बौद्ध सिद्धांत को अपनाकर क्रोध मुक्त जीवन कैसे जिये ?

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बौद्ध सिद्धांत को अपनाकर क्रोध मुक्त जीवन
बौद्ध सिद्धांत को अपनाकर क्रोध मुक्त जीवन

बौद्ध सिद्धांत को अपनाकर क्रोध मुक्त जीवन कैसे जिये ? ( How to live an anger-free life by adopting Buddhist principles? )

क्रोध किसे नहीं आता है ? शायद ही दुनिया में कोई ऐसा इंसान हो जिस क्रोध नहीं आता हो. लेकिन इसके साथ ही यह भी सच्चाई है कि क्रोध की वजह से हम कभी भी मुसीबत से बाहर नहीं निकलते हैं. बल्कि इसकी वजह से हमारी परेशानियां और भी बढ़ जाती है. जिसके परिणाम कितना बुरा हो सकता है. इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है. अगर एक इंसान को क्रोध आता है तथा उसके पास बंदुक जैसा कोई हथियार हो तो , उससे ऐसा गुनाह होना कोई बड़ी बात नहीं है. जिसके कारण उसे पूरी जिंदगी जेल में गुजारनी पड़े. इसलिए क्रोध के बिना जीवन जीना बहुत उत्तम होता है. परंतु कैसे ? इस पोस्ट में इसी सवाल का जवाब जानते हैं कि बौद्ध सिद्धांत को अपनाकर क्रोध मुक्त जीवन कैसे जिये.

बौद्ध सिद्धांत

धैर्य बनाएं-

ऐसा नहीं हो सकता है कि आप गुस्से में किसी पर चीखें-चिल्लाएं और साथ ही उस व्यक्ति के साथ धैर्यपूर्वक व्यवहार भी करें. इसलिए किसी भी घटना के बाद उसका विश्लेषण करें. उसके बाद कोई भी फैसला लेने से पहले धैर्य बनाए रखे. कुछ लोग धैर्य को कमजोर होने की निशानी भी मानते हैं. लेकिन हकिकत इसके बिल्कुल विपरित होती है. कमजोर इंसान को गुस्सा जल्दी आता है. इसलिए किसी भी परिस्थिति में धैर्य बनाएं रखें. जब हमें लगे कि हम तनावग्रस्त हो रहे हैं, तो हम गहरे श्वास लेने का नुस्खा आज़मा सकते हैं – ऐसा करना तनावमुक्ति का सीधा उपाय है क्योंकि जब हम क्रोधित होते हैं तब हम जल्दी-जल्दी और छोटे श्वास लेते हैं. हम धीरे-धीरे 100 तक गिनती गिन सकते हैं, ऐसा करके हम अपने आप को ऐसा कुछ कहने से रोक सकते हैं जिसका हमें बाद में अफसोस करना पड़े.

क्रोध

सोचने का नजरिया-

किसी भी बात को सोचने का नजरिया हमारे क्रोध को खत्म करने का सबसे बड़ा हथियार साबित हो सकता है. हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिएं कि जिस व्यक्ति से हम नाराज़ होते हैं वह हमारे लिए बहुत मूल्यवान हो जाता है क्योंकि वह हमें धैर्य का अभ्यास करने का अवसर प्रदान करता है. इससे हमारे क्रोध की उफनती लहरें शांत हो जाती हैं क्योंकि इससे हमारा दृष्टिकोण बदल जाता है, हम उस व्यक्ति को इस दृष्टि से नहीं देखते हैं कि उसने हमारे साथ क्या किया है, बल्कि इस दृष्टि से देखते हैं कि वह हमारे लिए क्या कर रहा है.

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बौद्ध धर्म हमें अपने सामान्य व्यवहार के विपरीत व्यवहार करने की शिक्षा देता है. जब हम किसी पर क्रोधित होते हैं तो हमारी इच्छा होती है कि हम उससे बदला लें. इसका नतीजा क्या होता है? हम यदि अधिक नहीं तो कम से कम उतने ही दुखी तो बने ही रहते हैं अगर हम क्रोध को नियंत्रित करना चाहें, तो उसके लिए हमें प्रयास करना जरूरी होता है.हम चाहे कितनी ही बार इस बात को दोहरा लें “मैं क्रोध नहीं करूँगा” ; लेकिन वास्तव में प्रयास किए बिना हमें चित्त की वह शांति कभी हासिल नहीं होगी जिसे हम सभी पाना चाहते हैं.

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