Kabul Gurudwara Blast: काबुल में हमले में मारे गए सविंदर सिंह की पत्नी, बच्चों और बड़े भाई तक को नहीं हो सके अंतिम दर्शन h3>
राजेश पोद्दार, तिलक नगर: अफगानी नागरिक सविंदर सिंह की मौत के बाद न सिर्फ दिल्ली के तिलक नगर में रह रहे उनके परिवार बल्कि बड़ी तादाद में यहां काबुल समेत तमाम अफगानिस्तान से आए सिख परिवार स्तब्ध हैं। सोमवार को न्यू महावीर नगर स्थित तिलक नगर के गुरु अर्जन देव जी गुरुद्वारे में सविंदर सिंह की अंतिम अरदास रखी गई। इसमें बड़ी तादाद में सिख समुदाय के लोग मौजूद हुए। इस बीच परिवार वालों का रो-रो कर बुरा हाल था। बड़ा बेटा जोकि कल ही विदेश से आया है उसकी आंखों से आंसू तक नहीं रुक रहे थे। वह कुछ भी कहने के हालात में नहीं थे।
सविंदर सिंह के बड़े भाई तरलोक सिंह जो कि तिलक नगर में ही रहते हैं। उन्होंने बताया कि उनके छोटे भाई की उम्र 48 साल की थी। परिवार में उनकी पत्नी, दो बेटे और एक बेटी है। दो बच्चे यहीं दिल्ली में ही रहते हैं जबकि एक बेटा बाहर रहता है। हमें जैसे ही यह खबर मिली, हमारे पैर तले जमीन खिसक गई। वहां काफी समय से हालात बेहद खराब हैं। सविंदर कई महीनों से कह रहे थे कि यहां हालात खराब हैं, लेकिन वह यह भी कहते थे कि अधिक घबराने की बात नहीं है, मैं गुरुद्वारे में हूं। वे वहां गुरुद्वारे में सेवा करते थे, मैं कई बार उससे कहता था कि वह यहां आ जाए, लेकिन भाई कहता था, मेरे पास वीजा नहीं है। मैं कैसे आऊं, मैं कई महीनों से वीजा लेने की तैयारी में हूं लेकिन वीजा नहीं मिल रहा।
तरलोक सिंह ने कहा कि जब आतंकियों ने गुरुद्वारे पर हमला किया तो वह स्नान करके बाहर ही निकले थे कि उन्हें गोली मार दी गई, उन्हें दो गोलियां लगीं थीं। इतना कहते ही उनकी आंखें भर आईं। उन्होंने कहा कि हम उनके आखिरी दर्शन तक नहीं कर पाए। वहां जो दूसरे सिख और हमारे रिश्तेदार हैं उन्होंने ही उनका अंतिम संस्कार किया है। हम उसकी बॉडी को भारत लाकर दाह संस्कार करना चाहते थे, लेकिन हमें किसी तरह की सरकारी मदद नहीं मिल सकी और ना ही हम वहां पहुंच पाए।
2014 में दिल्ली आया था सविंदर का परिवार
बड़े भाई तरलोक सिंह ने बताया कि 2014 में सविंदर का परिवार दिल्ली आ गया था। वह भी कभी-कभी भारत आते थे। उनकी पत्नी हाउसवाइफ हैं, दो बच्चे दिल्ली में ही पढ़ाई करते हैं। उनकी छोटी बेटी 17 साल की है, जबकि एक बेटा करीब 20 साल का है। परिवार का यहां लालन-पालन सविंदर ही करते थे। वह अफगानिस्तान में ही अपनी छोटी मोटी दुकान चलाकर गुजर बसर करते थे। अफगानिस्तान में लगातार गुरुद्वारे पर हमले हो रहे हैं। हर साल हमारे जान पहचान या रिश्तेदार के सदस्यों की वहां पर मौत की खबरें सुनने को मिलती है। मैं भारत सरकार और तालिबान सरकार से अनुरोध करता हूं कि वह वहां रह रहे सिख कम्युनिटी के लोगों की सुरक्षा करें। उन्होंने बताया कि हम दोनों भाइयों का जन्म अफगानिस्तान में ही हुआ था और हम वहां लंबे समय तक रहे हैं लेकिन अब वहां के हालात देखकर ऐसे लग रहा है कि वहां रहना मुश्किल है।
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तरलोक सिंह ने कहा कि जब आतंकियों ने गुरुद्वारे पर हमला किया तो वह स्नान करके बाहर ही निकले थे कि उन्हें गोली मार दी गई, उन्हें दो गोलियां लगीं थीं। इतना कहते ही उनकी आंखें भर आईं। उन्होंने कहा कि हम उनके आखिरी दर्शन तक नहीं कर पाए। वहां जो दूसरे सिख और हमारे रिश्तेदार हैं उन्होंने ही उनका अंतिम संस्कार किया है। हम उसकी बॉडी को भारत लाकर दाह संस्कार करना चाहते थे, लेकिन हमें किसी तरह की सरकारी मदद नहीं मिल सकी और ना ही हम वहां पहुंच पाए।
2014 में दिल्ली आया था सविंदर का परिवार
बड़े भाई तरलोक सिंह ने बताया कि 2014 में सविंदर का परिवार दिल्ली आ गया था। वह भी कभी-कभी भारत आते थे। उनकी पत्नी हाउसवाइफ हैं, दो बच्चे दिल्ली में ही पढ़ाई करते हैं। उनकी छोटी बेटी 17 साल की है, जबकि एक बेटा करीब 20 साल का है। परिवार का यहां लालन-पालन सविंदर ही करते थे। वह अफगानिस्तान में ही अपनी छोटी मोटी दुकान चलाकर गुजर बसर करते थे। अफगानिस्तान में लगातार गुरुद्वारे पर हमले हो रहे हैं। हर साल हमारे जान पहचान या रिश्तेदार के सदस्यों की वहां पर मौत की खबरें सुनने को मिलती है। मैं भारत सरकार और तालिबान सरकार से अनुरोध करता हूं कि वह वहां रह रहे सिख कम्युनिटी के लोगों की सुरक्षा करें। उन्होंने बताया कि हम दोनों भाइयों का जन्म अफगानिस्तान में ही हुआ था और हम वहां लंबे समय तक रहे हैं लेकिन अब वहां के हालात देखकर ऐसे लग रहा है कि वहां रहना मुश्किल है।