LG का आदेश- बिजली सब्सिडी का प्रस्ताव कैबिनेट से पास कराएं
राजनिवास सूत्रों के मुताबिक, एलजी ने चीफ सेक्रेटरी को लिखे नोट में कहा है कि साल 2020 में दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमिशन (डीईआरसी) ने सब्सिडी को लेकर सरकार को वैधानिक सलाह दी थी। जिसमें कहा गया था कि सब्सिडी उन गरीब व जरूरतमंदों को मिलनी चाहिए, जिन्हें वास्तव में इसकी जरूरत है। लेकिन, पावर सब्सिडी का फायदा उन्हें भी मिल रहा है, जो बिजली बिलों के भुगतान में सक्षम हैं।
डीईआरसी ने यह भी सुझाव दिया था कि जिनका सैंक्शन लोड 5 किलोवाट तक है, सब्सिडी उन तक ही सीमित रखने पर करीब 95 प्रतिशत उपभोक्ताओं को सब्सिडी का लाभ मिल जाएगा। सब्सिडी के रूप में सरकार हर साल जितने पैसे बिजली वितरण कंपनियों को देती है, उसमें करीब 316 करोड़ रुपये की बचत भी होगी। बचत किए गए पैसे का इस्तेमाल पेंशन ट्रस्ट के कर्मचारियों को पेंशन देने में किया जा सकता है। वित्तवर्ष 2019-20 में दिल्ली सरकार ने पावर सब्सिडी के रूप में बिजली वितरण कंपनियों को 2414.03 करोड़ रुपये दिए थे। लेकिन, दिल्ली सरकार ने कमिशन के इन सुझावों को खारिज कर सब्सिडी जारी रखी और इसके लिए कैबिनेट से भी कभी मंजूरी नहीं ली।
बिजली कंपनियों की शिकायत के बाद मामला सामने आया
दिल्ली में बिजली वितरण करने वाली कंपनियों बीआरपीएल व बीवाईपीएल ने बकाया सब्सिडी को लेकर जब चीफ सेक्रेटरी से शिकायत की, तब यह मामला सामने आया। मामला संज्ञान में आने के बाद चीफ सेक्रेटरी ने सब्सिडी के बारे में दिसंबर-2022 में एलजी को डिटेल रिपोर्ट दी, जिसमें कहा गया कि इस तरह किसी एजेंसी को पैसा देना व्यावसायिक लेन-देन नियमों का उलंघन है। चीफ सेक्रेटरी ने रिपोर्ट में डीईआरसी के उन सुझावों का भी उल्लेख किया, जिसमें आयोग ने सरकार से सब्सिडी 5 किलोवाट तक ही सीमित रखने की बात कही थी।
डीईआरसी ने 2019-20 में ऐसे किया था सब्सिडी का आकलन
डीईआरसी ने दिल्ली सरकार को दिए सुझाव में कहा था कि बीआरपीएल एरिया में 1 से 3 किलोवाट लोड वाले उपभोक्ताओं ने एक साल के दौरान करीब 5169.46 मेगा यूनिट बिजली खपत की, जिनका बिल करीब 2953.06 करोड़ रुपये का बना। जिस पर सरकार ने 930.85 करोड़ रुपये बिजली कंपनी को सब्सिडी दी। सभी वर्गों को मिलाकर सिर्फ बीआरपीएल उपभोक्ताओं के लिए दिल्ली सरकार ने 1109.65 करोड़ रुपये कंपनी को सब्सिडी के पैसे दिए। बीवाईपीएल उपभोक्ताओं के लिए कुल 657 करोड़ रुपये जारी किया गया। जिसमें से 1 से 3 किलोवाट लोड वाले उपभोक्ताओं के लिए सब्सिडी 586 करोड़ रुपये थी। टाटा पावर को सरकार ने सब्सिडी के लिए कुल 669 करोड़ रुपये दिए।