Innovation: गोबर की ईंट से बनाइए ईको फ्रेंडली मकान, लागत भी है बहुत कम | innovation Green Eco Friendly Brick gobar bricks | Patrika News h3>
यह तकनीक खोजने वाली बेटी कलश शर्मा ने मॉडल का नाम रखा है गौक्रीट हाउस। यानी गाय के गोबर से बनी ईंट। इसका उपयोग कर बिना सीमेंट, बालू व ईंट मकान बना लेंगे।
राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी के लिए चयनित
महारानी लक्ष्मीबाई कन्या स्कूल में 10वीं की छात्रा कलश शर्मा ने शिक्षिका प्रतिभा नामदेव के मार्गदर्शन में विज्ञान प्रदर्शन के लिए गौक्रीट हाउस मॉडल तैयार किया है। विज्ञान प्रदर्शन 2022 में कलश के इस मॉडल को प्रदेश में पहला स्थान मिला है। अब कलश अपने इस मॉडल का प्रदर्शन राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी में करेंगी।
गौक्रीट हाउस के लाभ
कलश ने बताया, इन घरों में सीमेंट, रेत की आवश्यकता नहीं होती। यह घर ऊष्मारोधी होते हैं। इसलिए रूम हीटर व एयर कंडीशनर की जरूरत नहीं पड़ती। बिजली की बचत होगी। गौक्रीट हाउस की दीवारें रेडिएशन को सोख लेती हैं। इसलिए मकान स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होंगे। वायु एवं ध्वनि प्रदूषण भी नहीं होता क्योंकि गोबर की ईंट से बनी दीवार प्रदूषण का प्रभाव कम करती है। गौक्रीट हाउस बनाकर हम गायों को अर्थव्यवस्था से भी जोड़ सकते हैं।
खासियत
इस मॉडल का उपयोग कर बिना बालू, सीमेंट का उपयोग किए ईको फ्रेंडली मकान कम दाम में बनाया जा सकता है। इस प्रकार के मकान बनाने से पर्यावरण को कोई भी नुकसान नहीं होगा क्योंकि इसे बनाने में सिर्फ गाय के गोबर की ईंटों का उपयोग किया जाता है।
यह तकनीक खोजने वाली बेटी कलश शर्मा ने मॉडल का नाम रखा है गौक्रीट हाउस। यानी गाय के गोबर से बनी ईंट। इसका उपयोग कर बिना सीमेंट, बालू व ईंट मकान बना लेंगे।
राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी के लिए चयनित
महारानी लक्ष्मीबाई कन्या स्कूल में 10वीं की छात्रा कलश शर्मा ने शिक्षिका प्रतिभा नामदेव के मार्गदर्शन में विज्ञान प्रदर्शन के लिए गौक्रीट हाउस मॉडल तैयार किया है। विज्ञान प्रदर्शन 2022 में कलश के इस मॉडल को प्रदेश में पहला स्थान मिला है। अब कलश अपने इस मॉडल का प्रदर्शन राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी में करेंगी।
गौक्रीट हाउस के लाभ
कलश ने बताया, इन घरों में सीमेंट, रेत की आवश्यकता नहीं होती। यह घर ऊष्मारोधी होते हैं। इसलिए रूम हीटर व एयर कंडीशनर की जरूरत नहीं पड़ती। बिजली की बचत होगी। गौक्रीट हाउस की दीवारें रेडिएशन को सोख लेती हैं। इसलिए मकान स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होंगे। वायु एवं ध्वनि प्रदूषण भी नहीं होता क्योंकि गोबर की ईंट से बनी दीवार प्रदूषण का प्रभाव कम करती है। गौक्रीट हाउस बनाकर हम गायों को अर्थव्यवस्था से भी जोड़ सकते हैं।
खासियत
इस मॉडल का उपयोग कर बिना बालू, सीमेंट का उपयोग किए ईको फ्रेंडली मकान कम दाम में बनाया जा सकता है। इस प्रकार के मकान बनाने से पर्यावरण को कोई भी नुकसान नहीं होगा क्योंकि इसे बनाने में सिर्फ गाय के गोबर की ईंटों का उपयोग किया जाता है।