक डाउन के तीसरे चरण में कुछ को ढील मिली है। इस लॉक डाउन में सबसे ज्यादा चर्चा का विषय शराब की दुकानें है। इन्हीं पर सबसे ज्यादा भीड़ भी देखी गई। और तो और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां भी यहीं उड़ीं। इस सत्यता से सभी लोग वाकिफ है कि शराब सहित के लिए हानिकारक है। और इस वक़्त देश में चल रही कोरोना की महामारी के सन्दर्भ में भी शराब शरीर के लिए ठीक नहीं है यह इम्यून सिस्टम को नुकसान पहुंच सकता है। लेकिन सवाल यह उठा रहा है कि शराब सेहत के लिए हानिकारक है, फिर भी सरकारें क्यों इसे बेचने पर हैं मजबूर?

wine shops in lockdown

आपको बताना चाहेंगे शराब की बिक्री से राज्यों को सालाना 24% तक की कमाई होती है। लॉक डाउन के कारण शराब की विक्री से राज्यों की अर्थव्यवस्था में सुधार देखा जा सकता है। स्टेट जीएसटी, लैंड रेवेन्यू, पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले वैट-सेल्स टैक्स राज्य सरकार के कमाई का मुख्य स्त्रोत होता है। एक्साइज ड्यूटी सरकार को होने वाली कुल कमाई का एक बड़ा हिस्सा होता है।

एक्साइज ड्यूटी सबसे ज्यादा शराब पर ही लगती है। क्योंकि, शराब और पेट्रोल-डीजल को जीएसटी से बाहर रखा गया है। इसलिए, राज्य सरकारें इन पर टैक्स लगाकर रेवेन्यू बढ़ाती हैं। देश में शराब की दुकाने खुलने के बाद में एक ही दिन में 554 करोड़ रुपए की शराब कि बिक्री हुई है।

wine shops open

पीआरएस इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकारों को सबसे ज्यादा कमाई स्टेट जीएसटी से होती है। इससे औसतन 43% का रेवेन्यू आता है। उसके बाद सेल्स-वैट टैक्स से औसतन 23% और स्टेट एक्साइज ड्यूटी से 13% की कमाई होती है। इनके अलावा, गाड़ियों और इलेक्ट्रिसिटी पर लगने वाले टैक्स से भी सरकारें कमाती हैं।

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देश भर में लॉकडाउन के कारण शराब भी बन होगयी थी। जिसके कारण राज्य सरकार ने रेवेनुए में भाड़ी मात्रा में नुकसान झेलना पड़ा द हिंदू के मुताबिक, शराब की बिक्री बंद होने से सभी राज्यों को रोजाना 700 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।