Kishanganj Bhadwa mela: रामदेव मंदिर में भादवा मेला शुरू, जुटे हजारों श्रद्धालु

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Kishanganj Bhadwa mela: रामदेव मंदिर में भादवा मेला शुरू, जुटे हजारों श्रद्धालु

Kishanganj Bhadwa mela: रामदेव मंदिर में भादवा मेला शुरू, जुटे हजारों श्रद्धालु

किशनगंज: बाबो भली करे! जय बाबे री! के नारों के साथ अपनी अपनी मनोकामना लेकर कानकी धाम में हजारों की संख्या में श्रद्धालु जुटे। राजस्थान के लोकदेवता के रूप में माने जाने वाले बाबा रामदेव के निर्वाण दिवस पर आस्था और विश्वास के साथ भादवा मेले में हजारों श्रद्धालु बाबा के दर्शन को उमड़े।भादवा सूदी द्वितीय को बाबा रामदेव की जयंती से शुरू हुआ यह विशेष अनुष्ठान 8 दिनों के बाद सोमवार को बाबा रामदेव के निर्वाण दिवस पर समाप्त हुआ। जैसलमेर जिले के रामदेवरा में जन्म लेने वाले बाबा रामदेव के कानकी स्थित मंदिर में सोमवार को भव्य मेले का आयोजन हुआ। यह मंदिर किशनगंज शहर से मात्र 15 किमी की दूरी पर पश्चिमबंगाल के कानकी में विराजमान हैं।

श्रीकृष्ण के अवतार माने जाने वाले बाबा रामदेव मंदिर कानकीधाम में भादवा मेला को लेकर व्यापक स्तर पर तैयारिया की गई थी। दूर दराज के श्रद्धालु पदयात्रा से लेकर चार पहिए वाहनों व ट्रेनों से भी कानकी पहुंच रहे थे। कानकी में बाबा रामदेव के दो मंदिर है, श्रद्धालुओं की लंबी कतारें दोनो मंदिर परिसर में देखी गई। दर्शन को आए श्रद्धालु दोनो मंदिरों में दर्शन कर अपनी पूजा को पूर्ण मानते है। प्राचीन मंदिर में सभी श्रद्धालु अपनी मन्नतों को पूरा करने के मनोरथ से नारियल चढ़ाते है तथा हवन में घी की आहुति देते है, वही नए मंदिर परिसर की भव्यता देखते ही बनती है। नए मंदिर परिसर में भक्त बाबा की मंत्रमुग्ध करने वाली मूर्ति का दर्शन करते है। इस मंदिर परिसर में भगवान गणेश सहित अन्य देवताओं के भी मंदिर अवस्थित है तथा अखंड ज्योति भी प्रज्वलित होती रहती है।

निर्वाण दिवस पर हुई विशेष पूजा
वैसे तो पिछले आठ दिनों से कई अनुष्ठान आयोजित किए जा रहे थे।किंतु निर्वाण दिवस के दिन सोमवार को बाबा के मंदिर में विशेष अभिषेक, पूजा, ज्योत, आरती की गई। बुंदिया की सवामनी का भोग लगाया गया। सभी श्रद्धालुओं को भोग के प्रसाद का भी वितरण किया गया। मंदिर प्रबंधन के अनुसार कोलकाता से कालिंपोंग और गुवाहाटी से गंगटोक तक के करीब 1000 से ज्यादा भक्तो ने सवामनी का भोग लगाया। कोलकाता से आए भक्त कन्हैया लाल ने बताया कि यह मंदिर बाबा के प्रसिद्ध मंदिरों में एक है। यहां नेपाल, बंगाल, बांग्लादेश, उड़ीसा, झारखंड, दिल्ली, असम सहित बिहार व अन्य राज्यों के कोने कोने से श्रद्धालु दर्शन को पहुंचते हैं। बड़ी संख्या में भक्त पदयात्रा कर भी आते है। पदयात्रियों के लिए मार्ग तथा मंदिर में विशेष सुविधाएं भी उपलब्ध है।सोमवार को अहले सुबह से श्रद्धालुओं की कतारें लगनी शुरु हो गई जो देर रात तक जारी रही।

मन्नतें पूरी होने पर भक्त सवामणी का चढ़ाते हैं बाबा को चढ़ावा
ऐसी मान्यता है कि बाबा रामदेव के दरबार से कोई खाली हाथ नही जाता।बाबा सबकी मुराद पूरी करते हैं।ऐसे में भक्तों द्वारा मांगी गई मनोकामना पूर्ण होने पर बाबा को सवामणी का प्रसाद चढाया जाता है।सोमवार को भादवा मेले के दौरान खबर लिखे जाने तक कानकी के पुराने मन्दिर में लगभग 400 और नए मन्दिर में 650 से ज्यादा लोगों ने सवामणी का प्रसाद बाबा रामदेव को चढाया।सुबह से महाप्रसाद का भक्तों को वितरण किया जा रहा था।एक लाख से ज्यादा लोगों के लिए महाप्रसाद की व्यवस्था थी।लगातार वितरित हो रहे महाप्रसाद के लिए 1हजार से ज्यादा कारीगर दिन भर तैयारी में जुटे रहे।एनएच के निकट होने के कारण भारी भीड़ को नियंत्रित करने,लोगों को सुरक्षा देने,यातायात को सुचारू रूप से चलाने के लिए पश्चिमबंगाल पुलिस के सैकड़ों जवानों को भी दिन भर कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।

निर्वाण दिवस का इतिहास
मान्यताओं के अनुसार बाबा रामदेव ने आज से 638 वर्ष पूर्व राजस्थान के रामदेवरा में जीवित समाधि ली थी। इसके पश्चात से प्रतिवर्ष बाबा रामदेव की समाधि पर लोग आस्था और श्रद्धा के साथ दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। बाबा रामदेव के मंदिरों में निर्वाण दिवस पर भादवा मेला लगता है। बाबा ने अपने जीवन के 33 वर्ष पूर्ण करने के पश्चात जीवित समाधि ली थी।

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