देश में कई दिनों से बड़े स्तर पर किसान आंदोलन चल रहा है. जिसमें किसानों का आरोप है कि केंद्र सरकार द्वारा कृषि से संबंधित जो तीन कानून बनाए हैं, वो पहले से ही बुरे हालातों में जी रहे किसानों को पूरी तरह बर्बाद कर देंगें. जिसके विरोध में कई किसान संगठन इन कानूनों को वापस लेने के लिए दबाव बनाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं.
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर का कहना है कि किसान आंदोलन में दिल्ली दंगों के आरोपी और नक्सल समर्थकों के पोस्टर क्यों दिखें. किसान आंदोलन का इससे क्या लेना देना है. वहीं केंद्रीय मंत्री पियुष गोयल ने भी कहा कि यह आंदोलन किसानों के हाथों से निकल गया है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार टिकरी बार्डर पर किसानों के एक संगठन के मंच पर दिल्ली दंगों और भीमा कोरेगांव हिंसा के आरोपितों की रिहाई की मांग के बैनर लगे हैं.
हालांकि भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि किसान आंदोलन का इस तरह के आयोजन या घटनाओं से कोई लेना देना नहीं है. किसान संगठनों की तरफ से कभी भी आतंकी संगठन के लोगों को रिहा करने की मांग नहीं की गई है. यह किसान आंदोलन को बदनाम करने की साजिश भी हो सकती है. जिसमें कुछ असामाजिक तत्व किसान आंदोलन का सहारा लेकर अपने गलत मनसूबों को पूरा करना चाहते हों. लेकिन किसान संगठनों को भी इस तरह की घटनाओं में लगे असामाजिक तत्वों आंदोलन को बदनाम करने से रोकना चाहिएं.
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सरकार की तरफ से बीच का रास्ता निकालने के लिए किसान संगठनों के पास एक प्रस्ताव भेजा था. जिसमें किसानों की चिंताओं के आधार पर कृषि कानूनों में कुछ संशोधन की बात की गई. लेकिन किसान संगठन चाहते हैं कि कृषि कानून पूरी तरह से वापिस लिए जाने चाहिएं.