IND vs SL: क्या केएल राहुल को आराम देने से टीम सिलेक्शन से उठे हर सवाल खत्म हो सकते थे?

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IND vs SL: क्या केएल राहुल को आराम देने से टीम सिलेक्शन से उठे हर सवाल खत्म हो सकते थे?


IND vs SL: क्या केएल राहुल को आराम देने से टीम सिलेक्शन से उठे हर सवाल खत्म हो सकते थे?

नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर क्रिकेट फैन को सबसे ज़्यादा उतावला होते हुए कब देखा जा सकता है? फॉर्मेट कोई भी हो, जो भी प्लेइंग इलेवन हो उसमें अपने पसंदीदा खिलाड़ी को नहीं पाने पर एक ख़ास खिलाड़ी के समर्थक सड़कों पर (मेरा मलब सोशल मीडिया में!) बवाल मचाने उतर जातें हैं। गुवाहटी वन-डे के दौरान यही हुआ। ईशान किशन के टीम में नहीं होने पर हर कोई हैरान था। ये लेखक भी। हर कोई ये भी चाहता है कि इस टीम में सूर्यकुमार यादव को भी होना चाहिए थे, लेकिन वो भी नहीं थे। अब ऐसे में अपना गुस्सा निकालने के लिए हर किसी को एक विलेन की तलाश होती है और केएल राहुल से बढ़िया शिकार किसी और को क्या मिलेगा! जब पूर्व खिलाड़ियों में भी ये होड़ मच जाए कि सोशल मीडिया में कुछ फॉलोअर्स बढ़ जाएंगे तो आम फैंस का कहना ही क्या? और मौजूदा दौर में वैसे भी किसके पास इतना वक्त है कि वो तर्क और ठोस तथ्यों को देखें, सुने और समझे और फिर अपने विचार बनाए। वरना, अलग-अलग फॉमेट के खेल को मिलाने की जरुरत नहीं पड़ती।

सबसे पहले सवाल किशन का
निश्चित तौर पर पिछले मैच में दोहरा शतक लगाने वाले खिलाड़ी को बाहर नहीं किया जाना चाहिए था, लेकिन कप्तान रोहित शर्मा का तर्क भी बुरा तो नहीं था। उन्होंने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि ईशान जैसे खिलाड़ी को बाहर रखना पड़ रहा है, लेकिन शुभमन गिल ने सिर्फ 13 मैचों में करीब 71 और 103 की स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं। ईशान का 10 मैचों में दोहरे शतक के बावजूद औसत 53 का है। बांग्लादेश दौरे पर गिल टीम में ही नहीं थे और अगर होते तो रोहित के चोटिल होने पर मौका ईशान को नहीं गिल को मिलता, लेकिन, ये तथ्य कौन याद करना चाहेगा?

अब बात सूर्यकुमार यादव की
पिछले 9 वन-डे में सूर्या ने 7 मैचों में 30 का आंकड़ा भी पार नहीं किया है, उनका औसत 32 का ह2 जो उनके टी20 के पास भी नहीं फटकता है. सूर्या टी20 में फिलहाल दुनिया के सबसे बड़े बल्लेबाज़ है लेकिन वन-डे क्रिकेट में भी यही बात उसी दावे के साथ कही जा सकती है? शायद नहीं, इसमें कोई दो राय नहीं है कि टीम मैनजमेंट को हर हाल में सूर्या के लिए जगह बनानी होगी और वो बनाएंगे भी इसलिए तो सूर्या को हालिया नाकामी के बावजूद वन-डे टीम में रखा गया है, उन्हें मौके मिलेंगे और रोहित से ज्यादा उनके खेल और टैम्प्रामैंट को कोई नहीं जानता है। रोहित जैसा कप्तान उनके लिए बड़े भाई और दोस्त की भी भूमिका निभाता है और वो कम से कम एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी के साथ गलत होने नहीं देगा, लेकिन रोहित मुंबई इंडियंस या फिर मुंबई की रणजी टीम के कप्तान नहीं है बल्कि भारत के कप्तान हैं और उन्हें देश के लिए बेस्ट चुनना होता है। हां, अगर श्रेय्यस अय्यर ने पिछले 13 मैचों में 6 अर्धशतक, 1 शतक समेत 49 और 44 की पारियां भी खेलीं है तो उन्हें तो बाहर नहीं बिठाया जा सकता है।

तो क्या द्रविड़-रोहित के सारे फैसले सही है?

ये मान लिया जाए कि द्रविड़ और रोहित सारे फैसले सही ले रहें हैं और उन पर सवाल नहीं उटने चाहिए और चर्चान नहीं होनी चाहिए? ऐसा बिल्कुल नहीं है. हम प्रजातांत्रिक देश में रहतें हैं और जब सरकार के फैसलों पर हर रोज़ सवाल उठते हैं तो भारतीय क्रिकेट तो सरकार से बड़ी नहीं ही है! अगर सवाल ये उठाया जाए कि क्या के एल राहुल को आराम देकर इस मैच में ईशान किशन को विकेटकीपर बल्लेबाज़ के तौर पर खिलाया जा सकता था? ऐसा मुमकिन था, ठीक है ऐसे में ईशान को ओपनर की भूमिका नहीं मिलती, वो मिडिल ऑर्डर में बैटिंग करते, ड्रॉप होने से बेहतर होता मिडिल ऑर्डर!

आखिर में बात राहुल की
उन्हें हर ऐसी बहस में बिना मैच का मुजरिम करार दिए भी ये बात सहज तरीके से कही जा सकती है कि टीम मैनेजमेंट को उनसे भी बेहतर खेल की अपेक्षा रखनी चाहिए। 45 टेस्ट के बाद 35 से भी कम की औसत और उसके बावजूद उन्हें टेस्ट कप्तानी का भविष्य के तौर पर देखा जाना किसी के गले से नहीं उतरेगा। टी-20 में भी उनसे बेहतर और आक्रामक विकल्प हैं। वन-डे क्रिकेट में राहुल का खेल बेहतर हैं, लेकिन पिछले 1 साल में 29 का औसत और महज 2 अर्धशतक उन्हें हमेशा आलोचकों के निशाने पर खड़ा करेगा। इस एक चयन को सही साबित करने के लिए रोहित-द्रविड़ की जोड़ी अपने सही फैसलों की कुर्बानी देने का जोखिम तो नहीं उठाना चाहेगी ना?

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