Kahani Uttar Pradesh ki: यूपी का वह मंत्री जो जीप की किश्त तक नहीं भर पाया, मौत के बाद सरकार ने माफ किया कर्ज h3>
अयोध्या: अयोध्या के राजनीतिक पटल पर एक ऐसा भी नाम उभरा था जिसकी निर्भीकता ईमानदारी व तर्कपूर्ण स्पष्टवादिता की मिसाल आज भी दी जाती है। रवीन्द्र नाथ तिवारी भ्रष्टाचार व अपराधीकरण और वह राजनीति में कमीशनखोरी के खिलाफ अंत तक संघर्ष करते रहे। उनका भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘इंगित करो’ आंदोलन भ्रष्ट अधिकारियों के गले की फांस बनता रहा। खुद इनकी हालत यह रही कि उन्होंने जो जीप खरीदी थी जीवन भर उसका कर्ज नहीं चुका सके आखिर में उनकी मृत्यु के बाद सरकार को उसे माफ करना पड़ा।
रवीन्द्र नाथ तिवारी आम्बेडकर नगर के भारडीहा गांव में 6 मार्च 1934 को एक साधारण किसान के घर पैदा हुए थे। उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी छात्र राजनीति से शुरू की। डॉ. राम मनोहर लोहिया व आचार्य नरेन्द्र देव जैसे समाजवादी चिंतक उनके प्रेरणा बने।
अपने सिद्धांतों पर अडिग रहे
रवींद्र नाथ अपनी आक्रामक राजनीतिक शैली से अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब हुए। उन्होंने पूर्व पीएम चंद्रशेखर को अपना नेता माना लेकिन अपने राजनीतिक विचार के चलते जब चंद्रशेखर कांग्रेस में चले गए तब भी वह कांग्रेस से दूरी बनाकर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी में रह कर समाजवादी आंदोलन को धार देने में जुटे रहे।
हालांकि 1977 में जब कांग्रेस (आई) के खिलाफ सभी विरोधी दलों ने विलय कर जनता पार्टी बनाई तब तिवारी को चंद्रशेखर ने विधानसभा का टिकट कटेहरी से देकर चुनाव लड़वाया। जनता पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर थे। आर्थिक तंगी के दौर में चुनाव लड़कर विजयी हुए। उसके बाद वह 1977,1985, 1989 में भी उसी सीट से चुनाव जीते। जब 1990 में मुलायम सिंह की पहली बार सरकार जब बनी तो उन्हें सरकार में खाद्य मंत्री बनाया गया। अपने तार्किक बयानों व वक्तव्यों से वे सदन में विपक्ष को निरुत्तर कर देते थे।
करप्शन के खिलाफ मुहिम
रवींद्र नाथ तिवारी ने इंगित करो आंदोलन की शुरुआत कर भ्रष्टाचार के खिलाफ जो मुहिम शुरू की थी उसे अपने अंतिम समय तक जारी रखा। उनके करीबी व पीआरओ रहे अशोक श्रीवास्तव बताते हैं कि चंद लोगों को साथ जोड़ कर उन्होंने इस आंदोलन को शुरू किया था। इसमें भ्रष्टाचार के खिलाफ तथ्यपरक सुबूतों को एकत्र कर आरोपी को इंगित किया जाता था साथ ही सरकार से उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की जाती थी।इस आंदोलन में उन्हें कई बार धमकियां भी मिलती थी पर तिवारी जी निर्भीकता से उनका मुकाबला भी करते थे।
जीप का कर्ज तक नहीं चुका सके
अशोक श्रीवास्तव बताते हैं कि पूर्व विधायक व मंत्री रहे रवींद्र नाथ तिवारी अपने राजनीतिक सफर में अपनी जीप उस समय खरीद पाए जब सरकार की योजना के तहत विधायक को अडवांस रकम इसके लिए दी गई। हालांकि वे अपने जीवन काल में उसकी पूरी किश्त अदा नहीं कर पाए। उनकी मौत के बाद सरकार ने जीप के कर्ज को माफ कर दिया था।
अपने सिद्धांतों पर अडिग रहे
रवींद्र नाथ अपनी आक्रामक राजनीतिक शैली से अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब हुए। उन्होंने पूर्व पीएम चंद्रशेखर को अपना नेता माना लेकिन अपने राजनीतिक विचार के चलते जब चंद्रशेखर कांग्रेस में चले गए तब भी वह कांग्रेस से दूरी बनाकर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी में रह कर समाजवादी आंदोलन को धार देने में जुटे रहे।
हालांकि 1977 में जब कांग्रेस (आई) के खिलाफ सभी विरोधी दलों ने विलय कर जनता पार्टी बनाई तब तिवारी को चंद्रशेखर ने विधानसभा का टिकट कटेहरी से देकर चुनाव लड़वाया। जनता पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर थे। आर्थिक तंगी के दौर में चुनाव लड़कर विजयी हुए। उसके बाद वह 1977,1985, 1989 में भी उसी सीट से चुनाव जीते। जब 1990 में मुलायम सिंह की पहली बार सरकार जब बनी तो उन्हें सरकार में खाद्य मंत्री बनाया गया। अपने तार्किक बयानों व वक्तव्यों से वे सदन में विपक्ष को निरुत्तर कर देते थे।
करप्शन के खिलाफ मुहिम
रवींद्र नाथ तिवारी ने इंगित करो आंदोलन की शुरुआत कर भ्रष्टाचार के खिलाफ जो मुहिम शुरू की थी उसे अपने अंतिम समय तक जारी रखा। उनके करीबी व पीआरओ रहे अशोक श्रीवास्तव बताते हैं कि चंद लोगों को साथ जोड़ कर उन्होंने इस आंदोलन को शुरू किया था। इसमें भ्रष्टाचार के खिलाफ तथ्यपरक सुबूतों को एकत्र कर आरोपी को इंगित किया जाता था साथ ही सरकार से उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की जाती थी।इस आंदोलन में उन्हें कई बार धमकियां भी मिलती थी पर तिवारी जी निर्भीकता से उनका मुकाबला भी करते थे।
जीप का कर्ज तक नहीं चुका सके
अशोक श्रीवास्तव बताते हैं कि पूर्व विधायक व मंत्री रहे रवींद्र नाथ तिवारी अपने राजनीतिक सफर में अपनी जीप उस समय खरीद पाए जब सरकार की योजना के तहत विधायक को अडवांस रकम इसके लिए दी गई। हालांकि वे अपने जीवन काल में उसकी पूरी किश्त अदा नहीं कर पाए। उनकी मौत के बाद सरकार ने जीप के कर्ज को माफ कर दिया था।