ओलंपिक ध्वज को आधुनिक ओलंपिक खेलों के संस्थापक “पियरे डी कुबर्तिन” ने बनाया था. इस ध्वज की पृष्ठभूमि सफ़ेद है. सिल्क के बने ध्वज के मध्य में ओलंपिक का प्रतीक चिन्ह “पांच छल्ले” हैं.ओलम्पिक खेल का आयोजन हर चार साल में होता है .
ओलंपिक खेलों का चिन्ह आपस में जुड़े “5 छल्ले” है जो कि पांच प्रमुख महाद्वीपों (एशिया, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया या ओसिनिया, यूरोप और अफ्रीका) को दर्शाते हैं.
इन छल्लों को “पियरे डी कुबर्तिन” ने डिज़ाइन किया था, जिन्हें आधुनिक ओलिंपिक गेम्स का सह-संस्थापक माना जाता है. उन्होंने 1912 में इनकी डिजाइन तैयार की थी और इन्हें 1913 में स्वीकार करके सार्वजानिक किया गया था.
ओलंपिक का “मोटो” तीन लैटिन शब्दों से मिलकर बना है; “सिटियस, अल्शियस, फोर्तियस” इसका अर्थ हैं- “और तेज, और ऊँचा, और साहसी”
प्राचीन काल में खेल शुरू होने से पूर्व यूनान के ओलंपिया गाँव में मशाल सूर्य की किरणों से जलाई जाती थी. ओलंपिक मशाल जलाने की प्रथा 1928 के एम्सटर्डम ओलंपिक खेलों से फिर से शुरू की गयी थी.
जिस देश या महाद्वीप में ओलिंपिक होता है वहीँ ओलिंपिक मशाल को घुमाया जाता है. ओलिंपिक मशाल रिले ओपनिंग सेरेमनी वाले स्थान पर पहुंचाई जाती है और वहां उस देश की कोई महान हस्ती मुख्य स्टेडियम में उसे प्रज्ज्वलित करता/करती है.
ओलम्पिक के मोटो को सबसे पहले डोमिनिकन पुजारी हेनरी डिडोन ने 1881 में एक स्कूल खेल कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में पहली बार प्रयोग किया था. इस कार्यक्रम में “पियरे डी कुबर्तिन” भी मौजूद थे जिन्होंने इसे ओलंपिक के “मोटो” के रूप में अपनाया.
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