हीमोफीलिया बीमारी के बारें में अधिकतर लोग प्रचित नहीं होंगे। यह एक ऐसे बीमारी है की अगर यह बीमारी माता-पिता को है तो बच्चे भी इस बीमारी से ग्रसित हो सकते है। य आमतौर पर यह बीमारी महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक पाई जाती है। गुणसूत्र (क्रोमोसोम) इस बीमारी के वाहक यानी बीमारी को आगे भेजने का जरिये बनते है। इस रोग में शरीर के बाहर बहता हुआ रक्त जमता नहीं है। इसके कारण चोट या दुर्घटना में यह जानलेवा सिद्ध हो सकता है। और इसमें रक्त रोकता नहीं है। अगर इस बीमारी के लक्षण के बारे में बता करे तो शरीर में नीले निशान बन जाते हैं, आंख के अंदर खून का निकलना और नाक से अचानक खून का बहना, जोड़ों में सूजन आना और रक्तस्राव होना, ऐंठन महसूस होती है, कमजोरी, जख्म से खून कुछ देर के लिए बंद होने के बाद दोबारा बहने लगना इसे के साथ मस्तिष्क में रक्तस्राव का होना।
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आपको बताना चाहेंगे की हीमोफीलिया ए और बी एक्स गुणसूत्र या X क्रोमोसोम द्वारा होता है। इससे सब प्रचित है की महिलाओं में दो X क्रोमोसोम होते है परन्तु पुरुषों में दो अलग-अलग प्रकार के X और Y क्रोमोसोम होते हैं वही पुरुषों में X क्रोमोसोम महिला से और Y क्रोमोसोम पिता से आता है। इन्हीं क्रोमोसोम के जरिये से बच्चे का लिंग निर्धारित होता है। क्रोमोसोम में ही हीमोफीलिया पैदा करने वाले जीन्स होते हैं।
महिलाएं इस रोग का कारण बनती है यानि इसके जरिये यह आगे बढ़ता है। यानी बेटे में X क्रोमोसोम माँ से मिलता और यदि X क्रोमोसोम हीमोफीलिया से ग्रसित हो तो बेटे को हीमोफीलिया हो जाएगा. परन्तु बेटी में एक X क्रोमोसोम माँ से मिलता हैऔर यदि वो हीमोफीलिया रोग से पीड़ित है त पिता से आने वाला X क्रोमोसोम हीमोफीलिया से ग्रसित नहीं हो तो बेटी में यह बिमारी से ग्रसित नहीं होगी। पिता से बच्चों में हीमोफीलिया अधिकतर नहीं होती है। लेकिन ऐसे भी मामले सामने आते है जिनमें यह बीमारी आगे चलकर वाहक बनती है।