Jabalpur News : छात्राओं के हॉस्टल में घुस गए थे युवक, 12 दिन बाद भी कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति, ज्ञानोदय आवासीय छात्रावास की घटना h3>
जबलपुर : मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के शासकीय ज्ञानोदय आवासीय विद्यालय ( Gyanodya Residential Hostel ) में आधी रात को कन्या छात्रावास में युवकों के घुसने को लेकर जिला प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। कलेक्टर डॉ इलैयाराजा टी ( Jabalpur Collector Dr Ilayaraja T) ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं। बता दें कि ज्ञानोदय आवासीय विद्यालय जबलपुर में कक्षा 6वीं से 12वीं तक की छात्र और छात्राएं विद्यालय में ही रखकर शिक्षा ग्रहण करते हैं। ज्ञानोदय आवासीय विद्यालय में जबलपुर संभाग के 8 जिलों के अनुसूचित जाति वर्ग के बच्चे पढ़ते हैं।
बता दें कि रांझी इलाके में स्थित शासकीय ज्ञानोदय विद्यालय में 7-8 मार्च की रात को कन्या छात्रावास ( Girls Hostel ) में तीन से चार युवक घुस गए और छात्राओं के साथ अभद्रता की। चीख पुकार मचने के बाद युवक वहां से भाग खड़े हुए। कन्या छात्रावास की छात्राओं ने दूसरे दिन मामले की शिकायत वार्डन और प्राचार्य से की।
विद्यालय के प्राचार्य ने अधिकारीयों को नहीं दी सूचना
कन्या छात्रावास में हुई इस घटना के एक सप्ताह बाद भी विद्यालय के प्राचार्य एम बेग ने इसकी जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारीयों को नहीं दी, बल्कि मामले को दबाने की कोशिश करते रहे। इस घटना के एक सप्ताह बाद जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो अनुसूचित जाति/जनजाति छात्र संघ जबलपुर के कार्यकर्ताओं ने घटना की जानकारी संभागीय उपायुक्त, अनुसूचित जाति/ जनजाति विकास विभाग संभाग जबलपुर और सहायक आयुक्त, जनजातीय विकास विभाग जबलपुर से कर दी। यही नहीं, जिला कलेक्टर डॉ इलैयाराजा टी को मामले की जानकारी लगते ही उन्होंने ने भी एसडीएम स्तर के अधिकारी से मामले की जांच के आदेश दे दिए।
क्या था मामला
सूत्रों के अनुसार 7-8 मार्च की आधीरात 2 बजे बालक छात्रावास में रहने वाले 12 वीं कक्षा के तकरीबन 3-4 चार छात्र कन्या छात्रावास में रहने वाली 12वीं कक्षा की छात्राओं से मिलने गए थे और काफी समय तक छात्रावास में ही थे। इस बात की जानकारी कन्या छात्रावास में रहने वाली अन्य दूसरी छात्राओं को लग गई और उन्होंने शोर मचा दिया।
हो-हल्ला होते ही छात्र वहां से भाग खड़े हुए। दूसरे दिन छात्राओं ने इसकी लिखित शिकायत वार्डन मालती चौधरी और प्राचार्य एम बैग से की। पूछताछ में बालक छात्रावास में रह रहे छात्रों ने अपनी गलती मानते हुए छात्रावास के वार्डन राजेश सोनी को लिखित माफीनामा भी दिया था और कन्या छात्रावास में जाने की बात मानी थी। इसके बाद 12वीं के छात्र और छात्राएं अपने अपने शहर चले गए।
मामला गंभीर, कार्रवाई नहीं
मामले की गंभीरता से बेखबर प्राचार्य और दोनों वार्डनों ने इसकी जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारीयों को नहीं दी और न ही छात्र -छात्राओं पर कोई कार्रवाई की। मामला जब प्रशासन के सामने आया तो सबके कान खड़े हो गए। प्रशासन अब इस मामले की जांच करा रहा है।
इस बाबत जब कन्या छात्रावास की वार्डन मालती चौधरी से पूछा गया तो उनका कहना है कि कन्या छात्रावास के पिछले हिस्से से चढ़कर छात्र कन्याओं के रूम तक पहुंचे होंगे। कन्या छात्रावास में सामने से जाना संभव नहीं है, क्योंकि सामने वाले गेट पर ताला लगा रहता है और गार्ड रात भर रखवाली करता है। इधर, बालक छात्रावास के वार्डन राजेश सोनी ने बताया कि जब छात्रों से पूछताछ की गयी थी तो उन्होंने बताया था की वो छात्रावास की छत से निचे छलांग लगाकर कन्या छात्रावास गए थे।
