ब्लैक फंगस के इलाज में यूज हो रहा कालाजार का इंजेक्शन एंबिसोम, जानें कैसे काम करता है, क्या हैं साइड इफेक्ट्स
हाइलाइट्स:
- कोरोना वायरस के मरीजों में फैल रही ब्लैक फंगस की बीमारी
- इसके इलाज के लिए हो रहा है एंबिसोम इंजेक्शन का इस्तेमाल
- Amphotericin B है ऐंटीफंगल दवा, कालाजार में यूज होती है
- दशकों से हो रहा इस्तेमाल, गंभीर साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं
नई दिल्ली
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन, रेमडेसिविर, फैबिफ्लू, आइवरमेक्टिन जैसी दवाओं के बाद अब एंबिसोम की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। म्यूकरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) के इलाज की खातिर इस इंजेक्शन का यूज किया जाता है। पिछले कुछ महीनों में कोविड-19 का इलाज करा रहे लोगों में ब्लैक फंगस की बीमारी खूब फैली है। विशेषज्ञ इसके पीछे स्टेरॉयड्स के बेजा इस्तेमाल को वजह बताते हैं।
क्या है ये इंजेक्शन? कौन से इन्फेक्शंस में होता है यूज?
एंबिसोम यानी Liposmal Amphotericin B इंजेक्शन का इस्तेमाल कालाजार (Black Fever) के इलाज में दशकों से होता रहा है। इसे नेक्सस्टार फार्मास्यूटिकल्स ने डिवेलप किया था जिसे 1999 में गिलीड साइंसेज ने खरीद लिया।
Amphotericin B असल में एक ऐंटीफंगल दवा है जो गंभीर फंगल इन्फेक्शंस के इलाज में भी इस्तेमाल होती है। म्यूकरमाइकोसिस के अलावा एस्परजिलियॉसिस, ब्लास्टोमाइकोसिस, कैंडिडियासिस, क्रिप्टोकोकोसिस जैसे कई फंगल इन्फेक्शंस का इलाज भी Amphotericin B के जरिए होता है।
क्या हैं इसके साइड इफेक्ट्स?
Amphotericin B के साइड इफेक्ट्स बहुत हैं इसलिए इसे गंभीर इन्फेक्शंस की स्थिति में या ऐसे मरीजों को दिया जाता है जिनका इम्युन सिस्टम बेहद कमजोर हो। विभिन्न स्टडीज के मुताबिक, अधिकतर केसेज में इंजेक्शन लगने के कुछ देर बाद ही तेज बुखार, हाइपोटेंशन, जी मितलाना, सिरदर्द, सांस फूलना जैसी दिक्कतें आती हैं। धीमे-धीमे रिएक्शन धीमा पड़ता जाता है। नेचर रिव्यूज जर्नल में छपे पेपर के अनुसार, इलेक्ट्रोलाइट इम्बैलेंस भी आम है। कुल मामलों में किडनी डैमेज के वाकये भी देखने को मिले हैं।
ब्लैक फंगस को लेकर सरकार ने जारी की एडवायजरी
ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमाइकोसिस के मामले देश में तेजी से बढ़ रहे हैं। इस बीच सरकार ने एडवायजरी जारी करते हुए लोगों को जागरूक करने की कोशिश शुरू की है।
किसे हो सकती है यह बीमारी?
- जिसे कोविड-19 के इलाज के दौरान स्टेरॉयड्स दिए गए हों जैसे डेक्सामिथाजोन, मिथाइल प्रेडनिसोलोन वगैरह
- जिन कोविड मरीजों को ऑक्सिजन सपोर्ट पर या आईसीयू में रखना पड़ा हो
- जिनका डायबिटीज पर कंट्रोल न हो
- जिनकी कैंसर, किडनी ट्रांसप्लांट के लिए दवा चल रही हो
ब्लैक फंगस को लेकर क्या है खतरा? जानें क्यों मरीजों को डरने की जरूरत नहीं
ब्लैक फंगस के लक्षण क्या हैं?
- बुखार, सिरदर्द, खांसी और सांस फूल रही हो
- नाक बंद हो, नाक में म्यूकस के साथ खून आ रहा हो
- आंख में दर्द हो, आंख फूल जाए, दो दिख रहा हो या दिखना बंद हो जाए
- चेहरे में एक तरफ दर्द हो, सूजन हो या सुन्न हो (छूने पर अहसास न हो)
- दांत में दर्द हो, दांत हिलने लगे, चबाने में दर्द हो
- उल्टी में या खांसने पर बलगम में खून आए
कोई भी लक्षण दिखने पर फौरन सरकारी अस्पताल या किसी स्पेशलिस्ट डॉक्टर को दिखाएं।
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बचाव के लिए क्या सावधानियां बरतें?
- खुद से या किसी दोस्त, रिश्तेदार के कहने पर स्टेरॉयड्स लेना न शुरू करें। किसी स्पेशलिस्ट डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर ही दवाएं लें। (डेक्सोना, मेड्रॉल जैसी दवाएं ली जा रही हैं)
- स्टेरॉयड सही वक्त पर दिया जाना बहुत जरूरी है। इसीलिए बीमारी शुरू होते ही स्टेरॉयड ट्रीटमेंट न शुरू करें। इससे हालत बिगड़ने का खतरा है।
- इलाज शुरू हो तो डॉक्टर से जरूर पूछें कि स्टेरॉयड है या नहीं। अगर है तो वो दवा क्यों दी जा रही है।
- स्टेरॉयड ट्रीटमेंट के दौरान लगातार किसी स्पेशलिस्ट डॉक्टर के संपर्क में रहें।
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