सूर्य की किरणों में विटामिन डी कितने बजे तक रहता है?

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विटामिन-डी का सबसे बड़ा स्रोत सूर्य की रोशनी है और शरीर के लिए आवश्यक मात्रा का 95 प्रतिशत हिस्सा धूप सेंकने के मिल सकता है। बाकी का हिस्सा अन्य खाद्य पदार्थो से प्राप्त किया जा सकता है। धूप की भरपूर मात्रा होने के बावजूद 80 से 90 प्रतिशत भारतीय विटामिन-डी की कमी से होने वाली बीमारियों से पीड़ित हैं। खासकर दिल संबंधी बीमारियों का खतरा ज्यादा है।

भारतीयों में विटामिन-डी की अत्यधिक कमी के कारणों में धूप से कतराना, घंटों बंद और तनावपूर्ण दफ्तरों में काम करना, साइकिल या पैदल चलने के बजाए वाहनों पर निर्भर रहना, खेल-कूद में भाग लेने की बजाय तकनीक का सहारा लेना और इस बारे में अधिक जानकारी न होने जैसी बातें शामिल हैं। जितनी विटामिन-डी की कमी ज्यादा होती है, दिल के रोगों, हाइपरटेंशन और डायबिटीज के खतरे का अनुपात उतना ही ज्यादा होता है।

बात जब सूरज की किरण की हो रही है तो फिर सूर्य किरण चिकित्सा के बारे में थोड़ा बहुत जान लेना भी अच्छी बात है। इस चिकित्सा पद्धति में 45 से 60 दिन तक सूर्य के प्रकाश से गर्म हुए तेल, पानी, ग्लिसरीन, मिश्री से विभिन्न रोगों का उपचार किया जाता है। पानी में नारंगी, हरा व आसमानी रंग डाला जाता है। इस पानी को धूप में गर्म कर रोगों का उपचार होता है। सूर्य किरण चिकित्सा के विशेषज्ञ बताते हैं कि इससे शरीर में रक्त संचार प्रॉपर होता है। धूप से शरीर में विटामिन डी बनता है जो लकवा, गठिया, टीबी, दमा, चर्म रोग आदि में उपयोगी है।हर रोज सुबह 10 बजे से अपराह्न् तीन बजे के बीच केवल 30 मिनट तक धूप में समय बिताने से, खासकर बाजुओं पर बिना सनसक्रीन के धूप सेकना फायदेमंद है।

Disclaimer-यह खबर इंटरनेट से ली गयी है। डॉक्टर से सुझाव के बिना खुद से कोई कार्य ना करें अन्यथा इसके जिम्मेदार आप खुद होंगे।

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