Indian family business: एफवाई 2022 में अधिकतर फेमिली कंपनी का रहेगा जलवा
हाइलाइट्स:
- family owned cos में साल 2021-22 में शानदार प्रदर्शन दोहराने की क्षमता है।
- family companies में थोड़ी सी कमाई के लिए दोगुनी मेहनत करने का जज्बा है।
- इन कंपनियों में से 9 फ़ीसदी को लगता है कि नकदी का संकट चिंता का विषय हो सकता है।
नई दिल्ली
देश में कोरोनावायरस संकट (Covid Crisis) की वजह से आर्थिक गतिविधियों में कमजोरी बरकरार है, लेकिन भारतीय परिवारों के स्वामित्व वाले कारोबार (family owned cos) में साल 2021-22 में शानदार प्रदर्शन दोहराने की क्षमता है। टाइम्स ऑफ इंडिया के लिए किए गए एक विशेष स्टडी में यह जानकारी मिली है। एग्जीक्यूटिव एक्सेस इंडिया (Executive Access India) की इस स्टडी में 100 कंपनियों से बातचीत की गई।
यह सभी कंपनियां परिवार के स्वामित्व वाली कारोबार (family owned cos) से जुड़ी हुई हैं। इन कंपनियों में से 64 फ़ीसदी ने कहा है कि वह चालू वित्त वर्ष के लिए अपने आउटलुक को आशावादी नजरिए से देखती हैं। इस स्टडी में शामिल कंपनियों में से 51 फ़ीसदी ने कहा है कि घरेलू बाजार में उनके कारोबार में ग्रोथ की उम्मीद है और कंपनियां विस्तार की योजना बना रही है।
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माहौल के हिसाब से बदल जाती हैं कंपनियां
एग्जीक्यूटिव एक्सेस इंडिया (Executive Access India) के एमडी रोनेंस पुरी ने कहा, “इंडियन फैमिली बिजनेस (family owned cos) को लगता है कि कोरोनावायरस संकट (Covid Crisis) जल्द ही खत्म हो जाएगा। देश में कोरोना टीकाकरण (Covid vaccination) की रफ्तार बढ़ने के साथ ही कोरोना संक्रमण (Covid Crisis) के मामलों में कमी आने की उम्मीद की जा रही है। इस स्टडी में शामिल 64 फ़ीसदी कंपनियां भविष्य को लेकर आशावादी हैं। उन्हें लगता है कि भारतीय कारोबार में किसी संकट से निपटने की काफी क्षमता है। इसके साथ ही भारतीय कारोबार जल्दी से चीजों के हिसाब से कारोबार को ढालने में भी सक्षम है।
थोड़ी कमाई के लिए दोगुनी मेहनत
इस स्टडी में कहा गया है कि निकट भविष्य के बारे में अनिश्चितता को देखते हुए सर्वे में शामिल 79% कंपनियों ने कहा है कि चिंता की सबसे बड़ी वजह यही है। इमामी ग्रुप के निदेशक आदित्य अग्रवाल (Aditya Agarwal) ने कहा, “मुझे पूरा भरोसा है कि इंडियन फैमिली बिजनेस (family owned cos) में सर्वाइवल की बेजोड़ क्षमताएं मौजूद हैं। इस तरह के परिवार के लिए कारोबार सबसे जरूरी काम है और इसे जारी रखने के लिए वह कुछ भी करने को तैयार होते हैं। अगर फैमिली बिजनेस (family owned cos) को थोड़ी सी कमाई के लिए दोगुनी मेहनत भी करनी पड़े तो वह उसके लिए भी तैयार रहते हैं।
नकदी का संकट
इस स्टडी में बताया गया है कि पिछले साल कोरोनावायरस संकट (Covid Crisis) की अवधि में कैश क्रंच (cash crunch) सबसे बड़ी समस्या बन कर उभरा था, इस साल ऐसी कोई दिक्कत नहीं है। इस स्टडी में शामिल कंपनियों में से सिर्फ 9 फ़ीसदी ने कहा है कि नकदी का संकट (cash crunch) चिंता का विषय हो सकता है। स्टडी में शामिल 68 फ़ीसदी कंपनियों का कहना है कि आर्थिक अनिश्चितता (Economic Uncertainity) सबसे बड़ी चुनौती है। अगर एडवरटाइजिंग और मार्केटिंग सेक्टर की बात करें तो स्टडी में शामिल 50 फ़ीसदी कंपनियों ने कहा है कि वित्त वर्ष 2022 में नकदी का संकट चिंता की सबसे बड़ी वजह रह सकता है। इसके बाद भी एडवरटाइजिंग और मार्केटिंग कंपनियों ने कहा है कि वह भारत और विदेश में अपना कारोबार बढ़ाना चाहती हैं।
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