Hijab Controversy In India: हिजाब विवाद में ओवैसी ने दिया पुट्टास्वामी फैसले का हवाला, जानें क्या कहता है जजमेंट

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Hijab Controversy In India: हिजाब विवाद में ओवैसी ने दिया पुट्टास्वामी फैसले का हवाला, जानें क्या कहता है जजमेंट


Hijab Controversy In India: हिजाब विवाद में ओवैसी ने दिया पुट्टास्वामी फैसले का हवाला, जानें क्या कहता है जजमेंट

नई दिल्ली: कर्नाटक के एक कॉलेज से हिजाब को लेकर शुरू हुआ विवाद पूरे देश में फैल गया है। इस मुद्दे पर देश में जमकर राजनीति हो रही है। हिंदूवादी और मुस्लिम संगठन भी हिजाब को लेकर अपना अपना वक्तव्य दे रहे हैं। टीवी डिबेट से लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तक हिजाब पर बहस छिड़ी हुई है। इस बीच AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने हिजाब विवाद में पुट्टास्वामी फैसले का हवाला देते हुए मुस्लिम समाज की महिलाओं को कहा कि हिजाब पहनना उनका संवैधानिक अधिकार है। वह बिना किसी डर के हिजाब पहन सकती है।

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए औवेसी ने कहा, ‘भारत का संविधान अधिकार देता है कि आप चादर ओढे, नकाब ओढ़े या हिजाब ओढ़े… पुट्टास्वामी का जजमेंट आपको इस बात की इजाजत देता है। यह हमारी पहचान है। मैं सलाम करता हूं उस लड़की को जिसने उन लड़कों को जवाव दिया, डरने और घबराने को जरूरत नहीं है।’


इस आधार पर औवेसी बढ़ा रहे मुस्लिम महिलाओं का
हौसला
एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार, यानी राइट टु प्राइवसी को मौलिक अधिकार का हिस्सा करार दिया है। नौ जजों की संविधान पीठ ने 1954 और 1962 में दिए गए फैसलों को पलटते हुए कहा कि राइट टु प्राइवेसी मौलिक अधिकारों के तहत संविधान के अनुच्छेद 21 के जीवन के अधिकार का ही हिस्सा है। जजों ने सहमति जताई लेकिन कारण अलग अलग दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संविधान पीठ राइट टू प्राइवेसी को लेकर फैसला सुनाया है। पीठ को ये तय करना था कि निजता मौलिक अधिकार है या नहीं ? क्या ये संविधान का हिस्सा है ? इस फैसले का असर सीधे सीधे विभिन्न सरकारी योजनाओं को आधार कार्ड से जोडने के मामले पर पड़ेंगा। सुप्रीम कोर्ट में कुल 21 याचिकाएं हैं। कोर्ट ने सात दिनों की सुनवाई के बाद 2 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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दरअसल 1954 में 8 जजों की बेंच ने और 1962 में 6 जजों की बेंच ने कहा था कि राइट टू प्राइवेसी मौलिक अधिकार नहीं है। इस पीठ में CJI जे एस खेहर, जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस AR बोबडे,जस्टिस आर के अग्रवाल, जस्टिस रोहिंग्टन नरीमन, जस्टिस अभय मनोगर स्प्रे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अब्दुल नजीर शामिल हैं।

क्‍या कहता देश का संविधान?
संविधान के अनुच्‍छेद 25 से 28 तक में धर्म की स्‍वतंत्रता के मौलिक अधिकार को लेकर जिक्र किया गया है। अनुच्‍छेद 25 (1) किसी भी धर्म को मानने, उसका अभ्‍यास करने और प्रचार करने का हक देता है। अनुच्‍छेद 25 धर्म की स्‍वतंत्रता पर दो तरह के अधिकार देता है। पहला अधिकार अंत: करण की स्‍वतंत्रता को लेकर है। दूसरा अधिकार धर्म को निर्बाध तरीके से मानने और उसका प्रचार करने को लेकर है। हालांकि, सार्वजनिक व्‍यवस्‍था को बनाए रखने के लिए इसमें राज्‍य को अंकुश लगाने की भी शक्तियां दी गई हैं।

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