Kurhani UPChunav 2022 Ground Report: कुढ़नी के बुजुर्ग वोटर ने वर्चुअल प्रचार के तरीके को लेकर कर दी इतनी बड़ी बात h3>
मुजफ्फरपुर: कुढ़नी उपचुनाव में चुनाव आयोग की सख्ती ने प्रत्याशियों के प्रचार का जरिया दीवारों पर पार्टी और प्रत्याशियों के इश्तेहार लेखन पर रोक लग गई है। इस वजह से प्रत्याशी वर्चुअल प्रचार माध्यम से वोटरों को रिझा रहे हैं। इससे अब घरों की दीवारें तो नहीं रंग रही, लेकिन वर्चुअल दीवारों को प्रत्याशियों ने प्रचार और वादों से पाट दिया है। हालात यह है कि इंटरनेट मीडिया का कोई भी प्लेटफार्म हो, वाट्सएप, ट्विटर, फेसबुक, इस्टाग्राम, यूट्यूब या कुछ और, हर पार्टी और प्रत्याशी मतदाताओं तक पहुंचने के लिए इनका खूब सहारा ले रहे हैं। कई प्रत्याशी निजी टेलीफोन कंपनियों से संपर्क कर नियमित रूप से मतदाताओं को फोन करा कर और मैसेज से उन्हें अपने पक्ष में मतदान करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
साथ ही हर प्रत्याशी ने पार्टी के अलावा व्यक्तिगत स्तर पर अपनी मीडिया सेल बना ली है, जिसने वाट्सएप, ट्विटर, फेसबुक आदि प्लेटफार्म पर प्रचार की कमान संभाली है, ताकी कम समय में अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचा जा सके। कई प्रत्याशियों ने व्यक्तिगत सहायक को प्रचार की जिम्मेदारी सौंप दी है और वह उनके दौरों और व्यक्तिगत प्रचार लोगों तक पहुंचा रहा है।
कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र के महंत मनीयारी के राम बिंदु झा बताते हैं कि इस बार चुनाव प्रचार में पहले जैसी बात नहीं। पहले प्रत्याशी मतदान से दो-तीन महीने पहले पहले प्रचार शुरू कर देते थे। क्षेत्र में जनसंपर्क के साथ पोस्टर, बैनर और दीवारों को रंगकर प्रचार होता था। लेकिन अब माहौल पूरी तरह बदल चुका है और पहले की तरह चुनाव जैसा माहौल कहीं नजर नहीं आ रहा।
वह बताते हैं कि पहले चुनाव की आहट तीन-चार महीने पहले ही हो जाती थी। हर गली में प्रत्याशी रैलियां निकालते थे। पोस्टर, बैनर और झंडियां लगाई जाती थी। वॉल पेंटिंग होती थी, लेकिन इस बार भौतिक रूप से प्रचार अब तक नजर नहीं आ रहा, जबकि मतदान पांच को है। प्रत्याशी सिर्फ वर्चुअल प्रचार कर रहे हैं। प्रत्याशी अब लोगों के बीच पहुंचकर रैली या संवाद नहीं कर पा रहे, इसलिए व्यक्तिगत संपर्क करने के बाद बीच में समय निकालकर फेसबुक, जूम या गूगल मीट के जरिए समर्थकों और मतदाताओं से आनलाइन जुड़कर प्रचार कर रहे हैं।
उनकी बात सुनने के साथ अपनी प्राथमिकताएं उन्हें बता रहे हैं। वहीं कुछ प्रत्याशियों ने अपने वीडियो रिकार्ड करा कर वायरल कराने शुरू कर दिए हैं। वहीं गांव के मनोज झा बताते हैं कि पहले पार्टी नेता चुनाव प्रचार के दौरान साइकिल, बैलगाड़ी और तांगों से यात्रा करते थे. कुछ जीपों का इस्तेमाल होता था, लेकिन वह ज्यादातर पुरानी कारें होती थीं। यदि गांवों में प्रचार के दौरान उन्हें देर हो जाती तो रात में किसी भी स्थानीय पार्टी कार्यकर्ता के घर पर रुक जाते। अब जो नेता हैं वह तो अपने मतदाताओं को जानते तक नहीं हैं।
बिहार की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Delhi News
कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र के महंत मनीयारी के राम बिंदु झा बताते हैं कि इस बार चुनाव प्रचार में पहले जैसी बात नहीं। पहले प्रत्याशी मतदान से दो-तीन महीने पहले पहले प्रचार शुरू कर देते थे। क्षेत्र में जनसंपर्क के साथ पोस्टर, बैनर और दीवारों को रंगकर प्रचार होता था। लेकिन अब माहौल पूरी तरह बदल चुका है और पहले की तरह चुनाव जैसा माहौल कहीं नजर नहीं आ रहा।
वह बताते हैं कि पहले चुनाव की आहट तीन-चार महीने पहले ही हो जाती थी। हर गली में प्रत्याशी रैलियां निकालते थे। पोस्टर, बैनर और झंडियां लगाई जाती थी। वॉल पेंटिंग होती थी, लेकिन इस बार भौतिक रूप से प्रचार अब तक नजर नहीं आ रहा, जबकि मतदान पांच को है। प्रत्याशी सिर्फ वर्चुअल प्रचार कर रहे हैं। प्रत्याशी अब लोगों के बीच पहुंचकर रैली या संवाद नहीं कर पा रहे, इसलिए व्यक्तिगत संपर्क करने के बाद बीच में समय निकालकर फेसबुक, जूम या गूगल मीट के जरिए समर्थकों और मतदाताओं से आनलाइन जुड़कर प्रचार कर रहे हैं।
उनकी बात सुनने के साथ अपनी प्राथमिकताएं उन्हें बता रहे हैं। वहीं कुछ प्रत्याशियों ने अपने वीडियो रिकार्ड करा कर वायरल कराने शुरू कर दिए हैं। वहीं गांव के मनोज झा बताते हैं कि पहले पार्टी नेता चुनाव प्रचार के दौरान साइकिल, बैलगाड़ी और तांगों से यात्रा करते थे. कुछ जीपों का इस्तेमाल होता था, लेकिन वह ज्यादातर पुरानी कारें होती थीं। यदि गांवों में प्रचार के दौरान उन्हें देर हो जाती तो रात में किसी भी स्थानीय पार्टी कार्यकर्ता के घर पर रुक जाते। अब जो नेता हैं वह तो अपने मतदाताओं को जानते तक नहीं हैं।