India-Russia and America: रूस से कच्चा तेल और S-400 खरीदने को लेकर अमरीका के बयान से भारत को राहत, पाक-चीन की बढ़ी बेचैनी | India-Russia and America: Relief to India from America’s statement | Patrika News h3>
भारत और रूस के संबंधों को अमरीका ने किया स्वीकार विदेश मामलों के जानकारों का कहना है कि अमरीका का यह बयान काफी खास है। खासकर अमरीका और भारत के संबंधों के लिहाज से यह काफी महत्वपूर्ण है। अमरीका के इस बयान को इस नजरिए से देखा जाना चाहिए कि उसने भारत और रूस की निकटता को स्वीकार किया है। यह बयान इसलिए भी अहम है क्यों कि सार्वजनिक तौर पर पहली बार अमरीका ने भारत-रूस संबंधों को लेकर अपना व्यवहारिक दृष्टिकोण पेश किया है। कूटनीतिक दृष्टि से यह भारत के पक्ष में है। उन्होंने कहा कि अगर देखा जाए तो पहली बार अमरीका ने भारत रूस संबंधों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से स्वीकार किया है।
चीन और पाकिस्तान की चिंता बढ़ी अमरीका के इस बयान के बड़े कूटनीतिक मायने हैं। हालांकि, अमरीका के इस बयान से चीन और पाकिस्तान की चिंता बढ़ा दी है। भारत शायद अकेला मुल्क है, जो रूस और अमरीका के साथ बराबर संपर्क में हैं। दोनों देशों के साथ भारत के मजबूत कूटनीतिक रिश्ते हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि रूसी एस-400 डिफेंस मिसाइल सिस्टम को लेकर तुर्की को अमरीका के कोप भाजन का शिकार होना पड़ा है, लेकिन भारत के प्रति अमरीका ने उदार दृष्टिकोण अपनाया है। बाइडन प्रशान के बयान से चीन और पाकिस्तान की चिंता बढ़ी होगी, क्योंकि भारत और रूस की निकटता चीन और पाकिस्तान को भी नहीं भाती है।
भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच अमरीका का बयान अहम बाइडन प्रशासन का यह बयान ऐसे समय आया है, जब यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत पर रूस के खिलाफ होने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव है। इसको लेकर अमरीका और पश्चिमी देशों को लेकर भारत पर काफी दबाव है। ऐसे में बाइडन प्रशासन का यह बयान भारत को दुविधा से मुक्त करने वाला है। बाइडन प्रशासन ने भारत को यह राहत ऐसे समय दी है, जब भारत ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल का अपग्रेड वर्जन करने के लिए रूसी जिरकान हाइपरसोनिक मिसाइल की तकनीक का इस्तेमाल करने की तैयारी में है।
अपने बयान में आखिर अमरीका ने क्या कहा अमरीकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने भारत की ओर से रूसी तेल, फर्टिलाइजर और रूसी डिफेंस सिस्टम खरीदे जाने के बारे में कहा कि किसी अन्य देश की विदेश नीति के बारे में बात नहीं करनी चाहिए। नेड प्राइस ने कहा, ‘लेकिन भारत से हमने जो सुना है, मैं उस बारे में बात कर सकता हूं। हमने दुनियाभर में देशों को यूक्रेन पर रूस के हमले के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने वोट समेत कई बातों पर साफ रूप से बात करते देखा है। हम यह बात भी समझते हैं और जैसा कि मैंने कुछ ही देर पहले कहा था कि यह बिजली का स्विच आफ करने की तरह नहीं है।
रूस के साथ भारत के ऐतहासिक संबंध उन्होंने कहा कि यह समस्या खास तौर पर उन देशों के साथ है, जिनके रूस के साथ ऐतिहासिक संबंध हैं। जैसा कि भारत के मामले में है, उसके संबंध दशकों पुराने हैं। भारत को अपनी विदेश नीति में रूस की तरफ झुकाव हटाने में लंबा वक्त लगेगा। यूक्रेन पर रूस ने 24 फरवरी को हमला कर दिया था, जिसके बाद अमरीका और यूरोपीय देशों ने उस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। भारत ने पश्चिमी देशों की आलोचना के बावजूद रूस से यूक्रेन युद्ध के बाद तेल आयात बढ़ाया है और उसके साथ व्यापार जारी रखा है। रूस मई में सऊदी अरब को पीछे छोड़कर भारत का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल सप्लायर बन गया है।
