गुजरात में कांग्रेस के प्रयासों को शुरूआती झटका

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कहते हैं गुजरात चुनाव कांग्रेस के लिए बेहद ही अहम है। इस मायने में भी कि 2019 में लोकसभा चुनाव होना है और कांग्रेस और राहुल के लिए अपने दाग धोने का ये सबसे अच्छा मौका है नहीं तो आगे 2019 में 44 से 4 पर खिसकना ना पड़ जाए जैसा कि बीजेपी वाले कह रहे हैं।

कांग्रेस के पास जीएसटी और नोटबंदी को भुनाने का मौका

गुजरात मोदी का गढ़ है और कांग्रेस के पास GST और नोटबंदी को भुनाने का ये बेहतरीन मौका है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि नोटबंदी और GST का सबसे ज्यादा नुकासन छोटे व्यापारियों को ही हुआ है। इसमें कोई संदेह नहीं है सबसे ज्यादा छोटे व्यापारी गुजरात में है और गुजरात बीजेपी से रूठा हुआ है। सोने पे सुहागा तो ये है कि इस बार तो मोदी भी नहीं है, तो मौका भी है और दस्तूर भी है।

जिग्नेश मेवानी ने दिया कांग्रेस को झटका

कांग्रेस गुजरात में जीत का मिशन लेकर चल रही है जिसमें ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर ने उनके (कांग्रेस) हाथ को मजबूत किया है लेकिन जिस युवा तिकड़ी के सहारे कांग्रेस गुजरात विजय का सपना देख नहीं है उसमें से युवा दलित नेता जिग्नेश मेवानी ने उसे झटका दे दिया है। जिग्नेश ने साफ कर दिया है कि वह 2017 गुजरात विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी में शामिल नहीं हो रहे हैं। वहीं हार्दिक ने भी पिछले दिनों कांग्रेस के सामने आरक्षण को लेकर एक शर्त रख दी है। उसके बाद हार्दिक पटेल के कांग्रेस का हाथ थामने पर भी संदेह के बादल घिर गए हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिए चिंता का विषय है कि जिन युवाओं के भरोसे वो गुजरात फतह का सपना देख रहे हैं उनमें से केवल एक ही उनके ध्वज तले आ पाए हैं।

बीजेपी है माहिर खिलाड़ी

वर्तमान में कांग्रेस के पक्ष में गुजरातियों का रूझान है लेकिन इसमें भी दो राय नहीं कि गुजरात में मोदी की अलग साख है और सुनने में आ रहा है कि चुनाव के दौरान वो गुजरात में 50 रैलियों को संबोधित करने वाले हैं तो इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि मोदी आखिरी वक्त में मोदी चुनाव का रूख बदल दें। हालांकि लगातार सत्ता में पकड़ के बाद बीजेपी वोट बैंक को लामबंद करने के और भी तरीके अपना सकती है।