चीनी अमेजन ने भारत का अधूरा मैप सेल पर लगाया

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ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन अमेरिका में हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीर वाले डोर मैट सेल किए जाने के बाद एक बार फिर से विवादों में है। इस बार अमेजन का चीनी यूनिट विवादों में है। अमेजन चाइना इस बार भारत के अभिन्न अंग कश्मीर को उससे अलग करके भारत का वाटर कलर मैप साइट पर सेल कर रहा है। मैप में जम्मू और कश्मीर का लगभग आधा हिस्सा मैप से गायब है। वेबसाइट की इस हरकत से भारतीय लोगों में एक बार फिर से नाराजगी देखने को मिल रही है। लोगों ने सोशल मीडिया पर अमेजन की इस सेल को लेकर खूब आलोचना की। कुछ यूजर्स का गुस्सा तो इस कदर देखने को मिल रहा है कि उन्होंने अपने ट्वीट में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को टैग किया है। बता दें कि यह कोई पहली मर्तबा नहीं है। इससे पहले भी वेबसाइट कई बार विवादों में पड़ चुकी है।

इससे पहले अमेजन ने तिरंगे वाला पायदान और भारत के राष्ट्रीय पिता महात्मा गांधी की तस्वीरों की सैंडल सेल पर लगा दिया था। जिस कारण लोगों में इससे पहले भी गुस्सा देखने को मिला था। इसके अलावा अमेजन ने अमेरिका में अपनी वेबसाइट पर हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीर वाले डोर मैट बिक्री के लिए उपलब्ध कराई थी, जिसके बाद भारत में लोगों का गुस्सा फूट पड़ा था। यहां तक कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी एमेजॉन को इसके लिए कड़ी चेतावनी देते हुए माफी मांगने को कहा था।

चीनी अमेजन का यह रुख ऐसे समय में देखने को मिल रहा है, जब डोकलाम को लेकर दोनों देशों में तनाव की स्थिति बनी हुई है। डोकलाम विवाद पिछले तीन महीने से लगातार बना हुआ है। भारत-चीन के बीच कुल 3500 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा है। इन दोनों देशों के बीच सीमा विवाद की वजह से 1962 में युद्ध हो चुका है। बावजूद इसके सीमा विवाद नहीं सुलझ सका। यही वजह है कि अलग-अलग हिस्सों में अक्सर भारत-चीन के बीच सीमा विवाद उठता रहा है। मौजूदा सीमा विवाद भारत-भूटान और चीन सीमा के मिलान बिन्दु से जुड़ा हुआ है।

सिक्किम में भारतीय सीमा से सटे डोकलाम पठार है, जहां चीन सड़क निर्माण कराने पर आमादा है। भारतीय सैनिकों ने पिछले दिनों चीन की इस कोशिश का विरोध किया था। डोकलाम पठार का कुछ हिस्सा भूटान में भी पड़ता है। भूटान ने भी चीन की इस कोशिश का विरोध किया। भूटान में यह पठार डोक ला कहलाता है, जबकि चीन में डोकलांग। भूटान और चीन के बीच कोई राजनयिक संबंध नहीं है। भूटान को अक्सर ऐसे मामलों में भारतीय सैन्य और राजनयिक सहयोग मिलता रहा है। लिहाजा, भारतीय सेना ने इस बार भी चीनी सैनिकों के सड़क निर्माण की कोशिशों का विरोध किया है। जिसके बाद चीन को यह बात नागवार गुजरी है।