Kahani Uttar Pradesh Ki: गाजीपुर का वह कम्‍युनिस्‍ट नेता जिसके लिए राही मासूम रजा अपने पिता के खिलाफ हो गए

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Kahani Uttar Pradesh Ki: गाजीपुर का वह कम्‍युनिस्‍ट नेता जिसके लिए राही मासूम रजा अपने पिता के खिलाफ हो गए


Kahani Uttar Pradesh Ki: गाजीपुर का वह कम्‍युनिस्‍ट नेता जिसके लिए राही मासूम रजा अपने पिता के खिलाफ हो गए

अमितेश कुमार सिंह, गाजीपुर
गाजीपुर के एक कम्‍युनिस्‍ट नेता हुए हैं पब्‍बर राम। उर्दू के मशहूर साहित्‍यकार राही मासूम रजा और उनके भाई मुनीस रजा ने अपने पिता और मशहूर कांग्रेसी नेता बशीर हसन आब्‍दी की मर्जी के खिलाफ पब्‍बर राम का समर्थन किया। पब्‍बा राम उनके पिता बशीर हसन के खिलाफ सन 1953 में गाजीपुर नगर पालिका अध्‍यक्ष का चुनाव लड़ रहे थे।

बाद में पब्‍बर राम भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट से गाजीपुर सदर विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक निर्वाचित हुए। यह पूरा किस्‍सा कुछ इस तरह है:
बशीर हसन आब्दी गाजीपुर के जाने-माने वकील थे। उनके बेटे राही मासूम रजा ने बाद में उर्दू के श्रेष्ठ उपन्यासकार होने के साथ ही हिन्दी साहित्य में भी स्थापित हस्ताक्षर होने का गौरव हासिल किया। उनके भाई मुनीस रजा दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति होने के साथ ही जेएनयू के संस्थापक सदस्यों में से एक थे।
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इन दोनों ने अपने पिता की मुखालफत कर पब्बर राम का चुनाव प्रचार किया था। दोनों भाइयों ने अपने पिता बशीर हसन आब्दी को पहले इस बात के लिए राजी करने की कोशिश कि वह पब्बर राम के खिलाफ नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव न लड़ें। लेकिन, बशीर अहमद आब्दी का यह कहना था कि कांग्रेस आला कमान के निर्देश को वह नहीं टाल सकते। ऐसे में वह अपना नामांकन को वापस लेने पर पुनर्विचार नहीं करेंगे।

राही मासूम रजा व उनके भाई मुनीस रजा ने कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रभावित होने की सूरत में पब्बर राम के हक में चुनावी प्रचार करने का मन बनाया। ऐसे में दोनों भाई कम्युनिस्ट पार्टी के दफ्तार में ही रहकर पब्बर राम का प्रचार करने लगे।

इस चुनाव में पब्बर राम रिकार्ड वोटों से विजयी हुए। पब्बर राम के राजनीतिक जीवन से जुड़ी एक महत्वपूर्ण घटना का जिक्र कम्युनिस्ट समालोचक डा. पीएन सिंह ने अपनी पुस्तक ‘गाजीपुर के गौरव बिंदु: राजनीति’ में पब्बर राम पर लिखे एक अध्‍याय में इस बात का जिक्र किया है कि नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव होने के बाद पब्बर राम के गांव में यह बात फैल गई कि वह चुनाव जीत चुके है और वह सक्रिय राजनीति में उतर चुके हैं।

rahi masoom raza

राही मासूम रजा (फाइल फोटो)

जिज्ञासावश पब्बर राम की मां गांव की ही एक महिला के साथ कम्युनिस्ट पार्टी के दफ्तर पहुंची और भोजपुरी में वहां मौजूद एक व्यक्ति से पूछा कि ‘गउवां में बड़ा हल्ला बा कि हमार पब्बर बहुत बड़ आदमी बन गइल बाड़न…’ पार्टी कार्यालय में मौजूद लोगों ने बताया कि वह नगर पालिका के चेयरमैन निर्वाचित हुए हैं। पूरी जानकारी मिलने के बाद उनकी मां खुशी-खुशी गांव लौट गयी।

अंत तक रहे कम्युनिस्ट पार्टी के साथ
पब्बर राम भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की जनपदीय व प्रांतीय इकाइयों में वरिष्ठ पदों पर बने रहे। 1964 में कम्युनिस्ट पार्टी के विभाजन के बाद पार्टी से कई सारे वरिष्ठ नेता सीपीएम में चले गये। वहीं सरजू पाण्डेय, जयराम सिंह और पब्बर राम सीपीआई के साथ बने रहे। पब्बर राम 1957 और 1967 में गाजीपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे।

पब्बर राम गांधी जी से प्रभावित होकर सक्रिय राजनीति में आये थे। दो अक्टूबर 1929 को गांधी जी गाजीपुर आये थे और उन्होंने अपना जन्मदिन बड़ी सादगी से गाजीपुर में मनाया था। गाजीपुर के रामलीला मैदान में उन्होंने एक जनसभा को भी संबोधित किया था। जनपद के गांधीवादी नेता गजानंद जी के निर्देश पर कुछ युवकों के साथ उन्‍होंने महात्मा गांधी जी के कार्यक्रम में सक्रिय रूप से हिस्सा लेने का अवसर मिला था। यह घटना क्रम पब्बर राम के जीवन पर दूरगामी प्रभाव छोड़ गया। हालांकि, पब्बर राम गांधी जी से प्रभावित होकर राजनीति में आए, लेकिन उनकी राजनीति गांधीवादी नहीं रही, वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के साथ ही अंत तक बने रहे।



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