जानिए, पुलिस की वर्दी का रंग खाकी ही क्यों होता है?

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Indian Police Uniform

भारतीय पुलिस यानी हमारी सुरक्षा करने के लिए कानून व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण अंग है। पुलिस, जो चौबिसों घंटों, दिन में, रात में, किसी त्योहार के मौक़े पर व हर परिस्स्थिति में जनता को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए अपने कर्तव्य का निर्वहन करती है। ऐसे में जब आम लोग पुलिसकर्मियों को खाकी रंग की वर्दी या यूनिफॉर्म में देखते हैं तो उनके ज़हन में सवाल उठता है कि आख़िरकार पुलिसकर्मी  खाकी रंग की वर्दी ही क्यों पहनते हैं और इसकी शुरूआत कहां और कैसे हुई? तो इस लेख के माध्यम से आइये समझते हैं कि पुलिसकर्मी खाकी रंग की वर्दी क्यों पहनते हैं।

आज़ादी से पहले, भारत जब अग्रेंज़ों की ग़ुलामी की गिरफ्त में था तो उस वक़्त ब्रिटिशों की पुलिस सफ़ेद रंग की वर्दी पहनती थी। उस दौरान सफ़ेद वर्दी पहनने का एक नुकसान ये भी था कि जब लंबी ड्यूटी करने पर ये वर्दी जल्दी गंदी हो जाती थी। इस वजह पुलिसकर्मियों को भी परेशानी झेलनी पड़ती थी और वर्दी पर लगी गंदी को छुपाने के लिए पुलिसकर्मियों ने वर्दी को अलग-अलग रंगों से रंगना शुरू कर दिया। अलग-अलग रंगों से रंगने के कारण उनकी वर्दी अलग-अलग रंग की दिखने लगी थी। इस समस्या से परेशान होकर पुलिसकर्मियों ने खाक रंग की डाई तैयार करवाई थी। खाकी रंग हल्का पिला और भूरे रंग का मिश्रण था। इसलिए उन्होंने चाय के पत्ती का पानी या फिर कॉटन फैब्रिक कलर को डाई की तरह इस्तेमाल किया जिसके कारण उनकी वर्दी का रंग खाकी हो गया।

बता दें कि  खाक का हिंदी में अर्थ होता है गद्दी मिटटी का रंग। इस खाक रंग की डाई लगाने के बाद पुलिस की वर्दी पर धूल मिटटी, दाग आदि कम दिखेंगे। सन 1847 में सर हैरी लम्सडेन (sir Harry Lumsden), अधिकारी तौर पर खाकी रंग की वर्दी को अपनाया और उसी समय से भारतीय पुलिस में खाकी रंग की वर्दी चली आ रही है।

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