नहीं रहे कड़क मिजाज वाले नौकरशाह जगमोहन, इमरजेंसी के वक्त पुरानी दिल्ली के लोग खाते थे खौफ
जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल जगमोहन मल्होत्रा का निधन हो गया। जगमोहन दिल्ली के एलजी भी रह चुके हैं और आपातकाल के दौरान उन्हें राजधानी के सौंदर्यीकरण का काम सौंपा गया था। जिस वक्त इमरजेंसी लगी उस वक्त वो दिल्ली विकास प्राधिकरण डीडीए में चेयरमैन भी थे। जम्मू कश्मीर का राज्यपाल रहते हुए उन्होंने सख्त रवैया अपनाया था जिसकी चर्चा देश में लंबे समय तक होती रही।
पुरानी दिल्ली की इस बात में क्या है सच्चाई
संजय गांधी के पसंदीदा अफसरों में जगमोहन मल्होत्रा की गिनती होती थी। इमरजेंसी के वक्त संजय गांधी की ओर से बुलाकर उनसे कहा गया कि उन्हें साफ सुथरी पुरानी दिल्ली चाहिए। पत्रकार तवलीन सिंह की किताब में उस वक्त के पुरानी दिल्ली के मशहूर रेस्टोरेंट फ्लोरा को ढहाने की घटना का जिक्र है।
जगमोहन का परिवार बंटवारे के बाद दिल्ली आकर बस गया। कुछ सालों बाद उनके अखबारों में कई आर्टिकल आए जिसमे वो हिंदू राष्ट्रवाद के बारे में लिखते थे। तवलीन सिंह ने अपनी किताब में लिखा है कि संजय गांधी की ओर से स्लम रिमूवल का प्लान आया और जिम्मेदारी जगमोहन मल्होत्रा को मिली। ऐसा बताया जाता है कि जगमोहन ने एक मीटिंग में कहा था कि जामा मस्जिद के बीच सारी चीजों को हटा दिया जाए। मैं दूसरा पाकिस्तान नहीं चाहता। हालांकि जगमोहन ने ऐसी किसी मीटिंग की बात को नकार दिया।
जम्मू कश्मीर में दिखा उनका सख्त रवैया
1989 में तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी को जब अगवा कर लिया गया था उस वक्त केंद्र सरकार की ओर से जगमोहन मल्होत्रा को जम्मू कश्मीर का राज्यपाल बनाया गया था। जगमोहन मल्होत्रा की नियुक्ति का विरोध करते हुए फारूक अब्दुल्ला ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। बाद में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। राज्य में 6 साल तक उसके बाद राष्ट्रपति शासन लगा रहा जो राज्य में सबसे अधिक समय तक रहा।
राज्यपाल रहते हुए जगमोहन ने कई सख्त फैसले लिए और आतंकवादियों के खिलाफ खास रणनीति अपनाई। कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार भी रोकने की कोशिश उनकी ओर से की गई। जम्मू कश्मीर के हालात पर केंद्र सरकार के रुख को देखते हुए उन्होंने इस मसले पर राजीव गांधी को एक कड़ा पत्र भी लिखा था। वो जम्मू कश्मीर में दो बार राज्यपाल रहे। जम्मू कश्मीर में अलगाववाद, अनुच्छेद 370 की वजह से पैदा हुई दिक्कतें और राजनीतिक साजिश को लेकर उनकी किताब दहकते अंगारे भी आई थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए इसे राष्ट्र की अपूरणीय क्षति बताया है। जगमोहन मल्होत्रा का जन्म 1927 में हाफिजाबाद में हुआ था जो अब पाकिस्तान में है। अपने जीवनकाल में वो कई पदों पर रहे और दिल्ली में चुनाव भी लड़ा।
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