Indore News : नए के लिए पूर्व सभापति तलाश रहे कमरा | Former Chairman Looking New Room For New Chairperson | Patrika News

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Indore News : नए के लिए पूर्व सभापति तलाश रहे कमरा | Former Chairman Looking New Room For New Chairperson | Patrika News

Indore News : नए के लिए पूर्व सभापति तलाश रहे कमरा | Former Chairman Looking New Room For New Chairperson | Patrika News

हाल ही में हुए निगम चुनाव में शहर के 85 वार्ड में से 64 भाजपा जीती है। कांग्रेस के खाते में 19 वार्ड आए। दो वार्ड में निर्दलीय जीते हैं। निगम में महापौर और परिषद भाजपा की है। लगातार पांचवीं बार भाजपा की परिषद बनी है। इसके चलते 8 अगस्त को हुए सभापति के चुनाव में पार्षद मुन्नालाल यादव को निर्विरोध चुना गया। चुनाव हुए और यादव को सभापति बने आज नौ दिन हो गए, मगर निगम में उनके बैठने के लिए स्थान तय तय नहीं हो पाया है। इसको लेकर कल नए सभापति यादव के लिए कमरा ढूंढऩे पूर्व सभापति राजेंद्र राठौर निगम मुख्यालय पहुंचे।

राठौर सबसे पहले मुख्यालय में आठ वर्ष से बन रही परिषद की नई बिल्डिंग में पहुंचे। यहां उन्होंने उस कमरे को देखा, जहां पिछली परिषद में सभापति रहे अजय सिंह नरूका बैठते थे। उन्होंने अन्य कमरों को भी देखा। नई के साथ उन्होंने पुरानी बिल्डिंग में उस कमरे को भी देखा, जिसमें वे सभापति के नाते पूर्व महापौर कृष्णमुरारी मोघे के कार्यकाल में बैठते थे। अभी इस कमरे में अपर आयुक्त अभय राजनगांवकर बैठते हैं।

कहां बैठाएं, अफसरों के लिए बड़ी चुनौती राठौर ने एमआईसी सदस्यों के कमरे भी देखे, क्योंकि इस बार की परिषद में उनके फिर से पार्षद बनने पर एमआईसी सदस्य बनना तय है, इसलिए सभापति के साथ-साथ खुद के लिए भी कमरे की तलाश कर रहे हैं। निगम मुख्यालय में ही ड्रेनेज एवं जल यंत्रालय विभाग का भी राठौर ने निरीक्षण किया। यहां पर उन्होंने अपर आयुक्त मनोज पाठक का कमरा देखा, जो पिछली परिषद में एमआईसी मेंबर रहे बलराम वर्मा का था। मालूम हो कि एमआईसी में आने वाले पार्षद भी अपने लिए कमरे की तलाश में लगे हैं, क्योंकि निगम चुनाव के ढाई वर्ष देरी से होने से एमआईसी के कमरों में कर्मचारियों और अफसरों का कब्जा हो गया है। साथ ही कमरों की हालत अलग खराब हो गई है। ऐसे में सभापति सहित 10 एमआईसी मेंबर को बैठना निगम परिषद कार्यालय के अफसरों के लिए बड़ी चुनौती है।

नई बिल्डिंग समय पर तैयार हो जाती तो नहीं होती मुसीबत पूर्व महापौर कृष्ण मुरारी मोघे के कार्यकाल में निगम मुख्यालय परिसर में नई बिल्डिंग (परिषद भवन) का निर्माण कार्य 27 अक्टूबर 2014 में शुरू हुआ था। इस काम को 2 वर्ष में यानी 27 अक्टूबर 2016 को पूर्ण हो जाना चाहिए था, लेकिन 8 वर्ष में भी निगम नए भवन का कार्य पूर्ण नहीं कर पाया। मोघे के साथ ही पूर्व महापौर मालिनी गौड़ के कार्यकाल में भी भवन निर्माण कार्य चलता रहा, लेकिन पूरा नहीं हुआ। अगर यह नई बिल्डिंग समय रहते बन जाती तो सभापति, नेता प्रतिपक्ष और एमआईसी मेंबर सहित पार्षदों को बैठाने को लेकर मुसीबत नहीं होती। हालांकि महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने नई बिल्डिंग का काम 6 माह में पूरा करने का दावा किया है। अब देखना यह है कि उनका यह दावा कितना सही साबित होता है।

फिलहाल ये अफसर बैठ रहे नई बिल्डिंग में अधूरी नई बिल्डिंग में अभी निगम की स्थापना शाखा, योजना शाखा, पुल-पुलिया प्रकोष्ठ, फायर और कॉलोनी सेल के कर्मचारी बैठते हैं। इनके साथ ही अपर आयुक्त भव्या मित्तल, ऋषभ गुप्ता, संदीप सोनी, उपायुक्त लता अग्रवाल आदि के ऑफिस भी इसी नई बिल्डिंग में हैं।



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