Kharkiv Student Father Diary : जिंदगी और मौत में 30 मिनट का फासला… खारकीव से निकले छात्र के पिता की जुबानी पूरी कहानी

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Kharkiv Student Father Diary : जिंदगी और मौत में 30 मिनट का फासला… खारकीव से निकले छात्र के पिता की जुबानी पूरी कहानी

Kharkiv Student Father Diary : जिंदगी और मौत में 30 मिनट का फासला… खारकीव से निकले छात्र के पिता की जुबानी पूरी कहानी

भोपाल : खारकीव में एक भारतीय छात्र की मौत हुई है। वहां फंसे एमपी के साबुज बिस्वास (Kharkiv Student Father Diary) ने कहानी बयां की है। साबुज बिस्वास के लिए खारकीव में जिंदगी और मौत के बीच 30 मिनट का अंतर रहा है। अपने पिता की बातों को मानकर साबुज ने उस क्षेत्र को छोड़ दिया था। पहली ट्रेन पर सवार होकर खारकीव से निकल गया था। वहां आधे घंटे बाद ही गोलाबारी (sabuj biswas dodged kharkiv shelling) शुरू हो गई। इसी गोलीबारी में भारतीय छात्र नवीन की मौत हो गई। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए साबुज के पिता डॉ सुकुमार बिस्वास ने बात की है। उन्होंने वहां की स्थिति के बारे में बताया है।


डॉ सुकुमार बिस्वास ने बताया कि हम उसके लिए बहुत चिंतित थे। वह पिछले तीन दिनों से बम शेल्टर में रह रहा था। हमने कभी-कभी फोन पर बात की लेकिन नेटवर्क बहुत खराब था। मंगलवार की सुबह उसने मुझे बताया कि खारकीब से बाहर जाने के लिए तीन ट्रेनें उपलब्ध थीं। डॉ सुकुमार बिस्वास भोपाल से 500 किमी दूर डिंडोरी में रहते हैं। साबुज खारकीव इंटरनेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में फाइनल इयर का छात्र है। उसने अपने पिता को बताया था कि सुबह 10 बजे, दोपहर साढ़े 12 बजे और दोपहर ढाई बजे ट्रेनें थीं।

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पिता ने कहा कि हम तब तक सो नहीं सकते, जब तक उसे नहीं देखते। यूक्रेन सरकार ने ट्रेनों की व्यवस्था की थी। मैंने उससे कहा कि पहली ही ट्रेन से निकल जाओ। मैंने जोर दिया। हम नहीं चाहते थे कि वह युद्ध क्षेत्र में एक मिनट भी अधिक रहे। हम भाग्यशाली हैं कि उन्होंने समय पर शहर छोड़ दिया। हमें यह जानकर अफसोस हुआ कि कुछ देर बाद हुए हमले में एक लड़के की जान चली गई। यह ह्रदयविदारक है।

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बिस्वास ने कहा कि भगवान उके परिवार को यह दुख सहने की शक्ति दें। पिता ने कहा कि साबुज गवर्नर हाउस के पास के इलाके से चलने के बाद सुबह 10 बजे ट्रेन में सवार हुआ। आधे घंटे बाद ही वहां गोले गिरे। इससे पहले सुबह बिस्वास परिवार ने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई थी। साबुज बिस्वास ने अपने माता-पिता से कहा था कि खारकीव में हालत बिगड़ रहे हैं। उसने बताया था कि पिछले दो दिनों में धमाके और गोलीबारी यहां तेज हो गई है। इसके बाद से हमलोग चिंतित थे और उससे जल्दी आने के लिए कहा।

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पिता ने कहा कि वह बंकर से बाहर निकलने को तैयार नहीं था क्योंकि उसके दोस्त गोलियों और बमों से डरते थे। वहीं, पहली एडवाइजरी जारी होने के बाद साबुज ने खारकीव क्यों नहीं छोड़ा। इस पर पिता ने कहा कि हम चाहते थे लेकिन नहीं कर सके। साथ ही कोई टिकट उपलब्ध नहीं हो पाया। मंगलवार की शाम, वह हंगरी की सीमा के लिए जा रहा था। वहां से, वह भारत के लिए उड़ान भरेगा। हम उसका इंतजार कर रहे हैं। हम तब तक सो नहीं सकते, जब तक हम उसे नहीं देखते। बिस्वास ने कहा कि स्थानीय प्रशासन से हमें सहयोग मिल रहा है। अधिकारी हमारे घर आए थे और सकुशल वापसी का आश्वासन दिया है।

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