जूस पीना सेहत के लिए अच्छा है. आजकल तो जूस पीना यूं भी एक फ़ैशन सा बन गया है. डिब्बाबंद जूस बाज़ार में मौजूद ही हैं. जूस वालों की दुकानें भी ख़ूब चल पड़ी हैं. आजकल लोग अपनी सेहत को लेकर कुछ ज़्यादा ही एहतियात बरतने लगे हैं. माना जाता है कि जूस वज़न कम करने में मददगार होता है. अब जो लोग वज़न कम करने के ख़्वाहिशमंद हैं, उनके लिए तो जूस किसी हकीमी नुस्ख़े से कम नहीं. जूस सिर्फ़ फलों का ही नहीं पिया जाता. सब्ज़ियों का जूस भी खूब इस्तेमाल होता है. कुछ जूस पूरा आहार माने जाते हैं. मतलब उसके साथ आपको मोटा अनाज यानी दाल रोटी खाने की ज़रूरत नहीं. जबकि कुछ जूस के साथ थोड़ी रियायत दी जाती है. उनके साथ आप दही या शहद मिलाकर ले सकते हैं. थोड़ी सब्ज़ी भी खा सकते हैं. कहा जाता है कि हमारे शरीर को जितनी कैलोरी की ज़रूरत होती है, वो हमें जूस से मिल जाती है. और जूस हमारी बॉडी के सिस्टम को साफ़ रखते हैं.
बेपनाह फ़ायदे
जो लोग जूस डायट पर रहते हैं वो इसके बेपनाह फ़ायदे आपको गिना देंगे. लेकिन, ब्रिटेन में खान-पान की एक्सपर्ट कैरी टॉरेंस की राय ज़रा अलग है. वो कहती हैं कि एक-दो दिन से ज़्यादा सिर्फ़ जूस के सहारे नहीं रहा जा सकता. क्योंकि जूस हमारे शरीर के लिए ज़रूर सभी तत्व मुहैया नहीं कराते हैं. फल और सब्ज़ियां संतुलित आहार का हिस्सा हैं. इनमें विटामिन, खनिज लवण और एंटी ऑक्सिडेंट तो होते ही हैं. इनका सबसे अहम हिस्सा होता है इनमें पाया जाने वाला रेशा या फ़ाइबर. फ़ाइबर ना सिर्फ़ खाने को पचाने में मदद करता है बल्कि वो हमारी आंतों के लिए बहुत ज़रूरी है. जब फल और सब्ज़ियों का जूस निकाला जाता है, तो, उनके रेशे पूरी तरह से नष्ट हो जाते है.
जब हम फल-सब्ज़ियों का जूस निकालते हैं, तो, उनके बीज पूरी तरह से निकाल बाहर कर दिए जाते हैं. जबकि बहुत से फल और सब्ज़ियों के बीजों में सेहत के लिए ज़रूरी फ्लैवेनॉएड होते हैं. इसके अलावा शरीर की मांसपेशियों के लिए प्रोटीन की ज़रूरत होती है. हड्डियों के लिए कैल्शियम की ज़रूरत होती है. हमारा शरीर दिन भर काम करता रहता है. उसके लिए हमें ऊर्जा की ज़रूरत होती है. इसके लिए ज़रूरी है वसा. जूस डाइट लेने पर हमारे शरीर में इन सभी ज़रूरी चीज़ों की कमी हो जाती है.
सलाह
इसमें कोई शक नहीं जूस डायट लेने पर वज़न कम होता है. लेकिन वो स्थायी नहीं होता है. ये संभव नहीं कि आप हमेशा जूस के सहारे रहेंगे. जैसे ही आप अपना नियमित आहार लेना शुरू करेंगे आपका वज़न उसी तेज़ी से बढ़ेगा, जिस तेज़ी से घटा था.
एक और ज़रूरी बात वज़न घटाने के लिए आपको पता होना चाहिए कि आपकी उम्र और लंबाई के मुताबिक़ आपका वज़न कितना होना चाहिए. कुछ लोगों पर दुबला होने का जुनून ऐसा सवार होता है कि वो ये भूल ही जाते हैं कि असल में उनके शरीर का भार होना कितना चाहिए. नतीजा होता है बीमारी. फिर आप डॉक्टर के पास जाते हैं वो आपको फिर से भरपेट खाने की सलाह देता है.
