देश में महंगाई के लिए क्या सरकार जिम्मेदार है ?

481
महंगाई
महंगाई

महंगाई एक ऐसा शब्द है, जिसको सुनकर ही लोगों के मन में भय पैदा हो जाता है. उनको अपना व्यक्तिगत बजट बिगड़ता हुआ दिखाई देता है. आम लोगों को चिंता सताने लगती है कि अब अपनी दैनिक दिनचर्या के लिए वो पैसे कहाँ से लाएं. जहाँ तक भारत देश की बात है, तो हमारे लिए बड़े दुर्भाग्य की बात है कि देश की आजादी के बाद भी भारत की बहुत बड़ी जनसंख्या को गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने को मजबूर होना पड़ रहा है.

महंगाई

गरीब लोगों का जीवन आमतौर पर भी इतना मुश्किल होता है. लेकिन तब क्या होता होगा, जब गरीबी के साथ किसी को महंगाई का सामना भी करना पड़े. वो लोग अपने शौक पूरा करना तो सपना ही समझो. जब वो सिर्फ अपनी जरूरते भी पूरी नहीं कर पाते. लेकिन अब सवाल ये आता है कि महंगाई का इस कदर बुरा असर देश के गरीब और मध्यम वर्ग पर पड़ता है, तो इस महंगाई के लिए जिम्मेदार कौन है ?  क्या सरकार की भी इसके प्रति कोई नैतिक जिम्मेदारी बनती है ? क्या सरकार इसको नियंत्रित कर सकती है ?

महंगाई

महंगाई के लिए वैसे तो कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं. जैसे- जमाखोरी के कारण भी महंगाई विकराल रूप ले सकती है या किसी प्राकृतिक आपदा के कारण फल , सब्जियां या फसले खराब हो जाती है, तो भी इसका सीधा असर महंगाई पर पड़ता है. अगर तेल के दाम बढ़ते हैं, तो उसका असर भी सीधे तौर पर महंगाई पर पड़ता है.

यह भी पढे़ं: क्या त्यागपत्र देने के बाद सरकारी नौकरी दोबारा पाई जा सकती है?

महंगाई के बढ़ने में कहीं ना कहीं सरकार की असफलता से भी हम इनकार नहीं कर सकते हैं. इसका कारण यह है कि जमाखोरी की वजह से ऐसा है , तो सरकार के पास प्रशासन द्वारा अंकुश लगाने की जिम्मेदारी होती है. तेल के दाम की बात करें, तो सरकार को लोगों को राहत देने के लिए टैक्स कम किए जा सकते हैं. इसके अलावा महंगाई का कोई भी कारण हो, सरकार की उसको नियंत्रित करने की नैतिक जिम्मेदारी से इंकार नहीं किया जा सकता.