क्या Joe Biden का अमेरिका का राष्ट्रपति बनना भारत के लिए फायदेमंद है?

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क्या Joe Biden का अमेरिका का राष्ट्रपति बनना भारत के लिए फायदेमंद है?

विश्व के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र अमेरिका का नया राष्ट्रपति कौन होगा इस पर पूरी दुनिया की नजर आज टिकी हुई है। जो बाइडेन और डोनाल्ड ट्रंप के बीच कांटे की टक्कर देखी जा रही है। भारत के लिहाज से यह चुनाव काफी महत्वपूर्ण है। जानिए भारत के लिए डोनाल्ड ट्रंप की वापसी ज्यादा फायदेमंद है या फिर जो बाइडेन का नया राष्ट्रपति के तौर पर चुना जाना।

अमेरिका का चुनाव परिणाम भारत के आर्थिक और कूटनीतिक परिदृश्यों के लिए काफी अहम है। अमेरिका और भारत के संबंध हमेशा से अच्छे रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दोस्ती पूरी दुनिया में मशहूर है। ट्रंप और मोदी की जोड़ी कई बार विभिन्न मंचों पर एक साथ नजर आ चुकी है। जबकि मोदी की जो बाइडेन से साल 2014 में मुलाकात हुई थी।

अमेरिकी के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन, जॉर्ज डब्ल्यू बुश, बराक ओबामा के साथ भारत के रिश्ते सुलझे हुए थे। डोनाल्ड ट्रंप जब अमेरिका के राष्ट्रपति बने तो सभी के मन में यह सवाल था कि भारत के प्रति उनका रवैया कैसा होगा, लेकिन समय के साथ और साल 2014 में पीएम मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अमेरिका और भारत एक बेहतर दोस्त साबित हुए हैं।

ऐसा नहीं है कि ट्रंप के काल में सब कुछ अच्छा ही रहा था। अमेरिका में भारतीयों की एक बड़ी संख्या है। काम के सिलसिले में तमाम भारतीय अमेरिका में रहते हैं। H1B वीजा को लेकर ट्रंप के फैसले से कई भारतीय खुश नहीं हैं। इसलिए भारतीय ऐसे राष्ट्रपति के समर्थन में होंगे, जो वीजा पॉलिसी को आसान कर सकें।

भारत के लिए कौन होगा बेहतर

अंतरराष्ट्रीय राजनीति के जानकार मानते हैं कि रिपब्लिकन राष्‍ट्रपतियों का झुकाव भारत की तरफ ज्यादा रहता है। हालांकि, इसमें भी अपवाद है। 2000 के दशक में जॉर्ज डब्‍ल्‍यू बुश केनेडी जहां नियो-कंजरवेटिव रिपब्लिकन थे, वहीं बुश डेमोक्रेट दोनों ने भारत-अमेरिका के रिश्‍तों को नई ऊंचाइयां दीं।

चीन के लिहाज से कौन है फायदेमंद

बीते कुछ समय से चीन की सेना लगातार लद्दाख में घुसपैठ की कोशिश कर रही है। भारत-चीन के रिश्तों के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है। भारतीय सीमा में चीन की दखलअंदाजी का डोनाल्ड ट्रंप ने विरोध किया था। ट्रंप ने चीन को चेतावनी देते हुए सबक सिखाने तक की बात कह डाली थी। देखा जाए तो ट्रंप का रवैया चीन के प्रति हमेशा कड़ा रहा है।

पाकिस्तान के खिलाफ खुलकर ट्रंप ज्यादा मुखर

पाकिस्तान की जमीन से आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के तमाम सबूत के बाद भी पड़ोसी देश यह बात मानने को तैयार नहीं है। अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच कई बार मध्यस्थता की बात कही है। साथ ही आतंकवाद रोकने के लिए पाकिस्तान को फटकार भी लगाई है। पाकिस्तान ने अमेरिका को कभी पसंद नहीं किया है, लेकिन ट्रंप के आने के बाद पाकिस्तान का नजरिया और बदला है। ट्रंप जहां इस्‍लामिक आतंकवाद को लेकर पूरी दुनिया में अपनी राय स्पष्ट कर चुके हैं, जबकि जो बाइडेन ने जरूरत के हिसाब से एक्शन की कार्रवाई पर चलने की बात कही है।

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