प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी से मिलेंगे ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी, पोर्ट पर ले सकते हैं फैसला

256

ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी तीन दिन के दौरे पर भारत आ चुके हैं. आज उनके दौरे का आखिरी दिन दिल्ली में होगा. वो अपने दिल्ली दौरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे. कयास लगाये जा रहे हैं कि इस मुलाकात में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चाबहार पोर्ट पर फैसला हो सकता है. साथ ही राष्ट्रपति हसन की व्यापारियों से मुलाकात होने की खबर भी चर्चा में है.

ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी भारत के तीन दिवसीय दौरे पर गुरुवार को हैदराबाद पहुंचे थे.  शुक्रवार को रूहानी ने हैदराबाद में कहा था कि जो लोग यह सोचते हैं कि इस्लाम ‘‘हिंसा एवं आतंकवाद’’ का धर्म है, उनका आकलन गलत है. राष्ट्रपति ने मक्का मस्जिद में जुम्मे की नमाज़ के लिए जुटें लोगों को संबोंधित किया. उनके मुताबिक लोगों को पंथ के आधार पर होने वाले मतभेदों से ऊपर उठाना चाहिए.

अगस्त 2013 में कार्यभारत संभालने के बाद ईरान के सातवें राष्ट्रपति की यह पहली भारत यात्रा है. भारत और ईरान के बीच मजबूत आर्थिक और वाणिज्यिक संबंध है. पीएम मोदी की वर्ष 2016 में ईरान यात्रा के दौरान करीब एक दर्जन से अधिक समझौते पर हस्ताक्षर किये गये थे. चाबहार पोर्ट बनने के बाद सी रूट से होते हुए भारत के जहाज ईरान में दाखिल हो पाएंगे.

 

बता दें कि ईरान ने तेल एवं प्राकृतिक गैस के अपने विशाल संसाधनों को भारत के साथ साझा किया. इसके साथ ही द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए वीजा नियमों में ढील देने की इच्छा जताई है. हैदराबाद में उन्होंने कहा था कि खाड़ी देश में चाबहार बंदरगाह भारत के लिए ईरान और मध्य एशियाई देशों के साथ यूरोप तक ट्रांजिट मार्ग खोलेगा.

चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए पहले भी हुआ था समझौता

आज दिल्ली में ईरानी राष्ट्रपति प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात करेंगे. मुलाकात में दोनों देशों के बीच कई करार पर मुहर लगेगी.चाबहार पोर्ट पर कई अहम फैसले लिए जा सकते हैं. इस पोर्ट के जरिए अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया तक के बाजार भारतीय कंपनियों और कारोबारियों के लिए खुल जाएंगे. इसलिए चाबहार पोर्ट व्यापार और सामरिक लिहाज से भारत के लिए काफी अहम है. राष्ट्रपति हसन रूहानी बाद में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन को संबोधित करेंगे. हालांकि 2003 में ही इस चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए भारत और ईरान के बीच समझौता हुआ था. मोदी सरकार ने फरवरी 2016 में चाबहार पोर्ट प्रोजेक्ट के लिए 150 मिलियन डॉलर के क्रेडिट लाइन को हरी झंडी दी थी. परमाणु कार्यक्रमों के चलते ईरान पर पश्चिमी देशों की ओर से पाबंदी लगा दिए जाने के बाद इस प्रोजेक्ट का काम धीमा हो गया था. जनवरी 2016 में ये पाबंदियां हटाए जाने के बाद भारत ने इस प्रोजेक्ट पर तेजी से काम करना शुरू कर दिया. आपसी सहमति के बाद दक्षिण-पूर्वी ईरान में चाबहार बंदरगाह के लिए भारत को 8.5 करोड़ डॉलर निवेश करना है. चाबहार पोर्ट बनने के बाद सी रूट से होते हुए भारत के जहाज ईरान में दाखिल हो पाएंगे.