जानिए, निपाह वायरस क्या है, कैसे फैलता है?

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Nipah-virus

हाल के दिनों में भारत के केरल राज्य से निपाह वायरस की चपेट में कुछ लोगों के आने की ख़बरे आईं। ऐसे में एक आम व्यक्ति के लिए ये जानना ज़रूरी हो जाता है कि निपाह वायरस क्या है और इससे कैसे बचा जा सकता है। आइये इस लेख के ज़रिये निपाह वायरस के बारे में जानते हैं और यह भी कोशिश करते हैं कि यह वायरस कैसे फैलता है।

निपाह एक तरह का वायरस (NiV) है और ये एक ऐसा जानलेवा व उभरता हुआ वायरस है जो मनुष्यों व जानवरों में गंभीर बीमारियों को पैदा करता है। दरअसल,  1998 में पहली बार इस वायरस की पहचान मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह शहर से हुई थी और यहीं से इस वायरस को निपाह नाम मिला था।

सेंटर फ़ॉर डिसीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Centers for Disease Control and Prevention, CDC) के मुताबिक़, इस वायरस के बारे में सबसे पहले 1998 में मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह से पता चला था जहां से इसका नाम वायरस का नाम निपाह पड़ा। उस वक्त कुछ सुअर के किसानों को मस्तिष्क में बुखार हुआ था इसलिए इस गंभीर बिमारी के वाहक सुअर थे। सिंगापुर में भी इसके बारे में 1999 में पता चला था।

ये सबसे पहले सुअर, चमगादड़ या अन्य जीवों को प्रभावित करता है और इसके संपर्क में आने से ये वायरस मनुष्यों को भी चपेट में ले लेता है। साल 2004 में बांग्लादेश और 2001 में भारत के कुछ लोग सबसे पहले इस वायरस की चपेट में आए थे।

उस वक़्त इन लोगों ने खजूर के पेड़ से निकलने वाले तरल को चखा था और इस तरल तक वायरस को लेने जानी वाली चमगादड़ थीं, जिन्हें फ्रूट बैट कहा जाता है और फिर ये एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे में फैलता है।

Infected bats -

ये वायरस Paramyxoviridae family का सदस्य है जो कि जानवर से फलों में और फलों के ज़रिए व्यक्तियों में फैलता है और साथ ही ये हेंड्रा वायरस से भी संबंधित है। CDC के मुताबिक निपाह वायरस का इंफ़ेक्शन इंसेफेलाइटिस से जुड़ा है, जिसमें दिमाग़ को नुक़सान होता है.

कैसे फैलता है निपाह वायरस?

निपाह वायरस संक्रमित चमगादड़, संक्रमित सूअरों या अन्य NiV संक्रमित लोगों से सीधे संपर्क में आने से मनुष्यों में फैलने वाला एक गंभीर इंफेक्शेन है। मलेशिया और सिंगापुर में, मनुष्य, संक्रमित सुअर के कारण निपाह वायरस इंफेक्शन की चपेट में आए थे।

 निपाह वायरस संक्रमण के लक्षण

 इस संक्रमण के शुरूआती दौर में सांस लेने में समस्या होती है जबकि आधे मरीज़ों में न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें भी होती हैं।

 बुखार, सिरदर्द, मानसिक भ्रम, उल्टी और बेहोशी का होना भी निपाह वायरस का एक लक्षण।

मनुष्यों  में निपाह वायरस, encephalitis से जुड़ा हुआ है, जिसकी वजह से मस्तिष्क में सूजन आ जाती है।

संक्रमण के लक्षणों को सामने आने में आमतौर पर पांच से चौदह दिन लग सकते हैं।

इससे संक्रमित मरीज़ों में न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें भी होती हैं।

संक्रमण बढ़ने से मरीज कोमा में भी जा सकता है और इसके बाद इंसान की मौत भी हो सकती है।

मलेशिया और सिंगापुर में इसके सूअरों के ज़रिए इस वायरस के फैलने की जानकारी मिली थी जबकि भारत और बांग्लादेश में एक इंसान के दूसरे इंसान के संपर्क में आने से ये वायरस फैला था।

सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक ‘निपाह वायरस’ इंसेफ्लाइटिस से जुड़ा है, जिसमें दिमाग को नुकसान पहुंचता है।

इलाज और निपाह वायरस इन्फेक्शन से बचाव के तरीके

फिलहाल, निपाह वायरस संक्रमण के इलाज के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। इस रोग से ग्रस्त लोगों का इलाज मात्र रोकथाम है।

चमगादड़ से दूषित कच्चे फलों का उपभोग करने से बचना चाहिए। अच्छी तरह से पके हुए, साफ भोजन को खाना चाहिए।

 इस वायरस से बचने के लिए फलों, खासकर खजूर खाने से बचना चाहिए।

पेड़ से गिरे फलों को कभी नहीं खाना चाहिए।

सूअरों और सुअर की देखभाल करने वाले लोगों से दूर रहें।

 आमतौर पर शौचालय में इस्तेमाल होने वाली चीजें, जैसे बाल्टी और मग को खास तौर पर साफ रखें।

अपने पालतू जानवरों को भी संक्रमित जानवरों, संक्रमित इलाकों या संक्रमित व्यक्ति से दूर रखें।

इस वायरस से होने वाले बुखार से मरने वाले किसी भी व्यक्ति के मृत शरीर को ले जाते समय चेहरे को ढंकना ज़रूरी है। मृत व्यक्ति को गले लगाने से बचें और उसके अंतिम संस्कार से पहले शरीर को स्नान करते समय सावधानी बरतें।

– NiV संक्रमित मरीजों का इलाज करने वाले चिकित्सा अधिकारियों को गाउन, टोपी, मास्क, दस्ताने पहनना और हाथों को धोने जैसी उचित सावधानी बरतनी चाहिए।

व्यक्तिगत ट्रांसमिशन से बचने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर यात्रा या काम करते समय N95 मास्क का उपयोग करना चाहिए।

यदि आप किसी संक्रमित क्षेत्र में और उसके आस-पास अस्वस्थ महसूस करते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

याद रखें कि निपाह वायरस के कारण होने वाला इन्फेक्शन एक उभरती हुई बीमारी है और अब तक इस बीमारी के इलाज के लिए कोई वैक्सीन ईजाद नहीं हुई है। इसलिए, हमें बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए ऊपर बताई गई सावधानियां बरतनी चाहिए।

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