नमाज़ में कितने मुहूर्त हैं ?

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नमाज़ में कितने मुहूर्त हैं ? ( Namaz me kitne muhurat hai )

विश्व में अनेंक धर्म और समुदायों के लोग पाए जाते हैं. जिनकी अपनी धर्म और आस्था के अनुसार अलग-अलग मान्यताएं होती है. इस्लाम धर्म विश्व के अनेंक देशों में फैला हुआ है. इस्लाम धर्म में नमाज का विशेष महत्व होता है. नमाज फ़ारसी शब्द है, जो उर्दू में अरबी शब्द सलात का पर्याय है. कुरान शरीफ में सलात शब्द बार-बार आया है और प्रत्येक मुसलमान स्त्री और पुरुष को नमाज पढ़ने का आदेश ताकीद के साथ दिया गया है. इस्लाम धर्म के आरंभकाल से ही नमाज़ पढ़ने का प्रचलन है. मुस्लिम समुदाय के लिए नमाज़ एक बहुत बड़ा कर्तव्य माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इसे नियमपूर्वक पढ़ना पुण्य तथा इस प्रथा का पालन ना करना या त्याग देना पाप होता है.

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प्रतिदिन की नमाज़ तथा उनका समय-

नमाज़ -ए-फ़ज्र – यह पहली नमाज है जो प्रात: काल सूर्य के उदय होने के पहले पढ़ी जाती है ऐसा माना जाता है कि जो भी यह फज्र की नमाज अदा करता है, अल्लाह दिन भर उसकी रक्षा करता है. इसलिए, दिन भर अल्लाह की सुरक्षा और आशीर्वाद पाने के लिए फज्र की नमाज अदा करने की कोशिश करें

नमाज-ए-ज़ुहर – यह दूसरी नमाज है जो मध्याह्न सूर्य के ढलना शुरु करने के बाद पढ़ी जाती है. इसमें माना जाता है कि ज़ुहर के घंटे के दौरान, स्वर्ग के द्वार खोले जाते हैं. इसलिए, इस समय पर हमें अच्छे कर्म करना चाहिएं जिससे उनका अच्छा फल हमें मिले.

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नमाज -ए-अस्र – यह तीसरी नमाज है जो सूर्य के अस्त होने के कुछ पहले होती है. असार प्रार्थना आपके स्वास्थ्य और परिवार के लिए लिए बहुत फायदेमंद होती है.

नमाज-ए-मग़रिब – चौथी नमाज जो सूर्यास्त के तुरंत बाद होती है. इस नमाज़ का मुस्लिम समुदाय में बहुत महत्व होता है. 5 नमाज़ में इसका भी स्थान बहुत महत्वपूर्ण होता है.

नमाज-ए-ईशा – अंतिम पाँचवीं नमाज जो सूर्यास्त के डेढ़ घंटे बाद पढ़ी जाती है. यह दिन की अंतिम नमाज़ होती है. ऐसा माना जाता है कि पाँच नमाज़ पूरी करने और दिनभर अच्छे कर्म करने से अल्लाह आपके मन को शांति देता है तथा आपको शांति से नींद आती है.

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इनके अलावा जुम्मे की नमाज भी होती है, जो सिर्फ शुक्रवार की दोपहर को दी जाती है. इसके साथ ही साथ मुस्लिम समुदाय में तरावीह की नमाज़ (रमज़ान के पवित्र महीने में ईशा की नमाज़ के साथ अदा की जाती है) तथा ईद की नमाज का भी विशेष महत्व होता है.

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