भारत और रूस के संबंधों को अमरीका ने किया स्वीकार विदेश मामलों के जानकारों का कहना है कि अमरीका का यह बयान काफी खास है। खासकर अमरीका और भारत के संबंधों के लिहाज से यह काफी महत्वपूर्ण है। अमरीका के इस बयान को इस नजरिए से देखा जाना चाहिए कि उसने भारत और रूस की निकटता को स्वीकार किया है। यह बयान इसलिए भी अहम है क्यों कि सार्वजनिक तौर पर पहली बार अमरीका ने भारत-रूस संबंधों को लेकर अपना व्यवहारिक दृष्टिकोण पेश किया है। कूटनीतिक दृष्टि से यह भारत के पक्ष में है। उन्होंने कहा कि अगर देखा जाए तो पहली बार अमरीका ने भारत रूस संबंधों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से स्वीकार किया है।
चीन और पाकिस्तान की चिंता बढ़ी अमरीका के इस बयान के बड़े कूटनीतिक मायने हैं। हालांकि, अमरीका के इस बयान से चीन और पाकिस्तान की चिंता बढ़ा दी है। भारत शायद अकेला मुल्क है, जो रूस और अमरीका के साथ बराबर संपर्क में हैं। दोनों देशों के साथ भारत के मजबूत कूटनीतिक रिश्ते हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि रूसी एस-400 डिफेंस मिसाइल सिस्टम को लेकर तुर्की को अमरीका के कोप भाजन का शिकार होना पड़ा है, लेकिन भारत के प्रति अमरीका ने उदार दृष्टिकोण अपनाया है। बाइडन प्रशान के बयान से चीन और पाकिस्तान की चिंता बढ़ी होगी, क्योंकि भारत और रूस की निकटता चीन और पाकिस्तान को भी नहीं भाती है।
भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच अमरीका का बयान अहम बाइडन प्रशासन का यह बयान ऐसे समय आया है, जब यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत पर रूस के खिलाफ होने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव है। इसको लेकर अमरीका और पश्चिमी देशों को लेकर भारत पर काफी दबाव है। ऐसे में बाइडन प्रशासन का यह बयान भारत को दुविधा से मुक्त करने वाला है। बाइडन प्रशासन ने भारत को यह राहत ऐसे समय दी है, जब भारत ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल का अपग्रेड वर्जन करने के लिए रूसी जिरकान हाइपरसोनिक मिसाइल की तकनीक का इस्तेमाल करने की तैयारी में है।
अपने बयान में आखिर अमरीका ने क्या कहा अमरीकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने भारत की ओर से रूसी तेल, फर्टिलाइजर और रूसी डिफेंस सिस्टम खरीदे जाने के बारे में कहा कि किसी अन्य देश की विदेश नीति के बारे में बात नहीं करनी चाहिए। नेड प्राइस ने कहा, ‘लेकिन भारत से हमने जो सुना है, मैं उस बारे में बात कर सकता हूं। हमने दुनियाभर में देशों को यूक्रेन पर रूस के हमले के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने वोट समेत कई बातों पर साफ रूप से बात करते देखा है। हम यह बात भी समझते हैं और जैसा कि मैंने कुछ ही देर पहले कहा था कि यह बिजली का स्विच आफ करने की तरह नहीं है।
रूस के साथ भारत के ऐतहासिक संबंध उन्होंने कहा कि यह समस्या खास तौर पर उन देशों के साथ है, जिनके रूस के साथ ऐतिहासिक संबंध हैं। जैसा कि भारत के मामले में है, उसके संबंध दशकों पुराने हैं। भारत को अपनी विदेश नीति में रूस की तरफ झुकाव हटाने में लंबा वक्त लगेगा। यूक्रेन पर रूस ने 24 फरवरी को हमला कर दिया था, जिसके बाद अमरीका और यूरोपीय देशों ने उस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। भारत ने पश्चिमी देशों की आलोचना के बावजूद रूस से यूक्रेन युद्ध के बाद तेल आयात बढ़ाया है और उसके साथ व्यापार जारी रखा है। रूस मई में सऊदी अरब को पीछे छोड़कर भारत का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल सप्लायर बन गया है।