शिक्षक का काम छोड़ वार्डन बने
दिलचस्प बात ये है कि ज्ञानोदय में लगभग 500 विद्यार्थी छात्रावास में रहकर पढ़ते हैं। विद्यालय परिसर में ही कन्या और बालक छात्रावास है। इन छात्रावास में अर्चना झारिया और प्रवीण पांडे की नियुक्ति वार्डन के रूप में हुई है। वर्तमान में कन्या छात्रावास की वार्डन मालती चौधरी शिक्षिका हैं। वहीं, बालक छात्रावास के वार्डन राजेश सोनी भी शिक्षक हैं।
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विद्यालय के प्राचार्य ने अधिकारीयों को नहीं दी सूचना
कन्या छात्रावास में हुई इस घटना के एक सप्ताह बाद भी विद्यालय के प्राचार्य एम बेग ने इसकी जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारीयों को नहीं दी, बल्कि मामले को दबाने की कोशिश करते रहे। इस घटना के एक सप्ताह बाद जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो अनुसूचित जाति/जनजाति छात्र संघ जबलपुर के कार्यकर्ताओं ने घटना की जानकारी संभागीय उपायुक्त, अनुसूचित जाति/ जनजाति विकास विभाग संभाग जबलपुर और सहायक आयुक्त, जनजातीय विकास विभाग जबलपुर से कर दी। यही नहीं, जिला कलेक्टर डॉ इलैयाराजा टी को मामले की जानकारी लगते ही उन्होंने ने भी एसडीएम स्तर के अधिकारी से मामले की जांच के आदेश दे दिए।
क्या था मामला
सूत्रों के अनुसार 7-8 मार्च की आधीरात 2 बजे बालक छात्रावास में रहने वाले 12 वीं कक्षा के तकरीबन 3-4 चार छात्र कन्या छात्रावास में रहने वाली 12वीं कक्षा की छात्राओं से मिलने गए थे और काफी समय तक छात्रावास में ही थे। इस बात की जानकारी कन्या छात्रावास में रहने वाली अन्य दूसरी छात्राओं को लग गई और उन्होंने शोर मचा दिया।
हो-हल्ला होते ही छात्र वहां से भाग खड़े हुए। दूसरे दिन छात्राओं ने इसकी लिखित शिकायत वार्डन मालती चौधरी और प्राचार्य एम बैग से की। पूछताछ में बालक छात्रावास में रह रहे छात्रों ने अपनी गलती मानते हुए छात्रावास के वार्डन राजेश सोनी को लिखित माफीनामा भी दिया था और कन्या छात्रावास में जाने की बात मानी थी। इसके बाद 12वीं के छात्र और छात्राएं अपने अपने शहर चले गए।
मामला गंभीर, कार्रवाई नहीं
मामले की गंभीरता से बेखबर प्राचार्य और दोनों वार्डनों ने इसकी जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारीयों को नहीं दी और न ही छात्र -छात्राओं पर कोई कार्रवाई की। मामला जब प्रशासन के सामने आया तो सबके कान खड़े हो गए। प्रशासन अब इस मामले की जांच करा रहा है।
इस बाबत जब कन्या छात्रावास की वार्डन मालती चौधरी से पूछा गया तो उनका कहना है कि कन्या छात्रावास के पिछले हिस्से से चढ़कर छात्र कन्याओं के रूम तक पहुंचे होंगे। कन्या छात्रावास में सामने से जाना संभव नहीं है, क्योंकि सामने वाले गेट पर ताला लगा रहता है और गार्ड रात भर रखवाली करता है। इधर, बालक छात्रावास के वार्डन राजेश सोनी ने बताया कि जब छात्रों से पूछताछ की गयी थी तो उन्होंने बताया था की वो छात्रावास की छत से निचे छलांग लगाकर कन्या छात्रावास गए थे।
शिक्षक का काम छोड़ वार्डन बने
दिलचस्प बात ये है कि ज्ञानोदय में लगभग 500 विद्यार्थी छात्रावास में रहकर पढ़ते हैं। विद्यालय परिसर में ही कन्या और बालक छात्रावास है। इन छात्रावास में अर्चना झारिया और प्रवीण पांडे की नियुक्ति वार्डन के रूप में हुई है। वर्तमान में कन्या छात्रावास की वार्डन मालती चौधरी शिक्षिका हैं। वहीं, बालक छात्रावास के वार्डन राजेश सोनी भी शिक्षक हैं।