Kashmir Migration: न जाने कब कौन कहां से अटैक कर दे, कश्मीर से अपने गांव भाग रहे हैं यूपी-बिहार वाले

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Kashmir Migration: न जाने कब कौन कहां से अटैक कर दे, कश्मीर से अपने गांव भाग रहे हैं यूपी-बिहार वाले

Kashmir Migration: न जाने कब कौन कहां से अटैक कर दे, कश्मीर से अपने गांव भाग रहे हैं यूपी-बिहार वाले

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में बाहरी लोगों यानी गैर कश्‍मीर‍ियों पर आतंकी हमले (Militant Attacks in Kashmir) की घटनाओं में बढ़ोत्‍तरी हुई है। इसके चलते कश्‍मीर घाटी से प्रवासी मजदूरों खासकर यूपी और ब‍िहार के लोग पलायन करने को मजबूर हो गए हैं। पुलवामा के प्रूचू गांव में सड़क के किनारे बिहार के बगहा जिले का रहने वाला धीरज कुमार राहगीरों पर नज़र रखता है क्योंकि वह घर बनाने के लिए सामान तैयार करता है। हर बार जब कोई अजनबी आता है तो उसकी सांसे थम जाती हैं। उसका कहना है क‍ि मुझे पता है, वे (आतंकवादी) कश्मीर के बाहर के लोगों को निशाना बना रहे हैं। लेकिन हम और क्या कर सकते हैं? हम किसी भी तरह से मरेंगे। अगर मैं यहां काम नहीं करता हूं, तो मैं अपने परिवार को घर वापस क्या खिलाऊंगा? मैं सिर्फ सावधानी बरत रहा हूं और उम्मीद करता हूं कि कुछ नहीं होगा।

इंडियन एक्सप्रेस की र‍िपोर्ट के मुताब‍िक, कश्मीर में पिछले 20 दिनों में सात प्रवासी कामगारों को गोली मारकर घायल कर दिया गया है। सभी हमले पुलवामा के दक्षिणी जिले में हो रहे हैं। वहीं अधिकारियों ने संदिग्धों को खोजने में बहुत कम सफलता पाई है। इसके चलते डर और अनिश्चितता के बीच कई प्रवासी श्रमिक या तो अपने गृह नगर जा रहे हैं। या फिर घाटी के अन्य हिस्सों के लिए रवाना हो गए हैं।

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इस तरह हुए बाहर‍ियों पर हमले

दरअसल यह हमले पांच महीने बाद हुए। जब आतंकवादियों ने गैर-स्थानीय लोगों पर इसी तरह के हमलों की एक श्रृंखला को अंजाम दिया, जिसमें अक्टूबर में पांच लोग मारे गए। नए घटनाक्रम में गोलीबारी में पहला हमला 19 मार्च को हुआ था जब संदिग्ध आतंकवादियों ने उत्तर प्रदेश के एक बढ़ई मोहम्मद अकरम को गोली मार दी थी। आखिरी बार 7 अप्रैल को पंजाब के पठानकोट के एक मजदूर सोनू शर्मा पर पुलवामा के यादेर गांव में हमला किया गया था। 21 मार्च को बिहार के एक मजदूर बिस्वजीत कुमार घायल हो गए थे, जबकि 3 अप्रैल को पठानकोट के एक ड्राइवर और कंडक्टर सुरिंदर और धीरज दत्त को संदिग्ध आतंकवादियों ने गोली मार दी थी। 4 अप्रैल को बिहार के दो मजदूरों पातालश्वर कुमार और जक्कू चौधरी पर हमला किया गया था।

पुलवामा में छह हजार से ज्‍यादा श्रमिक

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा क‍ि वर्तमान में पुलवामा में लगभग 6,000-6,500 प्रवासी श्रमिक होंगे। यह (काम) के मौसम की शुरुआत है लेकिन फिर भी संख्या बहुत कम है। एक सामान्य मौसम में इस समय लगभग 20,000-30,000 प्रवासी श्रमिक होते हैं। आधिकारिक अनुमानों के अनुसार, लगभग 3 लाख प्रवासी श्रमिक- ज्यादातर बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब और झारखंड से- हर साल काम के लिए कश्मीर आते हैं। बिहार के कई लोग कश्मीर को “भारत का दुबई” के रूप में ज‍िक्र करने के लिए जाने जाते हैं।

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शोप‍ियां से हुई हमले की शुरुआत

यहां पर ज्‍यादातर श्रम‍िक मार्च से नवंबर के महीनों के दौरान होते हैं। वे ज्यादातर निर्माण क्षेत्र में कार्यरत हैं। अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद पहली बार प्रवासी श्रमिक आतंकवादी हमलों की चपेट में आए। हमलों की पहली श्रृंखला दक्षिण कश्मीर में आतंकवादियों से प्रभावित शोपियां में हुई थी। इसके बाद पिछले साल अक्टूबर में श्रीनगर और अन्य हिस्सों में हमले हुए।



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