आप फिर से वज़नी होने शुरू हो जाते हैं, और उसी के साथ आपकी ज़हनी परेशानी बढ़ जाती है. फिर वो भी आपकी सेहत पर बुरा असर डालती है. लिहाज़ा सलाह यही है कि आप जूस के साथ साथ फलों और सब्ज़ियों को चबा कर खाएं. ताकि उनके सारे ज़रूरी तत्व आपके शरीर को मिल सकें.
तर्क
अच्छा जूस बनाने में अक्सर फलों का ही इस्तेमाल होता है. फलों में शुगर की मात्रा भी खूब होती है. जूस निकालने पर जब रेशा ख़त्म हो जाता है तो फल में सिर्फ शुगर बाक़ी रह जाती है. ये शुगर शरीर में जाकर ख़ून के साथ तेज़ी से मिल जाती है. जिसके बाद भूख ज़्यादा लगने लगती है. मोटापे के डर से आप अपनी भूख को कंट्रोल करते रहते हैं.
खाली पेट रहने की वजह से आपके शरीर पर बुरा असर पड़ता है. गैस की शिकायत होने लगती है. इसका दिमाग़ पर भी बुरा असर पड़ता है. जब पेट खाली होता है, तो दिमाग़ भी सुस्त हो जाता है. सोचने की शक्ति कम होने लगती है. ब्रिटिश डेंटल एसोसिएशन तो जूस को दांतों के लिए भी ख़तरनाक बताता है.
जूस की हिमायत करने वाले एक तर्क और देते हैं. उनके मुताबिक़ जूस हमारे शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करते हैं. यानी इनकी मदद से हमारे शरीर से ज़हरीली चीज़ें बाहर जाती हैं. जबकि जानकार कहते हैं कि हम जूस पियें या ना पियें, हमारा शरीर ख़ुद ही अपने को डिटॉक्स करता रहता है. हमारा लिवर, आंतें और गुर्दे ये काम ख़ुद ही बहुत अच्छी तरह से करते रहते हैं.
फलों में बहुत सी ऐसी ख़ासियतें होती हैं जो हमारी स्किन के लिए ज़रूरी हैं. जैसे विटामिन ‘सी’, ‘बीटा केरोटिन’, विटामिन ‘ए’. इसके अलावा विटामिन ‘ए’ और ‘के’ को ख़ून में शामिल होने के लिए वसा की ज़रूरत पड़ती है. जो जूस वाली डाइट में होती ही नहीं है. लिहाज़ा इस तरह के विटामिन हमारे शरीर में जमा हो जाते हैं. फिर ये शरीर को नुक़सान करने लगते हैं.
आदतों में बदलाव लाइए
अगर आप खुद को फिट रखना चाहते हैं, चमकदार स्किन चाहते हैं तो अपने खाने की आदतों में थोड़ी तब्दीली लाइए. इस काम में आपके डायटिशियन आपकी मदद कर सकते हैं. जिन लोगों का किसी तरह का इलाज चल रहा है, उन्हें तो बिना सलाह के अपने खाने में बदलाव करना ही नहीं चाहिए. अलबत्ता प्रॉसेस शुगर, अल्कोहल, कैफ़ीन वग़ैरह से परहेज़ बिना किसी की सलाह के कर सकते हैं.
जूस ब्लड शुगर के लेवल को गड़बड़ा देते हैं. और शुगर की बीमारी पैदा करने के लिए माहौल तैयार कर देते हैं. कभी कभी जूस पीने में कोई बुराई नहीं है. लेकिन इसे नियमित रूप से पीना ख़तरनाक हो सकता है.
लिहाज़ा सलाह यही है कि गर्भवती महिलाएं, बच्चों को दूध पिलाने वाली माएं, बुज़र्ग या 18 से कम उम्र के बच्चे, लिवर या किडनी की बीमारी से जूझ रहे मरीज़, या फिर वो मरीज़ जिनकी हाल ही में कोई सर्जरी हुई हो, वो जूस डाइट से परहेज़ करें.